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लुटियन की गोल मार्केट बनेगी म्यूजियम, विरासत की दिलाएगी याद, वातानुकूलित होगी इमारत

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गोल मार्केट ऐतिहासिक इमारत है। एडविन लुटियंस के डिजाइन पर इसका निर्माण 1921 में हुआ था। इसमें 28 दुकानें थीं। बाद में इसके बगल में कनॉट प्लेस शॉपिंग सेंटर भी बना।

कभी सियासत के केंद्र में रही लुटियन की गोल मार्केट अब म्यूजियम में तब्दील होने जा रही है। वहीं, नजदीकी इलाकों का भी विकास होगा। इस पर करीब 22 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके पुराने स्वरूप से छेड़छाड़ किए गए बगैर पूरे इलाके को अत्याधुनिकता के रंग में रंगने के लिए एनडीएमसी तैयार है। पुनर्विकास के बाद आधुनिकता के चश्मे से यहां ऐतिहासिक विरासत नजर आएगी। बुधवार को एनडीएमसी की बैठक में इसके पुनर्विकास से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाएगी।

दरअसल, अंग्रेज शासकों ने करीब एक सदी पहले भारतीय कर्मचारियों के लिए गोल मार्केट बनाई थी, तब इसमें अंग्रेजों के यहां काम करने वाले भारतीय कर्मचारी खरीदारी करते थे। आजादी तक यह ऐसे ही चलती रही, बाद में इसे सबके लिए खोल दिया गया। कुछ पाकिस्तानी शरणार्थियों ने भी यहां अपनी दुकानें खोंलीं, लेकिन जर्जर होने के बाद करीब एक दशक पहले इसे बंद कर दिया गया। अब इसके पुनर्विकास की योजना तैयार है।

एनडीएमसी सदस्य कुलजीत चहल के मुताबिक, एनडीएमसी का यह पहला संग्रहालय है, जिसमें डिजिटल पैनल, पूरी तरह से वातानुकूलित, फूड कोर्ट और सब-वे के साथ विश्वस्तरीय सेवाएं होगी। इसके अलावा गोल मार्केट के आसपास के इलाके को भी विकसित करने का निर्णय लिया गया है। इस कड़ी में पैदल चलने वालों की सुरक्षा के साथ-साथ सड़क यातायात को कम करने के लिए आरके आश्रम मार्ग से मुख्य गोल मार्केट के बीच एक सब-वे बनाया जाएगा। इसके अलावा यहां पार्किंग भी बनाई जाएगी।

उपराज्यपाल के दखल से शुरू हुआ काम
बीते साल जून में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इसमें दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने निर्देश दिया कि गोल मार्केट को म्यूजियम बना दिया जाए। इसके बाद एनडीएमसी ने अगस्त में मार्केट को बदलने की योेजना को मंजूरी दी। इसके लिए 26.74 करोड़ रुपये का प्रावधान था, लेकिन टेंडर होने के दौरान ठेकेदार ने करीब 22 करोड़ में इस योेजना को अमलीजामा पहनाने का ठेका ले लिया। अब एनडीएमसी बुधवार को अपनी बैठक में इस योजना पर कार्य शुरू करने की स्वीकृति देगी।

1921 में बनी थी गोल मार्केट
गोल मार्केट ऐतिहासिक इमारत है। एडविन लुटियंस के डिजाइन पर इसका निर्माण 1921 में हुआ था। इसमें 28 दुकानें थीं। बाद में इसके बगल में कनॉट प्लेस शॉपिंग सेंटर भी बना। भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान छोड़ने वाले मशहूर चित्रकार बीसी सान्याल और उनकी पत्नी स्नेहलता दो-तीन मशहूर हस्तियों के साथ गोल मार्केट में पहुंचे थे।

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