लखनऊ कोर्ट में कुख्यात संजीव जीवा की हत्या कर दी गई। पूर्वांचल के डॉन मुन्ना बजरंगी का साथ मिला तो जीवा की ख्वाहिशों को और अधिक पंख लग गए थे।
देहरादून से दिल्ली के बीच संपत्तियों के विवाद में कुख्यात संजीव जीवा और सुशील मूंछ के बीच अदावत रही। जीवा ने मुन्ना बजरंगी से हाथ मिलाया तो दोनों के बीच गैंगवार छिड़ी। पांच साल पहले बागपत जेल में बजरंगी की हत्या से जीवा को बड़ा झटका लगा था।
अपराध की दुनिया का खुद को बादशाह साबित करने के लिए संजीव जीवा ने एक के बाद एक बड़ी वारदात अंजाम दी। 10 फरवरी, 1997 में फर्रुखाबाद में पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रहमदत्त द्विवेदी की हत्या से जीवा का नाम अपराध की दुनिया में गूंजा। हत्या, फिरौती, जानलेवा हमले के अलावा जीवा ने विवादित संपत्तियों पर कब्जे शुरू किए। पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वांचाल, देहरादून, रुडक़ी, गाजियाबाद और दिल्ली तक जीवा का साम्राज्य बढ़ता गया।
अपराध की दुनिया का खुद को बादशाह साबित करने के लिए संजीव जीवा ने एक के बाद एक बड़ी वारदात अंजाम दी। 10 फरवरी, 1997 में फर्रुखाबाद में पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रहमदत्त द्विवेदी की हत्या से जीवा का नाम अपराध की दुनिया में गूंजा। हत्या, फिरौती, जानलेवा हमले के अलावा जीवा ने विवादित संपत्तियों पर कब्जे शुरू किए। पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वांचाल, देहरादून, रुडक़ी, गाजियाबाद और दिल्ली तक जीवा का साम्राज्य बढ़ता गया।
पूर्वांचल के डॉन मुन्ना बजरंगी का साथ मिला तो जीवा की ख्वाहिशों को और अधिक पंख लग गए। जीवा और बजरंगी को 2005 में गाजीपुर के भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में आरोपी बनाया गया।
संपत्तियों पर कब्जे को लेकर जीवा की कुख्यात सुशील मूंछ से अदावत जगजाहिर रही। बागपत जेल में हत्या से पहले मुन्ना बजरंगी अपने साथी जीवा के साथ मिलकर उत्तराखंड में पैर पसार रहा था, लेकिन यहां पहले ही सुशील मूंछ का कब्जा था। ऐसे में दोनों के बीच गैंगवार भी हुई।
13 साल पहले जिला जेल में बिताए थे दो दिन
वर्ष 1995 में पहला अपराध लूट व हत्या का करने के बाद वापस मुड़ कर न देखने वाले शातिर सरगना संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा अपने ही गृह जनपद की जेल में केवल दो दिन ही रहा था। उसका अपराधिक जीवन गैर जनपदों की जेल में बीता और उसके जीवन का अंत भी बुधवार दोपहर गैर जनपद की धरती पर ही हुआ।
वर्ष 1995 में पहला अपराध लूट व हत्या का करने के बाद वापस मुड़ कर न देखने वाले शातिर सरगना संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा अपने ही गृह जनपद की जेल में केवल दो दिन ही रहा था। उसका अपराधिक जीवन गैर जनपदों की जेल में बीता और उसके जीवन का अंत भी बुधवार दोपहर गैर जनपद की धरती पर ही हुआ।
जीवा के खिलाफ मुजफ्फरनगर व विभिन्न जनपदों में दो दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। उसके अपराधिक जीवन के दो दिन तीन जुलाई से पांच जुलाई 2010 ऐसे हैं, जो उसने अपने जनपद की जेल में गुजारे।
बताते हैं कि तीन जुलाई को उसकी हरिद्वार कोर्ट तथा पांच जुलाई में मुजफ्फरनगर कोर्ट में तारीख थी। उसे नैनी जेल से लाया गया था। हरिद्वार तारीख से लाते समय रात में उसे यहां जेल में रखा गया।
अतीक-अशरफ की तरह मारा
कुछ समय पहले ही प्रयागराज में पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिए गए माफिया अतीक अहमद व अशरफ की हत्या कर दी गई थी। कुछ उसी तरह से इस वारदात को भी अंजाम दिया गया। उस वारदात में पत्रकार बनकर वारदात को अंजाम दिया गया था, यहां आरोपी वकील के लिबास में पहुंचा।
कुछ समय पहले ही प्रयागराज में पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिए गए माफिया अतीक अहमद व अशरफ की हत्या कर दी गई थी। कुछ उसी तरह से इस वारदात को भी अंजाम दिया गया। उस वारदात में पत्रकार बनकर वारदात को अंजाम दिया गया था, यहां आरोपी वकील के लिबास में पहुंचा।
अतीक व अशरफ भी पुलिस अभिरक्षा में थे, जीवा भी पुलिस अभिरक्षा में कोर्ट में पहुंचा था। वारदात के बाद इसको लेकर सोशल मीडिया पर यह बात चर्चा का विषय बनी रही।
अदालतों की सुरक्षा व्यवस्था की आई याद
कुख्यात जीवा की हत्या के बाद विशेष पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने सभी पुलिस आयुक्तों एवं पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर अदालतों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के निर्देश दिए हैं।
कुख्यात जीवा की हत्या के बाद विशेष पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने सभी पुलिस आयुक्तों एवं पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर अदालतों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा, पेशी पर आने वाले अभियुक्तों की सुरक्षा के संबंध में अभिसूचना एकत्र करते हुए मुकम्मल व्यवस्था की जाए। जनपद न्यायाधीशों, जिला मजिस्ट्रेट एवं बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करने के भी निर्देश दिए हैं।