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अब सलाखों से बाहर नहीं आ पाएगा माफिया मुख्तार, पहली बार मिली उम्रकैद की सजा, ऐसे कसा शिकंजा

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माफिया मुख्तार अंसारी अब सलाखों से बाहर नहीं आ पाएगा। मुख्तार को पहली बार उम्रकैद की सजा मिली है। मुख्तार अक्तूबर 2005 से जेल की सलाखों के पीछे कैद है। साल 1996 में गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में हिस्ट्रीशीट खोली गई थी।

माफिया मुख्तार अंसारी अब सलाखों से बाहर नहीं आ पाएगा। बांदा जेल में कैद मुख्तार अंसारी को पहली बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इससे पहले उसे अधिकतम 10 साल की सजा मिली थी। बीते आठ महीने 15 दिन में उसे छह मुकदमों में सजा सुनाई जा चुकी है।
पुलिस अफसरों का कहना है कि अदालत में अभियोजन की प्रभावी पैरवी और वादी व साक्षियों के दृढ़ संकल्प की बदौलत ही मुख्तार अंसारी को सजा मिल रही है। ्गाजीपुर जिले के यूसुफपुर निवासी माफिया मुख्तार अंसारी की हिस्ट्रीशीट मुहम्मदाबाद थाने में 25 मार्च 1996 को खोली गई थी।

मुख्तार को अब तक इन अदालतों ने सुनाई सजा
-5 फरवरी 2003 को मुख्तार को नई दिल्ली की अदालत ने 10 वर्ष की सजा और 5.50 लाख रुपये के जुर्माने से दंडित किया था। यह मुकदमा वर्ष 1993 में नई दिल्ली के कालकाजी मार्ग थाने में आयुध और टाडा अधिनियम के तहत दर्ज किया गया था।

– मुख्तार अंसारी को धमकाने सहित अन्य आरोपों में दर्ज मुकदमे में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 21 सितंबर 2022 को सात साल के कठोर कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। यह मुकदमा लखनऊ के आलमबाग थाने में वर्ष 2003 में दर्ज किया गया था।

-23 सितंबर 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने फिर मुख्तार को पांच साल के कठोर कारावास और 50 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया। यह मुकदमा लखनऊ के हजरतगंज थाने में गैंगस्टर एक्ट के तहत वर्ष 1999 में दर्ज किया गया था।
– 15 दिसंबर 2022 को गाजीपुर के अपर जिला व सत्र न्यायालय चतुर्थ की अदालत ने मुख्तार को 10 वर्ष की सजा और पांच लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। गैंगस्टर एक्ट के तहत यह मुकदमा वर्ष 1996 में गाजीपुर के कोतवाली थाने में दर्ज हुआ था।
– 29 अप्रैल 2023 को गाजीपुर के एडीजे-4/एमपी-एमएलए कोर्ट ने 10 वर्ष के सश्रम कारावास और पांच लाख रुपये के जुर्माने से दंडित किया। यह मुकदमा गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज किया गया था।
– 5 जून 2023 को वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास और एक लाख 20 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है। यह मुकदमा तीन अगस्त 1991 को वाराणसी के चेतगंज थाने में हत्या और बलवा सहित अन्य आरोपों के तहत दर्ज किया गया था।

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