धरने प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने मालमो बंदरगाह में प्रवेश के रास्तों को ब्लॉक कर दिया। प्रदर्शनकारी जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध की मांग कर रहे थे।
मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को छह महीने जेल की सजा हो सकती है। दरअसल ग्रेटा थनबर्ग पर स्वीडन में जून में हुए धरना प्रदर्शन के दौरान पुलिस के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप है। बता दें कि स्वीडन के दक्षिण में स्थित शहर मालमो में बीते जून में पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान 20 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी इस धरने प्रदर्शन में शामिल हुईं।
क्या है मामला
जून में मालमो में हुए धरने प्रदर्शन को पर्यावरण संरक्षण संगठन ‘ता तिलबाका फ्रेमटिडेन’ ने आयोजित किया था। धरने प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने मालमो बंदरगाह में प्रवेश के रास्तों को ब्लॉक कर दिया। प्रदर्शनकारी जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध की मांग कर रहे थे। इस दौरान हंगामा बढ़ने पर पुलिस ने ग्रेटा थनबर्ग समेत अन्य प्रदर्शनकारियों को प्रदर्शन की जगह से चले जाने को कहा लेकिन प्रदर्शनकारियों ने पुलिस का आदेश मानने से इनकार कर दिया। इस पर पुलिस ने ग्रेटा थनबर्ग समेत अन्य प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
क्या है मामला
जून में मालमो में हुए धरने प्रदर्शन को पर्यावरण संरक्षण संगठन ‘ता तिलबाका फ्रेमटिडेन’ ने आयोजित किया था। धरने प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने मालमो बंदरगाह में प्रवेश के रास्तों को ब्लॉक कर दिया। प्रदर्शनकारी जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध की मांग कर रहे थे। इस दौरान हंगामा बढ़ने पर पुलिस ने ग्रेटा थनबर्ग समेत अन्य प्रदर्शनकारियों को प्रदर्शन की जगह से चले जाने को कहा लेकिन प्रदर्शनकारियों ने पुलिस का आदेश मानने से इनकार कर दिया। इस पर पुलिस ने ग्रेटा थनबर्ग समेत अन्य प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
छह महीने की हो सकती है जेल
जिन धाराओं में ग्रेटा थनबर्ग के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, उनमें ग्रेटा को अधिकतम छह महीने की जेल की सजा हो सकती है। हालांकि ग्रेटा के वकील चेरलेट ओटेसन का कहना है कि ग्रेटा इस मामले में बच सकती हैं और उन पर सिर्फ जुर्माना लगाया जा सकता है। इस मामले में मालमो की अदालत में सुनवाई जुलाई के अंत में शुरू होगी।
कौन हैं ग्रेटा थनबर्ग
ग्रेटा थनबर्ग एक मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता हैं। वह जब महज 15 साल की थी, उसी वक्त उन्होंने स्वीडन की संसद के बाहर पर्यावरण संरक्षण के लिए धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था। हर शुक्रवार को होने वाले ग्रेटा के इन धरने प्रदर्शनों को पूरी दुनिया में पहचान मिली। ग्रेटा थनबर्ग लगातार सरकारों और राजनेताओं पर पर्यावरण के मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं होने का आरोप लगा रही हैं।