प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान रक्षा, अंतरिक्ष, जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा, प्रौद्योगिकी समेत अन्य कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन समझौतों से दोनों देशों के संबंधों को बढ़ावा मिलेगा
पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पंकज सरन ने कहा कि रक्षा सौदों से भारत की रक्षा क्षमता को बढ़ेगी ही, दोनों देशों के संबंध भी प्रगाढ़ होंगे। उन्होंने इस रक्षा समझौते को भारत-अमेरिका रिश्तों में एक ‘नए युग’ का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि पहले भी शिखर बैठकें हुई हैं लेकिन इस विशेष शिखर बैठक में दोनों पक्षों ने रणनीतिक क्षेत्रों में अपने संबंधों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के लिए बहुत ही सचेत निर्णय किया है। भारतीय वायु सेना के पूर्व उप प्रमुख एयर मार्शल रवि कांत शर्मा (सेवानिवृत्त) जनरल इलेक्ट्रिकल्स और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लि. के बीच हुआ समझौता भारत और उसके जेट इंजन कार्यक्रम की दिशा में बहुत ही अहम कदम है। इससे जेट इंजन तकनीक में भारत की आत्मनिर्भरता के प्रयासों को गति मिलेगी।
जलवायु साझेदारी महत्वपूर्ण
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका के साथ भारत की जलवायु साझेदारी दोनों देशों के साथ ही दुनिया भर के लिए अधिक टिकाऊ और लचीले भविष्य में योगदान कर सकती है। दोनों देशों ने अक्षय ऊर्जा और इलेक्ट्रिकल वाहन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तकनीक हस्तांतरण, निवेश और सहयोग के महत्व पर बल दिया है।
द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) में कार्यक्रम निदेशक आरआर रश्मि ने कहा कि जलवायु साझेदारी के संबंध में पीएम मोदी और राष्ट्रपति बाइडन के बयान तेज और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण की सुविधा के लिए तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
उत्सर्जन तीव्रता पर महत्वपूर्ण पहल
इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरेंट, सस्टेनबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी के संस्थापक और सीईओ चंद्रभूषण ने नई दिल्ली के नवीनतम और महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत-अमेरिका साझेदारी के महत्व पर जोर दिया। इसमें 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 फीसदी तक कम करना शामिल है, पहले यह लक्ष्य 30-35 फीसदी तक था।