गर्मियों के इस मौसम में तेज धूप से बचाव करते रहना बहुत आवश्यक है। धूप न सिर्फ हीट स्ट्रोक जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है साथ ही इसके अधिक संपर्क में रहने के कारण त्वचा की समस्याओं के बढ़ने का खतरा भी रहता है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि धूप से निकलने वाली अल्ट्रा-वायलट रेज के अधिक संपर्क में रहने वाले लोगों में स्किन कैंसर का खतरा हो सकता है। ऐसे में त्वचा को अधिक धूप से बचाने के उपाय किए जाने चाहिए। कुछ लोग इसके लिए सन-केयर प्रोडेक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं।क्या सन-केयर प्रोडेक्ट्स वास्तव में त्वचा के लिए फायदेमंद हैं? यह सवाल इसलिए उठ रहा है वैज्ञानिकों का कहना है कि इन रसायनों के संपर्क के कारण कैंसर का जोखिम हो सकता है, इसलिए सावधानी पूर्वक ही ऐसे किसी उत्पाद का प्रयोग किया जाना चाहिए।
सनस्क्रीन और सन-केयर उत्पादों में बेंजीन नामक रसायन
शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि करीब 78 सनस्क्रीन और सन-केयर उत्पादों में बेंजीन नामक एक अत्यधिक जहरीला रसायन पाया गया है जो कैंसर कारक हो सकता है। इस रसायन के संपर्क में आने के कारण कैंसर विकसित होने का जोखिम काफी बढ़ सकता है। यदि आप इसे निगलते हैं, छूते हैं या इसमें सांस लेते हैं तो यह आपको नुकसान पहुंचा सकता है।यह रसायन रूम टंप्रेचर पर आसानी से वाष्पित हो जाता है और पानी में घुल सकता है। डिटर्जेंट, दवाओं या कीटनाशकों के बाद अब सन-केयर उत्पादों में भी इसकी पुष्टि की गई है जिसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट किया
बेंजीन कई प्रकार से हो सकता है हानिकारक
आप कितने समय तक इसके संपर्क में हैं, उसके आधार पर इसके शरीर में दुष्प्रभावों का अंदाजा लगाया गया। बेंजीन, त्वचा के साथ रिएक्शन करके कई तरह की समस्याओं का कारक हो सकता है साथ ही दीर्घकालिक रूप में इससे कैंसर का जोखिम भी हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बेंजीन का उच्च स्तर ल्यूकेमिया और अन्य रक्त से संबंधित कैंसर का कारण बन सकता है। बेंजीन आपकी कोशिकाओं के काम करने के तरीके में हस्तक्षेप करता है। यह रोगाणु से लड़ने वाले एंटीबॉडी और सफेद रक्त कोशिकाओं को क्षति पहुंचाकर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकता है।
शोधकर्ता कहते हैं इस तरह के उत्पादों से बचें, खरीदते समय जरूर जांच करें कहीं आपके उत्पाद में ये रसायन तो नहीं। हमेशा प्राकृतिक सन-स्क्रीन का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।