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कुछ दशकों में खत्म हो जाएंगे विश्व के 40% कीट, पर्यावरण-जैव विविधता और इंसानों के लिए अहम

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शोध के मुताबिक कीटों की घटती आबादी के लिए प्रदूषण के साथ शहरीकरण, कृषि क्षेत्र में बढ़ता कीटनाशकों का उपयोग और जलवायु परिवर्तन जैसी वजह जिम्मेदार हैं। प्रदूषण न केवल शहरों के आस-पास बल्कि दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में भी इनकी आबादी को प्रभावित कर रहा है।

प्रदूषण इंसानों के साथ अन्य जीवों को भी प्रभावित कर रहे हैं। शोध से पता चला कि प्रदूषण के चलते आने वाले कुछ दशकों में दुनिया के 40 फीसदी कीट खत्म हो जाएंगे। यह कीटों के एंटीना और रिसेप्टर्स पर बहुत बुरा असर डाल रहे हैं।शोध के मुताबिक कीटों की घटती आबादी के लिए प्रदूषण के साथ शहरीकरण, कृषि क्षेत्र में बढ़ता कीटनाशकों का उपयोग और जलवायु परिवर्तन जैसी वजह जिम्मेदार हैं। प्रदूषण न केवल शहरों के आस-पास बल्कि दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में भी इनकी आबादी को प्रभावित कर रहा है। धरती के करीब 40 फीसदी हिस्से में प्रदूषण के यह कण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानक के अनुसार वार्षिक औसत से ज्यादा हैं। यानी  कीटों पर पड़ने वाले वायु प्रदूषण का असर अनुमान से कहीं ज्यादा है। यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबोर्न, बीजिंग वानिकी विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।

कीटों की गंध क्षमता हो रही क्षीण
शोधकर्ताओं के अनुसार प्रदूषण सीधे कीटों के एंटीना को प्रभावित करता है और मस्तिष्क को भेजे जाने वाले गंध संबंधी विद्युत संकेतों की शक्ति को कम कर देता है। कीटों की एंटीना में गंध को पकड़ने वाले रिसेप्टर्स होते हैं, जो आहार, स्रोत, संभावित साथी और अंडे देने के लिए एक अच्छी जगह खोजने में मदद करते हैं। ऐसे में यदि किसी कीट के एंटीना पार्टिकुलेट मैटर से ढके होते हैं तो उससे एक भौतिक अवरोध उत्पन्न हो जाता है। यह गंध को पकड़ने वाले रिसेप्टर्स और हवा में मौजूद गंध के अणुओं के बीच होने वाले संपर्क को रोकता है।

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