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एक ही संपत्ति की करा दी कई बार गिफ्ट डीड, पकड़ में आए 1600 मामले, ट्रायल पीरियड में योगी सरकार को बड़ा लाभ

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उत्तर प्रदेश में एक ही प्रापर्टी की कई बार गिफ्ट डीड करा दी गई। ऐसे 1600 मामले सामने आए हैं। मामले की जांच आयकर विभाग को सौंपी गई है। अब एक प्रापर्टी पर एक बार गिफ्ट डीड का नियम लागू करने पर विचार किया जा रहा है। गिफ्ट डीड के अप्रत्याशित परिणाम आए। ट्रायल पीरियड में तीन गुना राजस्व बढ़ गया।

रक्त संबंधों में गिफ्ट डीड के नाम पर 1600 लोगों ने खेल कर दिया। एक ही प्रापर्टी की कई-कई बार गिफ्ट डीड कर स्टाम्प चोरी की गई। ऐसे सभी मामले आयकर विभाग को जांच के लिए भेज दिया गया है। इस खेल पर रोक लगाने के लिए ”एक प्रापर्टी-एक गिफ्ट डीड” के प्रस्ताव पर विचार शुरू हो गया है। हालांकि गिफ्ट डीड के छह महीने के ट्रायल पीरियड में अप्रत्याशित परिणाम आए हैं। इसके जरिए तीन गुना से ज्यादा राजस्व बढ़ गया है। प्रापर्टी को लेकर बढ़ते पारिवारिक विवाद रोकने के लिए सरकार इस दिशा में बड़ा कदम उठा सकती है।संपत्ति से जुड़े विवाद की वजह से हजारों संपत्तियों का उपयोग नहीं हो पा रहा था। परिवारों में सौहार्द पूर्ण माहौल के लिए पिछले साल मार्च में गिफ्ट डीड को छह महीने के लिए ट्रायल के तौर पर लागू किया गया था। इसके तहत रक्त संबंधों में प्रापर्टी ट्रांसफर करने की फीस केवल पांच हजार रुपये तय कर दी गई।

इसे लागू करते वक्त ये माना गया कि ट्रायल पीरियड में लगभग 350 करोड़ रुपये का नुकसान सरकार को होगा। लेकिन, सरकार के इस फैसले के अप्रत्याशित परिणाम आए। ट्रायल पीरियड में 1140 करोड़ रुपये का राजस्व आ गया। 2.58 लाख परिवारों ने गिफ्ट डीड का लाभ उठाया। अब इसे स्थायी रूप से लाने पर विचार हो रहा है।

गिफ्ट डीड की आड़ में खेल
पड़ताल में सामने आया है कि ट्रायल पीरियड के दौरान करीब 1600 लोगों ने एक ही प्रापर्टी की तीन-तीन बार गिफ्ड डीड कर राजस्व चोरी कर ली। करोड़ों की प्रापर्टी पहले व्यक्ति ने पांच हजार में रक्त संबंधी के नाम की। फिर उस संबंधी ने दूसरे रक्त संबंधी के नाम कर दी। दूसरे व्यक्ति ने उसी प्रापर्टी की तीसरी बार गिफ्ट डीड कर दी।
इस तरह महज 15 हजार रुपये में करोड़ों की प्रापर्टी इधर से उधर हो गई। इन सभी मामलों को आयकर विभाग के पास भेजा गया है, जिनकी जांच की जा रही है। साथ ही इस खेल पर रोक लगाने के लिए गिफ्ड डीड केवल एक बार ही करने का विचार किया जा रहा है।
यानी एक प्रापर्टी की गिफ्ड डीड केवल एक बार ही हो सकेगी। उसे दोबारा ट्रांसफर करने पर पूरी स्टांप ड्यूटी देनी पड़ेगी।
गिफ्ट डीड सरकार का जन उपयोगी फैसला है। एक पिता अपने बेटों को जीते जी प्रापर्टी इसलिए नहीं दे पाता था, क्योंकि पूरा स्टांप लगता था जबकि उसे कोई आय नहीं होती थी। कई बार पिता के बाद प्रापर्टी संबंधी विवाद होने शुरू हो जाते हैं। परिवार में एकता बनाए रखने में गिफ्ट डीड अहम साबित हुई है। जिन्होंने स्टांप बचाने के लिए कई-कई बार गिफ्ट डीड की है, उनकी जांच आयकर विभाग कर रहा है। एक प्रापर्टी पर एक ही गिफ्ट डीड का विचार योगी सरकार कर रही है।

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