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राजस्थानी मरीचिका में डूबती सायनाइड मोहन की कहानी, सोनाक्षी और विजय वर्मा बने तिनके का सहारा

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अपराध कथाओं में दिलचस्पी रखने वाले दर्शक दुर्दांत अपराधियों की ‘मनोहर कहानियां’ का भी शौक रखते हैं। देश के अलग अलग हिस्सों में सक्रिय रहे मनोरोगी हत्यारों की सूची में एक नाम मोहन कुमार उर्फ साइनाइड मोहन का भी आता है। कर्नाटक के एक स्कूल में पढ़ाने वाले मोहन ने तमाम युवतियों को शादी का झांसा देकर फंसाया और फिर इन्हें जेवर व नकदी लेकर अपने घर से भागने के लिए उकसाया। दैहिक संबंध बनाए और फिर गर्भ निरोधक गोली के नाम पर इन युवतियों के हाथ में थमा दी सायनाइड की गोली। प्राइम वीडियो की नई वेब सीरीज ‘दहाड़’ इसी कहानी को राजस्थान की पृष्ठभूमि में दिखाती है। औसतन 50 मिनट के करीब के आठ एपिसोड में फैली ये कहानी मंडावा पुलिस थाने में काम करने वाली दारोगा अंजलि भाटी के नजरिये से दिखाई गई है। अंजलि भाटी का किरदार सोनाक्षी सिन्हा ने निभाया है जिनका इस वेब सीरीज से ओटीटी पर डेब्यू हो रहा है

Dahaad Review in Hindi by Pankaj Shukla Prime Video Reema Kagti Zoya Akhtar Sonakshi Sinha Vijay Varma
म्याऊं में तब्दील हुई दहाड़
वेब सीरीज ‘दहाड़’ की कहानी वहां से शुरू होती है जहां लड़कों के जूडो की कक्षा में निपट अकेली एक लड़की अपने कोच को हाई फाइव देकर बाहर निकलती है। थाने में उसके सीनियर दारोगा से उसकी पटती कम है। कोतवाल उसे पसंद करता है सो सारे जरूरी मामले भी उसे ही सौंपता है। मामला एक लड़की के लापता होने के मामले से शुरू होता है। लव जिहाद का हल्का सा छौंका भी इसमें लगता है, लेकिन तफ्तीश शुरू होती है तो कड़ियों से कड़ियां जुड़ती हैं और पता चला है कि राजस्थान के तमाम जिलों की दर्जनों शादी के लायक युवतियां लापता है। फिर इनकी लाशें मिलनी शुरू होती हैं। हर मामले में युवती भागी अपने प्रेमी के साथ जेवर और पैसा लेकर और मरी साइनाइड खाकर। सीरीज का अपना एक ‘साइनाइड मोहन’ है, वह नाम बदल बदलकर युवतियों को मोहित करता है। उनकी तस्वीरें संभालकर रखता है और कहने को सप्ताहांत में गांव गांव जाकर मोबाइल लाइब्रेरी भी चलाता है।
Dahaad Review in Hindi by Pankaj Shukla Prime Video Reema Kagti Zoya Akhtar Sonakshi Sinha Vijay Varma
साइनाइड मोहन का मारवाड़ी अवतार
‘साइनाइड मोहन’ की कहानी पर फिल्म बनाने का विचार कोई 10 साल पहले लेखक, निर्देशक सौमिक सेन ने कुछ निर्माताओं के साथ साझा किया था। फिर ये कहानी अलग अलग रूपों में अलग अलग फिल्मों से तैरती हुई वेब सीरीज ‘दहाड़’ तक आई है। इस कहानी को विस्तार देने और इस पर एक सीरीज की पटकथा लिखने का बीड़ा हिंदी सिनेमा की दो दिग्गज महिलाओं रीमा कागती और जोया अख्तर ने उठाया है। साथ में चैतन्य चोपड़ा भी हैं। संवाद सुमित अरोड़ा ने लिखे हैं। ये सीरीज अपने पहले ही ओवर में हिट विकेट इसी चौकड़ी के चलते होती है। इस लेखक मंडली को राजस्थान ‘पधारा म्हारे देस’ जैसा ही  दिखता है। सीरीज की ओपनिंग क्रेडिट्स का मोंटाज भी इस बात की चुगली करता है। चौथे एपिसोड तक आते आते लेखकों की पकड़ कहानी और संवादों से ऐसी छूटती है कि हिंदी का एक अध्यापक अपनी पत्नी के प्रेमी की मौत पर प्रतिक्रिया देता है तो उसके मुंह से निकलता है, ‘शिट!’
Dahaad Review in Hindi by Pankaj Shukla Prime Video Reema Kagti Zoya Akhtar Sonakshi Sinha Vijay Varma
मुंबइया निर्देशन में छूटा राजस्थान
सीरीज का निर्देशन रीमा कागती और रुचिका ओबेरॉय ने मिलकर किया है और दोनों राजस्थान की आत्मा को पकड़ पाने में नाकाम रहे हैं। आधा दर्जन संवाद प्रशिक्षक (डॉयलॉग कोच) मिलकर भी कलाकारों को ये नहीं समझा पाते हैं कि थारे और न को ण बोलने से आगे भी कुछ है मारवाड़ी। इसका अपना एक लहजा है। इसकी अपनी एक शैली है। लेकिन, यहां निर्देशक जातिवाद में ज्यादा खोए दिखते हैं। अंजलि भाटी कहती भी है कि खोई हुई लड़कियां सारी पिछड़ी जाति की हैं इसीलिए इन्हें लेकर कोई हो हल्ला नहीं हो रहा। अगर इनमें से एक भी लड़की ऊंची जाति की होती तो अब तक बवाल मच गया होता। वह खुद भी अपने पिछड़ी जाति के होने के ‘जन्म दोष’ से ग्रसित दिखती है। कोतवाल से लेकर एसपी तक सब उसे अलग नजरों से देखते हैं। और, वह रात के अंधेरे में सीवेज पाइप के सहारे चढ़कर अपने प्रेमी के साथ हमबिस्तर होने जाती है। क्वेंटिन टैरेंटिनो और गाय रिची की फिल्मों की तरह ही हिंदी सिनेमा के फिल्मकार भी अब अपने किरदारों को स्याह, सफेद में बांटना नहीं चाहते, लेकिन अपने किरदारों को असलियत के करीब लाने के लिए इन फिल्मकारों को पहले खुद भी असलियत के करीब आना, उसे महसूस करना जरूरी है।
Dahaad Review in Hindi by Pankaj Shukla Prime Video Reema Kagti Zoya Akhtar Sonakshi Sinha Vijay Varma
लेडी सिंघम और साइको किलर
सेट की हुई पोनी टेल, सेट की हुई भौहें, करीने से इस्त्री की हुई पोशाक और भागते हुए अपनी फिटनेस दिखाने की कोशिश करती सोनाक्षी सिन्हा के लिए ओटीटी पर डेब्यू की और अपना ढलता करियर बचाने की ये वेब सीरीज ‘दहाड़’ अच्छी शुरुआत हो सकती थी लेकिन उनके किरदार को लिखने में इसकी टीम मात खा गई है। दरअसल, इस सीरीज के किसी भी किरदार को गढ़ने की जहमत इसकी लेखन टीम ने नहीं उठाई है। और, इसे देखना कुछ कुछ ऐसा ही है जैसे अधपकी दाल को तड़का मारकर परोस दिया गया हो। विजय वर्मा का किरदार एक मनोरोगी का है। उसकी पत्नी का अपने सहकर्मी के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा है। पिता उसे हर बात पर धिक्कारता रहता है और बेटा उसका स्कूल में अपनी हरकतों के चलते प्रधानाचार्य से डांट खाता रहता है। इसी स्कूल में कोतवाल का बेटा भी पढ़ता है। और, यही कोतवाल और सीरियल किलर की पहली मुलाकात भी होती है। लेकिन, ये सीरियल किलर अपने असल स्वरूप में जब आता है तो कैसा दिखता है, ये बताने में आधी सीरीज तक किसी को कोई दिलचस्पी नहीं है।

Dahaad Review in Hindi by Pankaj Shukla Prime Video Reema Kagti Zoya Akhtar Sonakshi Sinha Vijay Varma
रेतीले एहसास को तरसती वेब सीरीज
सोनाक्षी सिन्हा के अलावा वेब सीरीज ‘दहाड़’ गुलशन देवैया और विजय वर्मा को भी अभिनय के मामले में निचोड़ती नहीं है। हर कलाकार पहले से तय कर दिए गए अपने अपने टैम्पलेट के हिसाब से अभिनय करता जाता है। कहीं कोई अतिरिक्त मेहनत नहीं। कहीं कोई ऐसा दृश्य नहीं कि लगे, हां, ये कलाकार अपने किरदार में जान डालने के लिए अपनी तरफ से भी कुछ मूल्यवृद्धि (वैल्यू एडीशन) करने की कोशिश कर रहा है। दिक्कत यहां इस सीरीज को बनाने वालों की पृष्ठभूमि की है। एक्सेल एंटरटेनमेंट के लिए यही भारत है। ये भारत उन्होंने या तो फाइव स्टार होटलों की खिड़कियों से देखा है या फिर पर्यटन विभाग की फिल्मों में। कहानी के पर्यावरण के असर को इसका कोई किरदार जीता नहीं दिखता। तपते रेगिस्तान में किसी प्याऊ से चुल्लू बनाकर पानी पीने का एहसास इस सीरीज से लापता है। लापता लड़कियों की कहानी कहती सीरीज बार बार ये भी बताती है कि परिवार गरीब हो तो लड़कियों को अब भी बोझ समझता है।
Dahaad Review in Hindi by Pankaj Shukla Prime Video Reema Kagti Zoya Akhtar Sonakshi Sinha Vijay Varma

सिनेमैटोग्राफी और संगीत की बढ़िया जुगलबंदी
वेब सीरीज ‘दहाड़’ में एक ही बात है जो इसे देखने की इच्छा बनाए रखती है और वह है इसकी सिनेमैटोग्राफी। तनय साटम ने खुद को मिले बेइंतेहा समय का इस्तेमाल राजस्थान के शहरों, गांवों और इनके आसपास के इलाकों को खूबसूरती से कैमरे में कैद करने में किया है। लेकिन, तनय की अपनी कला से ये मोहब्बत ही दूसरे तकनीशियन यानी सीरीज के एडिटर नितिन बैद पर भारी गुजरी है। इतना सारा फुटेज और इसमें से क्या वह रखें और क्या निकाल दें, इसका फैसला लेना वाला भी कोई नहीं। लिहाजा जिस कहानी पर तीन घंटे की एक फिल्म भी भारी है, वह यहां औसतन 50 मिनट के आठ एपीसोड तक बस खिंचती जाती है, खिंचती जाती है। नंदिनी श्रीकांत और करन मैली ने वेशभूषा सज्जा में संतोषजनक काम किया है। गौरव रैना और तराना मारवाह ने सीरीज के लिए संगीत अच्छा बनाया है। वेब सीरीज ‘दहाड़’ को बिंच वॉच करना किसी टास्क से कम नहीं है। हां, इसका एक एक एपीसोड खाते पीते या बाकी काम करते देखा जा सकता है

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