वॉयेजर 2 ने सौर मंडल छोड़ने से पहले बृहस्पति और शनि गृह की खोज की और यूरेनस और नेपच्यून ग्रहों जाने वाला पहला स्पेसक्राफ्ट बना।
वॉयेजर ने धरती पर फिर भेजे संकेत
बता दें कि नासा ने साल 1977 में अन्य ग्रहों का पता लगाने और हमारे ब्रह्मांड के बाहर मानवता के प्रतीक के रूप में वॉयेजर 2 यान को अंतरिक्ष में लॉन्च किया था। अब यह यान पृथ्वी से 12.3 बिलियन मील दूर है और हमारे सौर मंडल से भी परे है। नासा की जेट प्रोपेल्शन लेबोरेट्री ने बताया कि वॉयेजर 2 को भेजे गए नियोजित आदेशों की एक श्रृंखला के चलते इसका एंटीना अनजाने में पृथ्वी से दो डिग्री दूर चला गया। इसके कारण वॉयेजर से नासा का संपर्क टूट गया। मंगलवार को नासा के विशेषज्ञों की टीम ने वायेजर 2 से संपर्क साधने के अंतिम प्रयास के तहत डीप स्पेस नेटवर्क की मदद ली और चमत्कारिक रूप से वॉयेजर 2 से फिर से संपर्क स्थापित हो गया और उसने धरती पर संकेत भेजे। इससे साफ हो गया कि वॉयेजर 2 अभी भी काम कर रहा है।
वॉयेजर 2 ने कई ग्रहों को खोजा
वॉयेजर 2 ने सौर मंडल छोड़ने से पहले बृहस्पति और शनि गृह की खोज की और यूरेनस और नेपच्यून ग्रहों जाने वाला पहला स्पेसक्राफ्ट बना। नासा का वॉयेजर 2 यान अंतरतारकीय माध्यम (इंटरस्टेलर मीडियम) में प्रवेश कर चुका है और धरती से करीब 15 बिलियन मील दूर है। वॉयेजर 2 यान में 12 इंच की सोने की परत चढ़ी तांबे की प्लेट लगी हैं। इनका उद्देश्य आलौकिक लोगों को हमारी दुनिया की कहानी सुनाना है। साथ ही इस यान में हमारे सौर मंडल का नक्शा, रेडियोएक्टिव घड़ी के रूप में एक यूरेनियम का टुकड़ा है, जो यह बताता है कि यान किस तारीख में लॉन्च हुआ। साथ ही यान में प्रतीकात्मक निर्देश हैं, जो यह बताते हैं कि रिकॉर्ड को कैसे चलाना है।
मशहूर अंतरिक्ष विज्ञानी कार्ल सेगन की अध्यक्षता में एक समिति ने यह तय किया था कि यान के साथ क्या-क्या भेजा जाएगा। वॉयेजर 2 का पावर बैंक कुछ समय बात खत्म हो जाएगा, जिसकी वजह से वॉयेजर 2 करीब साल 2025 तक संचालित होगा लेकिन उसके बाद भी यह यान आकाशगंगा में घूमता रहेगा।