जिन संस्थानों का अध्ययन रिपोर्ट में किया गया उनमें से 80 फीसदी ने सेंधमारी पहचानने व रोकने के लिए या तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) व ऑटोमेशन की मदद ली ही नहीं थी, या फिर बहुत सीमित स्तर पर ली थी।
भारत में साइबर अपराधियों की सेंधमारी का एक मामला औसतन 17.9 करोड़ रुपये का नुकसान सरकारी व निजी कंपनियों और संस्थानों को पहुंचा रहा है। यह नुकसान उच्चतम और साल 2020 की तुलना 28 फीसदी अधिक है। वैश्विक आईटी कंपनी आईबीएम ने एक रिपोर्ट यह दावा किया है।रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्यादा 22 फीसदी डाटा सेंधमारी फिशिंग के जरिये हो रही है। इसके बाद 16 फीसदी मामले गोपनीय जानकारियां चुराकर या हैकिंग से अंजाम दिए जा रहे हैं। दूसरी ओर सोशल इंजीनियरिंग के जरिये हुई सेंधमारी सबसे महंगी पड़ रही है। यहां हर मामला करीब 19.1 करोड़ का औसतन नुकसान कर रहा है। इसके बाद गोपनीय जानकारियां रखने वाले संस्थान के ही किसी व्यक्ति से इन जानकारियों के दुरुपयोग के मामले हैं, जहां औसतन 18.8 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
एआई की मदद न लेने का नुकसान
जिन संस्थानों का अध्ययन रिपोर्ट में किया गया उनमें से 80 फीसदी ने सेंधमारी पहचानने व रोकने के लिए या तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) व ऑटोमेशन की मदद ली ही नहीं थी, या फिर बहुत सीमित स्तर पर ली थी