साइंस जर्नल नेचर में प्रकाशित अध्ययन पता चलता है कि 1992-93 में सर्वेक्षण में शामिल केवल 35 फीसदी महिलाएं 30 की उम्र तक मां बनीं। जबकि, साल 2019-21 तक यह अनुपात घटकर 64 फीसदी हो गया था।
पिछले तीन दशकों में भारतीय महिलाओं में बड़ी उम्र में मां बनने की क्षमता घटी है। जहां पहले 40-45 तक की उम्र में मां बनना संभव होता था, अब ये आंकड़ा केवल 30-35 तक की उम्र तक ही सीमित रह गया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के 1992-93 किए गए सर्वेक्षण के आंकड़ों की 2019-21 के आंकड़ों के साथ तुलना के आधार पर 40-49 साल की उम्र में 11 फीसदी से कम महिलाएं 40 वर्ष की अधिक आयु में मां बनीं थीं। जबकि, 30 वर्ष पहले यह अनुपात 23 फीसदी से अधिक था। इसी अवधि में जन्म के समय औसत आयु 33 वर्ष से पांच वर्ष घटकर 28 वर्ष हो गई है।एनएफएचएस के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन स्टडीज (आईआईपीएस) के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया। साइंस जर्नल नेचर में प्रकाशित अध्ययन पता चलता है कि 1992-93 में सर्वेक्षण में शामिल केवल 35 फीसदी महिलाएं 30 की उम्र तक मां बनीं। जबकि, साल 2019-21 तक यह अनुपात घटकर 64 फीसदी हो गया था।
आंध्र प्रदेश में सबसे कम रही प्रजनन दर की औसत आयु
एनएफएचएस-आईआईआई (2004-05) के दौरान महिलाओं की प्रजनन दर की औसत आयु तमिलनाडु में 26 वर्ष से मेघालय में 33 वर्ष थी। अगले दो सर्वेक्षणों के आधार पर आंध्र प्रदेश में सबसे कम (लगभग 25) और मेघालय (30 से अधिक) में अधिक औसत आयु देखी गई है।