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सियासी दलों के प्रत्याशियों पर भारी पड़े निर्दल, पाए सबसे अधिक वोट, BJP को मिले सिर्फ 31.22%

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निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों पर निर्दलीय भारी पड़ गए। राजनीतिक दलों से ज्यादा वोट निर्दलियों को मिले हैं। भाजपा को 31.22 प्रतिशत वोट मिले, जबकि निर्दलियों को 33.75 प्रतिशत वोट मिले हैं।

निकाय चुनाव में इस बार दलों पर निर्दल भारी पड़ गए। मतदाताओं ने दलों पर एतबार जताया तो निर्दलीय उम्मीदवारों पर भी खूब भरोसा किया। कई स्थानों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को सभी पार्टियों से ज्यादा वोट मिले। राजनीतिक दलों में भाजपा को सबसे ज्यादा 31.22 प्रतिशत मत मिले, लेकिन निर्दलियों को उससे भी ज्यादा 33.75 प्रतिशत वोट मिले। नगर पालिकाओं में तो 58 प्रतिशत से ज्यादा सदस्य ऐसे रहे जो निर्दलीय रूप में चुनाव जीत गए। इसी तरह से नगर पंचायतों में भी 67 प्रतिशत से ज्यादा निर्दलीय सदस्य विजयी रहे। दरअसल नगर निकाय का चुनाव कुछ इस तरह से होता है कि यहां दल से ज्यादा चुनौती व्यक्तिगत आधार पर प्रत्याशी एक दूसरे के लिए खड़ी करते हैं। नगर पालिका और नगर पंचायत में तो यह सबसे ज्यादा है। यहां ग्राम पंचायत चुनाव की तरह ही लोगों का आपस में संपर्क ज्यादा रहता है। यही कारण है कि यहां मतदाता दलगत राजनीति से ऊपर उठकर भी वोट करते हैं। प्रत्याशी जाना पहचाना है और उम्मीदवार की कसौटी पर खरा उतरता है तो फिर वोटर यह नहीं देखते हैं कि वह किसी दल से लड़ रहा है या निर्दलीय। बल्कि कई बार तो दल से टिकट लाने पर उम्मीदवार को नुकसान हो जाता है।

4825 निर्दलीय जीते

भले ही महापौर पद पर एक भी उम्मीदवार निर्दलीय न जीता हो पर पार्षद पर यह संख्या कम नहीं रही। प्रदेश में 206 निर्दलीय पार्षद जीत गए। उधर, 41 नगर पालिका अध्यक्ष भी निर्दलीय जीते जबकि पालिका में ही 3130 निर्दलीय सदस्य जीते हैं।अध्यक्ष का आंकड़ा 20 प्रतिशत और निर्दलीय सदस्य की जीत का आंकड़ा 58.76 प्रतिशत रहा। इसी तरह से नगर पंचायत में अध्यक्ष पद पर 195 निर्दलीय यानी कुल 35.85 प्रतिशत जीते। इस तरह कुल 4825 निर्दलीय सदस्य पद पर जीत गए।

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