Search
Close this search box.

ज्ञानवापी में मिले ढांचे के अध्ययन की पीआईएल पर नहीं आया फैसला, चार जुलाई को सूचीबद्ध करने का आदेश

Share:

लखनऊ हाईकोर्ट

वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में मिले ढांचे में शिवलिंग होने या फिर इसके फव्वारा होने के दावों का पता लगाने को इसके इसका अध्ययन के लिए आयोग/समिति बनाने की गुजारिश वाली जनहित याचिका पर सोमवार को फैसला नही सुनाया जा सका। कोर्ट ने मामले को  इसकी सुनवाई करने वाली खंडपीठ के समक्ष चार जुलाई को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है। यह केस सोमवार को निर्णय सुनाने के लिए न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ के समक्ष लगा था।

फैसला सुनाए जाने के पहले याचियों के अधिवक्ता अशोक पांडेय ने कोर्ट से आग्रह किया कि इस मामले की सुनवाई करने वाली दो न्यायाधीशों की खंडपीठ द्वारा फैसला सुनाया जाना चाहिए। जिससे केस में सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए इजाजत दिए जाने के मुद्दे पर भी उसी समय सुनवाई हो सके। इस पर कोर्ट ने याचिका को उसी खंडपीठ के समक्ष के समक्ष 4 जुलाई को सूचीबद्ध करने को कहा है, जिसने 10 जून के इसकी सुनवाई की थी।

दरअसल, बीते शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने याचिका पर सुनवाई के बाद याचिका की ग्राह्यता के मुद्दे पर आदेश सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने फैसला सुनाने को 13 जून की तिथि नियत की थी। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की ग्रीष्मावकाशकालीन खंडपीठ ने यह आदेश वाराणसी व लखनऊ के 7 याचियों की जनहित याचिका पर दिया था। सोमवार को यह खंडपीठ उप्लब्ध नहीं थी।

यह है मामला
याचियों का कहना था कि हिंदू दावा कर रहे हैं कि वहां शिवलिंग मिला है जबकि मुसलमानों का दावा है कि यह एक फव्वारा है। याचियों ने कोर्ट से आग्रह किया कि  ऐसे में संबंधित पक्षकारों को निर्देश दिया जाए कि ढांचे का अध्ययन करने को सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के वर्तमान या सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में आयोग या समिति गठित की जाए और इसकी रिपोर्ट के मुताबिक कारवाई की जाए। अर्थात अगर शिवलिंग हो तो भक्तों को विधि विधान से पूजा अर्चना की अनुमति दी जाए और अगर यह फव्वारा हो तो इसे सुचारु किया जाए। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही पेश हुए थे।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news