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गो फर्स्ट को राहत मिलने के आसार, SIAC ने P&W से कहा- दिसंबर तक हर महीने पांच इंजन मुहैया कराए कंपनी

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वित्तीय संकट से जूझ रही भारतीय एयरलाइन गो फर्स्ट को जल्द राहत मिल सकती है। रिपोर्ट्स के अनुसार एयरलाइन को इस साल अगस्त से दिसंबर तक अमेरिकी इंजन निर्माता कंपनी प्रैट एंड व्हिटनी (पीएंडडब्ल्यू) से 20 इंजनों की आपूर्ति हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (एसआईएसी) ने गुरुवार को इंजन निर्माता कंपनी पीएंडडब्ल्यू को निर्देश दिया है कि वो 1 अगस्त, 2023 से संकटग्रस्त गो फर्स्ट एयरलाइन को हर महीने 5 इंजन मुहैया कराए। एसआईएसी ने पीएंडडब्ल्यू को दिए अपने निर्देश में कहा है कि वो दिसंबर 2023 तक गो फर्स्ट को इंजनों की आपूर्ति सुनिश्चित करे। भारतीय विमानन कंपनी गो फर्स्ट ने 13 मार्च, 2023 को इंजन आपूर्ति में देरी के लिए प्रैट एंड व्हिटनी को जिम्मेदार ठहराते हुए सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (एसआईएसी) में अर्जी दी थी।

NCLT ने स्वीकार किया था गो फर्स्ट का दिवाला समाधान याचिका

उससे पहले 10 मई को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने एयरलाइन की स्वैच्छिक दिवाला समाधान याचिका (Insolvency Resolution Petition) को स्वीकार कर लिया था और कंपनी का प्रबंधन करने के लिए अभिलाष लाल को आईआरपी नियुक्त किया था।

तीन मई से परिचालन से बाहर हैं गो फर्स्ट के विमान

नकदी संकट से जूझ रही कंपनी गो फर्स्ट ने 3 मई को अपने विमानों को रद्द करने का फैसला किया था। कंपनी उसके बाद से अब तक 13 बार अपनी उड़ानों को रद्द कर चुकी है। बीते चार जुलाई को गो फर्स्ट ने 10 जुलाई तक तक के लिए अपने सभी उड़ानों को रद्द कर दिया है।

गो फर्स्ट ने अपने बुरे हालात के लिए P&W को ठहराया था जिम्मेदार

गो फर्स्ट ने अपने उड़ानों को रद्द करते हुए इसके लिए अमेरिकी इंजन निर्माता कंपनी पीएंडडब्ल्यू को जिम्मेदार ठहराया था। एयरलाइन ने कहा था कि इंजन आपूर्ति की समस्या के कारण उसके 54 विमानों से आधे खड़े हैं और उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। गो फर्स्ट ने कहा था कि उसे प्रैट एंड व्हिटनी से इंजन नहीं मिलने के कारण ‘स्वैच्छिक दिवाला समाधान कार्यवाही’ के लिए मजबूर होना पड़ा है। गो फर्स्ट की ओर से कहा गया था कि इंजन निर्माता की ओर से मुहैया कराए गए GTF (गियर्ड टर्बोफैन) इंजन में बार-बार समस्या आ रही है, जिसके कारण वह उड़ानों का संचालन नहीं कर पा रही है। यही कारण है कि उसे  नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में दिवालिया आवेदन देने के लिए मजबूत होना पड़ा।

दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को भी चुनौती देने की तैयारी में गो फर्स्ट

इसके अलावे गो फर्स्ट दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को भी चुनौती देने की तैयारी कर रही है जिसमें उसके पट्टेदारों को विमान का निरीक्षण करने की अनुमति दी गई है। गुरुवार को गो-फर्स्ट के रेजॉल्यूशन प्रोफेशनल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रामजी श्रीनिवासन ने एनसीएलटी को बताया कि एयरलाइन, दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देगी। बता दें कि एयरलाइन ने फिर से उड़ान शुरू करने की मंजूरी मांगी है इसके लिए विमानन क्षेत्र की नियामक संस्था डीजीसीए एयरलाइन का विशेष ऑडिट कर रही है। बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने 46 पन्नों के आदेश में DGCA को पट्टेदारों, उनके कर्मचारियों और एजेंटों को गो फर्स्ट के विमानों तक पहुंच बनाने की अनुमति देने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जहां एयरलाइन के 30 विमान ग्राउंडेड हैं, तीन दिनों के भीतर उनका निरीक्षण किया जाए।

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