पश्चिम बंगाल सरकार ने एकल पीठ के 11 मई के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें मौत की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी नियुक्त की गई थी, जिसके कारण स्थानीय लोगों ने हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था और आरोप लगाया था कि यह हत्या का मामला है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने बुधवार को किशोरी की मौत की जांच के लिए दो सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारियों सहित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) नियुक्त करने वाली एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी। 20 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले में कलियागंज में किशोरी के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी।
पश्चिम बंगाल सरकार ने एकल पीठ के 11 मई के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें मौत की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी नियुक्त की गई थी, जिसके कारण स्थानीय लोगों ने हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था और आरोप लगाया था कि यह हत्या का मामला है। मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने एसआईटी की नियुक्ति करने वाली एकल पीठ के निर्देश पर अगले आदेश तक रोक लगा दी।
11 मई को दिए थे जांच के आदेश
न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने 11 मई को एसआईटी के गठन का आदेश दिया था, जिसमें सीबीआई के एक सेवानिवृत्त अतिरिक्त निदेशक, पश्चिम बंगाल पुलिस के एक पूर्व आईजी रैंक के अधिकारी और कोलकाता पुलिस के एक विशेष आयुक्त शामिल किए गए थे। मृतका के लापता होने की सूचना 20 अप्रैल को दी गई थी और उसका शव एक दिन बाद तालाब के पास मिला था।
बता दें कि पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर में 20 अप्रैल को किशोरी की मौत के बाद क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ था। इन प्रदर्शनों में एक व्यक्ति की मौत भी हुई थी। बाद में मृतका के पिता ने अपनी बेटी की मौत की जांच एसआईटी को सौंपने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि उन्हें राज्य पुलिस की ओर से जारी जांच पर भरोसा नहीं है।
पुलिस ने अदालत में दी थी जानकारी
इससे पहले, सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया था कि 20 अप्रैल को लड़की लापता हो गई थी और एक दिन बाद उसका शव इलाके के एक तालाब में मिला। सरकारी वकील ने बताया था कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में किसी भी प्रकार की यौन हिंसा के संकेत नहीं मिले।