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जवाहर नवोदय विद्यालयों की बादशाहत बरकरार, 16 रीजन में इन स्कूलों ने हासिल किया टॉप स्थान

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नतीजों में सेंट्रल तिब्बतन स्कूलों ने दूसरा स्थान लेकर कमाल किया है। इन स्कूलों का रिजल्ट 96.77 फीसदी रहा। देशभर के नतीजों में बीते साल की तरह केंद्रीय विद्यालय तीसरे स्थान पर रहे। इन स्कूलों का पास प्रतिशत 92.51 फीसदी रहा।

सीबीएसई 12वीं कक्षा के नतीजों में जवाहर नवोदय स्कूल के बच्चों ने कमाल कर दिया है। बोर्ड के 16 रीजन में इन स्कूलों ने टॉप स्थान हासिल किया है। हालांकि, बीते साल के मुकाबले में रिजल्ट में थोड़ी गिरावट हुई है। बीते साल इन स्कूलों का पास प्रतिशत 98.93 था जो कि इस वर्ष लुढ़ककर 97.51 रह गया है। खास बात यह है कि मोटी फीस लेकर अच्छी पढ़ाई का दावा करने वाले निजी स्कूलों के पास प्रतिशत में 4.25 फीसदी की गिरावट आई है।नतीजों में सेंट्रल तिब्बतन स्कूलों ने दूसरा स्थान लेकर कमाल किया है। इन स्कूलों का रिजल्ट 96.77 फीसदी रहा। देशभर के नतीजों में बीते साल की तरह केंद्रीय विद्यालय तीसरे स्थान पर रहे। इन स्कूलों का पास प्रतिशत 92.51 फीसदी रहा। हालांकि, पास प्रतिशत बीते साल के मुकाबले गिरा है।  सीबीएसई की ओर से जारी परीक्षा परिणामों में विभिन्न श्रेणियों में जवाहर नवोदय विद्यालयों ने सभी स्कूलों में से सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है।देशभर के नतीजों में चौथे स्थान पर निजी स्कूल रहे हैं। इन स्कूलों का पास प्रतिशत बीते साल के 92.20 फीसदी के मुकाबले में 85.95 फीसदी पर पहुंचा है। पांचवें स्थान पर देशभर के सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल रहे। इस साल इन स्कूलों के पास प्रतिशत में गिरावट हुई है। बीते साल इनका पास प्रतिशत 94.81 फीसदी था जो इस साल गिरकर 87.17 पर पहुंच गया है।

10वीं का स्कूलों के अनुसार रिजल्ट
दसवीं के रिजल्ट में भी जवाहर नवोदय विद्यालयों ने कमाल जारी रखा है। इन स्कूलों का इस साल का रिजल्ट 99.14 फीसदी रहा। बीते साल के मुकाबले में यहां के रिजल्ट में मामूली गिरावट हुई है। बीते साल दसवीं के रिजल्ट में निजी स्कूल दूसरे स्थान पर थे जो इस साल 95.27 फीसदी के साथ तीसरे स्थान पर पहुंच गए हैं। दूसरे स्थान पर 98 फीसदी के साथ केंद्रीय विद्यालय हैं। सेंट्रल तिब्बतन स्कूल 93.86 के साथ चौथे व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल 81.57 फीसदी के साथ पांचवें स्थान पर हैं। दसवीं के रिजल्ट में सरकारी स्कूलों का रिजल्ट थोड़ा गिरा है। बीते साल सरकारी स्कूल पांचवीं पायदान पर थे जो लुढ़ककर छठे स्थान पर पहुंच गए हैं। इन स्कूलों का रिजल्ट 80.38 फीसदी रहा है जो बीते साल 80.68 फीसदी था।

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