Search
Close this search box.

अभाविप के 75 वर्ष

Share:

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक छात्र संगठन है, ज्ञान,शील और एकता के आधार रूपी स्तंभ पर खड़े विद्यार्थी परिषद 9 जुलाई 1949 से नित्य नूतन चिर पुरातन के भाव से अपने अमृत काल में प्रवेश कर चुका है।
अभाविप के 75 वर्षो की गौरवशाली यात्रा बेहद ही संघर्षमयी तथा चुनौतीपूर्ण रही है, विश्व में शायद ही कोई अन्य छात्र संगठन होगा जिसे विद्यार्थी परिषद जितनी निराधार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा हो लेकिन सभी प्रकार की आलोचनाओं को सहन करने के बाद विद्यार्थी परिषद भट्ठी में तपे हुए सोने की भाँति दोगुनी ऊर्जा के साथ उभरकर आता था।
अपने 75 वर्षो की अनथक यात्रा के दौरान विद्यार्थी परिषद देश मे हुए तमाम नवीन परिवर्तनों की वाहक रहा है, विद्यार्थी परिषद का कार्यकर्ता स्वयं को समर्पण की भट्ठी में जलाकर राष्ट्र पुनः निर्माण के लिए सदैव खड़ा रहता है।
1947 देश के आजादी के बाद जब देश राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय क्षेत्र में उत्पन्न चुनौतियों का सामना कर रहा था, तब विद्यार्थी परिषद का एक अभियान शुरू हुआ। विद्यार्थी परिषद ने यह मत रखा कि छात्रशक्ति-राष्ट्रशक्ति है। तब से शिक्षण संस्थानों में अन्य छात्र संगठनों ने भी छात्र शक्ति का जय घोष करने लगे हैं। यह विद्यार्थी परिषद की देश के प्रत्येक शिक्षण संस्थानों में वैचारिक स्वीकार्यता का परिचायक है।
विद्यार्थी परिषद ने मंच से घोषित किया कि ‘विद्यार्थी कल का नहीं आज का नागरिक है’। विद्यार्थियों के सरोकार केवल विश्वविद्यालय परिसर के नहीं बल्कि देश और समाज के प्रश्न से भी हैं अतः विद्यार्थी देश और समाज के व्यापक सरोकारों से अलग नहीं रह सकता।
विद्यार्थी परिषद ने निरंतर शैक्षिक संस्थानों में छात्र हितों से जुड़े प्रश्नों को प्रमुखता से उठाया है और देशव्यापी आंदोलनों का नेतृत्व किया है,दलगत राजनीति से ऊपर उठकर समस्याओं के आपेक्षित समाधान हेतु परिषद द्वारा व्यापक पहल भी किया गया है। इसी के फलस्वरूप परिषद की गतिविधियां निरंतर, क्रमबद्ध, सार्थक सिद्ध हुई हैं।
विद्यार्थी परिषद का कार्यकर्ता राष्ट्र जीवन और मानवता की समस्याओं के समाधान के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।  देश की विभिन्न समस्याओं के साथ-साथ आपदा के समय अभाविप सहयोग के भाव से लोगों तक हर सम्भव मदद पहुंचाने का कार्य करता है।
जब-जब मानव जाति पर विपदा आती हैं, तब-तब विद्यार्थी परिषद सेवा कार्य में अग्रणी भूमिका निभाता है चाहे वह जम्मू कश्मीर, केरल की बाढ़ हो या मित्र राष्ट्र नेपाल में भूकंप प्रत्येक जगह पर विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने सेवा कार्य की मिशाल पेश की।
इस सदी की सबसे बड़ी आपदा कोरोना ने जब संपूर्ण मानव जाति पर अपना कहर बरपा रहा था, सम्पूर्ण मानव समाज कोरोना नामक वैश्विक महामारी के विभीषिका को झेल रहा था कोरोना के दूसरी लहर ने त्राहिमाम मचा कर रख दिया। इस कोरोना काल में जब अधिकाश लोग संक्रमण से भय से अपने- अपने घरों में बैठे थे तब विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने
कोरोना संक्रमण से अपना और अपने परिवार की चिन्ता ना करते हुए *वसुधैव कुटुम्बकम्* को अपना मूल मंत्र मानकर जरूरतमंदो में अपनी मदद पहुचायी।
प्रतिकूलता के अनुरूप ढलना ही तो मनुष्य की सबसे बड़ी परीक्षा होती हैं*, कोरोना नामक इस प्रतिकूल परीक्षा को विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा बड़ी ही आसानी से अपने अनुकूल बनाकर आमजन को सहारा देने का कार्य किया गया। परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा कोरोना संक्रमण से ग्रसित मरीजो को अस्पताल में बेड दिलाने से लेकर ऑक्सिजन सिलेंडर उपलब्ध कराने तथा रक्तदान करने व दुसरो को रक्तदान के लिये प्रेरित करने का कार्य किया गया। यही तक नहीं बल्कि कोरोना पीड़ितों के कोरोना वार्ड जहाँ मरीज के परिजन भी जाने से डरते थे ऐसे वार्डो मे जाकर कार्यकर्ताओं द्वारा मरीजो को अपने हाथों से भोजन कराया गया।
एबीवीपी ने मानव जीवन के साथ रहकर तो सेवा कार्य किया ही बल्कि जब संक्रमण से किसी मरीज की दुःखद मृत्यु हो जाती थी तो उसके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार करने तक का कार्य भी विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया।
अभाविप अकेला ऐसा छात्र संगठन हैं जिसनें राजनीति से अलग हटकर *नर सेवा-नारायण सेवा* को अपना ध्येय मानकर कोरोना वैश्विक महामारी में सेवा कार्य किया।
अभाविप द्वारा कोरोना संक्रमण के वजह से लगे लॉकडाउन के कारण प्रभावित हो चुकी सेवा बस्तियों में रहने वाले निर्धन बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए *परिषद की पाठशाला* नामक देशव्यापी अभियान चलाया जिसके माध्यम से गरीब निर्धन बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने का कार्य किया गया।
विद्यार्थी परिषद द्वारा व्यापक संपर्क नामक अभियान चलाकर कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन से बन्द पड़े शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं से वर्तमान परिस्थिति में शिक्षा क्षेत्र में उत्पन्न चुनौतियों के विषय पर संवाद स्थापित किया गया।
विगत 75 वर्ष में छात्र हितों के लिए संघर्ष करने वाले संगठनों के बीच विद्यार्थी परिषद् की अपनी एक विशिष्ट पहचान बनी है। परिषद की 75 वर्ष की विकास यात्रा देश के इतिहास में निश्चित रूप से एक विशेष अध्याय है। संगठन ने देश की युवा छात्र शक्ति के मन में आशा और विश्वास का स्थान प्राप्त किया है।
यह सदी भारत की सदी है भारत की सदी केवल अपने देश की ही नही अपितु दुनिया की सदी होगी, आज पूरा विश्व भारत की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहा है, आगामी समय में जब हम विद्यार्थी परिषद स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाये बतौर छात्र संगठन इस देश के विकास में हमारी भूमिका क्या होगी हमें यह सुमिश्चित करना होगा।
धन्यवाद।
लेखक : अनुराग मिश्र (प्रांत मीडिया संयोजक,गोरक्ष प्रांत)

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news