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‘शादी के बाद शारीरिक संबंध नहीं बनाना हिंदू मैरिज एक्ट के तहत निर्दयता’, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

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याचिकाकर्ता ने बताया कि वह अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शारीरिक संबंध बनाने में विश्वास नहीं रखता है और शरीर के बजाय सिर्फ आत्मा के आत्मा से मिलन में उसका विश्वास है।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि शादी के बाद एक पति द्वारा पत्नी के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाना हिंदू विवाद अधिनियम 1955 के तहत गलत हो सकता है लेकिन इसे आईपीसी के तहत अपराध नहीं माना जा सकता। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने आरोपी व्यक्ति और उसके माता-पिता के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को खारिज करने का निर्देश दिया।
क्या है मामला
दरअसल एक महिला ने अपने पति के खिलाफ दहेज रोकथाम अधिनियम 1961 की धारा 4 और आईपीसी की धारा 498ए के तहत मामला कराया था। इसके खिलाफ पति ने कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया। याचिकाकर्ता ने बताया कि वह अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शारीरिक संबंध बनाने में विश्वास नहीं रखता है और शरीर के बजाय सिर्फ आत्मा के आत्मा से मिलन में उसका विश्वास है।

याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि याचिकाकर्ता का अपने पत्नी के साथ कभी भी शारीरिक संबंध नहीं बनाने का इरादा था, जो कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत निर्दयता है क्योंकि यह हिंदू विवाद अधिनियम की धारा 12(1)(ए) के तहत विवाह को पूर्ण नहीं करता है लेकिन यह आईपीसी की धारा 498ए के तहत अपराध नहीं है।

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