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त्वरित निपटान और न्याय प्रक्रिया में संतुलन बनाएं, राजनाथ सिंह का एएफटी को सुझाव

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) से कहा कि लंबित मामलों का तेजी से समाधान करते समय उचित कानूनी प्रकिया का समझदारी से पालन किए जाने का भी ध्यान रखने की जरूरत है। एएफटी के स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देश भर की विभिन्न अदालतों में बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं, लेकिन बोझ को कम करने के लिए विशेष न्यायाधिकरण स्थापित किए गए हैं। जहां लोगों के सामने सही समय पर न्याय नहीं मिलने की चुनौती है, वहीं न्यायिक प्रक्रिया पर ध्यान दिए बिना मामलों का तीव्र निस्तारण और भी खतरनाक है। इस वजह से न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाते समय सावधानी बरतने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि हमें इस बात को भी ध्यान रखने की जरूरत है कि न्याय में देरी होने पर लोगों का न्याय व्यवस्था पर विश्वास कम हो जाता है। मामलों के निपटारे और लोगों को न्याय दिलाने में लगने वाले समय और प्रक्रिया के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है।

अब तक के सबसे उच्च स्तर पर है भारत की प्रतिष्ठा : धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि देश की वैश्विक प्रतिष्ठा सबसे उच्च स्तर पर है। हमें राष्ट्र विरोधी नैरेटिव को बेअसर करना होगा। इतिहास में पहले कभी किसी भारतीय प्रधानमंत्री को इतना सम्मान नहीं मिला जितना नरेंद्र मोदी को मिला है। राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विवि के शताब्दी समारोह में उन्होंने कहा, भारत लोकतंत्र की जननी है और दुनिया के किसी अन्य देश में भारत के समान सांविधानिक रूप से निर्मित प्रतिनिधि शासन प्रणाली नहीं है।

भारत-अमेरिकी कंपनियों को मिलकर बनाने चाहिए रक्षा उपकरण: पूर्व रक्षा सचिव
पूर्व रक्षा सचिव शेखर दत्त ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय और अमेरिकी कंपनियों को मिलकर रक्षा उपकरण के निर्माण के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए। एनजीओ कट्स इंटरनेशनल के सहयोग से अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास की ओर से आयोजित डिफेंस न्यूज सम्मेलन में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों को अमेरिकी कंपनियों की वैश्विक शृंखला में भागीदार बनना चाहिए। संयुक्त उद्यम से नए उपकरणों और क्षमताओं को विकसित करने में मदद मिलेगी। भारत और अमेरिका दोनों की संयुक्त श्रमशक्ति प्रौद्योगिकी को एक नई दिशा दे सकती है। अगर दोनों देश एक साथ जुड़ जाएं तो एक बेजोड़ ताकत बन सकते हैं। इस मौके पर पूर्व वायुसेना प्रमुख अरूप राहा (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत ने 25 से अधिक देशों के साथ लगभग 30 हवाई अभ्यास किए हैं, जिनमें से कई अभ्यास अमेरिकी वायुसेना के साथ हैं।

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