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भाखड़ा बांध से छोड़ा गया 26840 क्यूसेक पानी, किसान संगठनों ने स्वागत किया, सरकार के रुख से शिअद चिंतित

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बीबीएमबी के एक अधिकारी ने बताया कि गत 31 मई को हुई तकनीकी समिति की बैठक में भागीदार राज्यों की जरूरत के अनुसार पानी छोड़ने का निर्णय लिया गया था। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि भागीदार राज्यों ने सिंचाई के लिए पानी की मांग की थी।

भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) ने शुक्रवार को अपने भागीदार राज्यों- पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली व चंडीगढ़ के लिए भाखड़ा बांध से 26840 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ दिया है। इस फैसले को लेकर किसान संगठनों ने जहां संतोष जताया है, वहीं सियासी दलों ने राज्य सरकार को आगाह किया है कि पानी के मसले पर सबसे पहले पंजाब के हितों की रक्षा की जाए।

बीबीएमबी के उक्त फैसले का शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) ने स्वागत करते हुए कहा कि पंजाब समेत पड़ोसी राज्यों के किसानों को भी इस समय पानी की जरूरत है और बीबीएमबी के अतिरिक्त पानी देने पर सियासत नहीं होनी चाहिए। यूनियन के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि इस फैसले से पंजाब को भी अतिरिक्त पानी मिला है लेकिन चिंताजनक यह है कि पंजाब पहले से निर्धारित हिस्से का पूरा इस्तेमाल नहीं कर रहा, जबकि पंजाब सरकार को अपने हिस्से के पानी का इस्तेमाल करने के लिए साधन तैयार करने चाहिए।

उधर, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के सीनियर नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब के पास पहले से पानी की कमी है लेकिन अफसोस इस बात का है कि यहां बाढ़ ही खेत को खाने लगी हुई है। आम आदमी पार्टी (आप) हरियाणा और राजस्थान में अगले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है और इसके लिए पंजाब की सरकार दोनों राज्यों को अतिरिक्त पानी जैसे तोहफे दे रही है। पंजाब अब ऐसे हाथों में नहीं है, जो पंजाबियों के हित के लिए काम करेंगे। पंजाब के पानी की लड़ाई लड़ने वालों को फिर से एकजुट होना होगा।

गौरतलब है कि पहाड़ी क्षेत्रों में इस साल लगातार बारिश के कारण बीबीएमबी के अधीन भाखड़ा समेत अधिकांश बांध लबालब भर गए हैं, जिसके मद्देनजर बोर्ड ने यह कदम उठाया है लेकिन इस फैसले से पंजाब में सियासी विवाद खड़ा होने के आसार बन गए हैं। भाखड़ा से छोड़े गए अतिरिक्त पानी में से ज्यादा हिस्सा हरियाणा और राजस्थान को जा रहा है, क्योंकि पंजाब बीबीएमबी में अपने 51 फीसदी हिस्से का पूरा इस्तेमाल नहीं कर रहा और मौजूदा अतिरिक्त पानी भी हरियाणा और राजस्थान चला जाना तय है।

सदस्य राज्यों के आग्रह पर छोड़ा अतिरिक्त पानीः बीबीएमबी

बीबीएमबी के एक अधिकारी ने बताया कि गत 31 मई को हुई तकनीकी समिति की बैठक में भागीदार राज्यों की जरूरत के अनुसार पानी छोड़ने का निर्णय लिया गया था। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि भागीदार राज्यों ने सिंचाई के लिए पानी की मांग की थी। पानी टरबाइन मार्ग से छोड़ा जा रहा है और कोई स्पिलवे नहीं खोला जाएगा। इस वजह से नदियों और उनके किनारे बसे लोग घबराएं नहीं और किसी तरह की अफवाहों से बचें।

इस बीच, बीबीएमबी के वाटर रेगुलेशन के निदेशक द्वारा पंजाब के सिंचाई, ड्रेनेज विभाग को पत्र जारी कर सूचना दी गई थी कि 23 जून को दोपहर 2 बजे से भाखड़ा बांध से अतिरिक्त पानी छोड़ा जा रहा है। इस पत्र के जरिये ही रोपड़, लुधियाना और फिरोजपुर के उपायुक्तों और एसडीएम को भी अपने क्षेत्रों में सभी आवश्यक तैयारियां और एहतियाती कदम उठाने को कहा गया था। भाखड़ा बांध से पानी छोड़े जाने के चलते सतलुज, ब्यास समेत नंगल डैम और उसकी खड्डों में पानी का स्तर बढ़ना तय है।

ऐसे पहुंचेगा राजस्थान और हरियाणा तक अतिरिक्त पानी

बोर्ड के अनुसार भाखड़ा बांध से छोड़े गए 26840 क्यूसेक पानी में से 5000 क्यूसेक पानी सतलुज नदी में नंगल बांध के जरिये छोड़ा गया है। इससे नंगल बांध, इसकी खड्डों, नक्कियां, लोहंड और रोपड़ थर्मल प्लांट समेत छोटी नदियों में कुछ समय के लिए पानी का कुल बहाव 20,000 क्यूसेक तक पहुंचने के आसार हैं।

सतलुज नदी में अतिरिक्त पानी छोड़े जाने का सीधा असर यह है कि पानी हरिके की तरफ बहेगा। हरिके में एक संगम स्थल है, जहां सतलुज और ब्यास दरिया मिलते हैं। हरिके से पानी राजस्थान फीडर, जिसे इंदिरा गांधी नहर के नाम से जाना जाता है, में छोड़ा जाता है और यह पानी हरियाणा होते हुए राजस्थान पहुंचता है। बाकी बचा हुआ पानी आवश्यकता पड़ने पर हुसैनीवाला फीडर में छोड़ा जाता है, जो आगे पाकिस्तान में चला जाता है।

इंदिरा गांधी नहर की कुल क्षमता 18000 क्यूसेक पानी की है। हाल ही में राजस्थान सरकार ने इस नहर को मरम्मत के लिए बंद कर दिया था लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के आग्रह के बाद राजस्थान ने इस नहर को खोल दिया है और शुक्रवार को भाखड़ा से छोड़ा जा रहा अतिरिक्त पानी अब राजस्थान पहुंच जाएगा। हालांकि यह नहर लोहगढ़ के पास पंजाब से हरियाणा में प्रवेश करती है और हनुमानगढ़ जिले की टिब्बी तहसील के खाराखेड़ा गांव के पास राजस्थान में प्रवेश करने से पहले सिरसा जिले के पश्चिमी भाग से होकर गुजरती है। इस तरह अतिरिक्त पानी राजस्थान और हरियाणा दोनों को आसानी से उपलब्ध हो जाएगा। बीबीएमबी की तरफ से भी कहा गया है कि अतिरिक्त पानी का सभी भागीदार राज्यों को लाभ होगा।

राजस्थान को उसके हिस्से का ही पानी देंगेः मान

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में पंजाब से चुनावी राज्य राजस्थान तक पानी की आपूर्ति बढ़ाने का वादा किया था। पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राजस्थान सरकार से अपील की थी कि वह इस समय इंदिरा गांधी नहर की मरम्मत का काम न करे और अपने हिस्से का पानी पहुंचने दें। मुख्यमंत्री ने कहा भी था कि अगर राजस्थान को पानी की जरूरत है तो वह उसे केवल तय हिस्सा ही जारी कर सकते हैं क्योंकि पंजाब को पहले से ही अपने किसानों की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो रहा है।

सदस्य राज्यों का इतना हिस्सा है पानी में

बीबीएमबी के अधिकारियों के अनुसार 1960 के फैसले के अनुसार सदस्य राज्यों के लिए पानी का हिस्सा निर्धारित है। इसके तहत पंजाब को सबसे ज्यादा पानी मिलता है, जो सतलुज नदी से 57.88 मिलियन एकड़ फुट (एमएएफ) और रावी से 30 एमएएफ है। इसके बाद हरियाणा को सतलुज से 32.31 एमएएफ और रावी से 21 एमएएफ पानी मिलता है। राजस्थान को सतलुज से 9.81 एमएएफ और रावी से 49 एमएएफ पानी मिलता है। जानकारी के अनुसार पंजाब के पास अतिरिक्त पानी रोकने या इसके उपयोग के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में ताजा अतिरिक्त पानी का बड़ा हिस्सा हरियाणा और राजस्थान पहुंचेगा।

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