यूनानी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय आयुष और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के बीच एक करार हुआ है, जिसके तहत पहली बार अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 45 करोड़ रुपये का अनुदान मंजूर किया है। प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) के तहत कुल 45.34 करोड़ रुपये के इस बजट का इस्तेमाल हैदराबाद, चेन्नई, लखनऊ, सिलचर और बेंगलुरु में यूनानी चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाने में किया जाएगा।
हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय त्वचा रोग अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक यूनानी चिकित्सा को लेकर शोध करेंगे। इस पर करीब 16 करोड़ रुपये का खर्च किया जाएगा। वहीं, आठ करोड़ की लागत से चेन्नई के क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान में यूनानी चिकित्सा को लेकर प्रीक्लिनिकल प्रयोगशाला शुरू होगी। उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में मस्कुलोस्केलेटल जैसे विकारों का इलाज पता लगाने के लिए करीब 8.55 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। बृहस्पतिवार को केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व में यह करार किया गया