लॉगबोरो विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिकों ने अपनी तरह का पहला टूल बनाया है। इस अनोखे कार्बन फुटप्रिंट टूल से डिजिटल डाटा के कारण पैदा हो रही कार्बन डाइऑक्साइड को मापा जा सकता है। इसे डाटा कार्बन लैडर का नाम दिया गया है।
क्या आप जानते हैं कि आपकी प्रतिदिन की डिजिटल गतिविधियां कितना डाटा पैदा कर रही हैं और पर्यावरण पर उसका क्या असर पड़ रहा है? वैज्ञानिकों के अनुसार, औसतन एक व्यक्ति प्रति सेकंड 1.7 एमबी डाटा पैदा करता है, यह एक दिन में करीब 10-डीवीडी के बराबर है। यह डाटा वो है जो फोटो, वीडियो, टेक्स्ट और ई-मेल के जरिए उत्पन्न होता है।
विमानन उद्योग से भी ज्यादा उत्सर्जन
शोधकर्ताओं के अनुसार, इन डिजिटल आंकड़ों को डाटा कंपनियां एकत्र करती हैं और फिर दुनियाभर के अलग-अलग डाटा केंद्रों में बाइट्स के रूप में स्टोर किया जाता है। यदि इन डाटा केंद्रों को देखें तो यह इन्सानों की ओर से किए जा रहे कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के करीब 3.8 फीसदी हिस्से के लिए जिम्मेदार है। यह उत्सर्जन विमानन उद्योग से भी ज्यादा है। विश्वस्तर पर शुद्ध शून्य उत्सर्जन और डीकार्बोनाइजेशन संबंधी नीतियों के लिए इनका भी आकलन जरूरी है। इतना ही नहीं यह डाटा सेंटर बड़े पैमाने पर बिजली और पानी की भी खपत कर रहे हैं।