शोधकर्ताओं ने मूंगें की चट्टानों के पारिस्थितिकी तंत्र पर अब तक का यह सबसे बड़ा डाटा सेट तैयार किया है, जो आने वाले वर्षों में इन्हें जलवायु परिवर्तन से बचाने का रास्ता खोजने में मदद करेगा।
समुद्री मूंगा चट्टानों के अस्तित्व को बचाने के लिए तारा प्रशांत अभियान चलाया गया। करीब दो साल चले अभियान के तहत आठ देशों के 70 वैज्ञानिकों ने 100 मूंगा चट्टानों का अध्ययन कर लगभग 58,000 नमूने लिए और इनकी आनुवांशिक जानकारी जुटाई। शोधकर्ताओं ने मूंगें की चट्टानों के पारिस्थितिकी तंत्र पर अब तक का यह सबसे बड़ा डाटा सेट तैयार किया है, जो आने वाले वर्षों में इन्हें जलवायु परिवर्तन से बचाने का रास्ता खोजने में मदद करेगा।
10 गुना अधिक है जैव विविधता
शोधकर्ताओं ने दावा किया कि विश्व स्तर पर अनुमानित सभी जीवाणु जैव विविधता पहले से ही मूंगें की चट्टानों के सूक्ष्मजीवों में निहित है। कोन्स्टान्ज विश्वविद्यालय में जलीय प्रणालियों में अनुकूलन के आनुवांशिकी के प्रोफेसर और तारा प्रशांत अभियान के वैज्ञानिक क्रिश्चियन वूलस्ट्रा कहते हैं, हम वैश्विक माइक्रोबियल जैव विविधता को पूरी तरह से कम आंक रहे हैं। उनका कहना है कि जैव विविधता जो लगभग 50 लाख बैक्टीरिया के वर्तमान अनुमान से लगभग 10 गुना अधिक है।