Search
Close this search box.

सरकारी प्लेटफॉर्म दे रहा स्विगी-जोमैटो को टक्कर, इंटरनेट पर छाई कीमतों में अंतर बताती तस्वीरें

Share:

भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के इस प्लेटफॉर्म को एकाधिकार की तरह काम कर रहीं और ग्राहकों से भारी कमीशन वसूल रहीं टेक कंपनियों के लिए बड़े खतरे की तरह देखा जा रहा है। हालांकि ग्राहकों को इससे बड़ी राहत मिलनी तय है।

जोमैटो-स्विगी जैसे ऑनलाइन खाना मंगवाने वाले एप पर जिस मैकचिकन बर्गर के लिए 283 रुपये खर्च करने पड़ते हैं, ओएनडीसी पर उसे 110 रुपये में ही खरीदा जा सकता है। वेज स्टीम्ड मोमो 170 के बजाय सिर्फ 85 रुपये में लिया जा सकता है। दरों में अंतर दिखाती ऐसी दर्जनों तस्वीरें बीते कुछ दिनों से इंटरनेट पर वायरल हो रही हैं। दरअसल, ओएनडीसी यानी डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क को ई-कॉमर्स के क्षेत्र में बड़े बदलाव की तरह देखा जा रहा है।

भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के इस प्लेटफॉर्म को एकाधिकार की तरह काम कर रहीं और ग्राहकों से भारी कमीशन वसूल रहीं टेक कंपनियों के लिए बड़े खतरे की तरह देखा जा रहा है। हालांकि ग्राहकों को इससे बड़ी राहत मिलनी तय है। ऑनलाइन खाना मंगवाने के लिए एकछत्र राज कर रहे दो प्रमुख एप जोमैटो और स्विगी खरीदारी करने पर 30 फीसदी तक शुल्क लेते हैं। दावा है, ओएनडीसी पर यह शुल्क 2 से 4 फीसदी रह जाएगा। यही वजह है, कई बड़े ब्रांड अपने उत्पादों पर ग्राहकों को 20 से 60 फीसदी तक की सीधी छूट दे रहे हंै।

साबित हो सकती है यूपीआई जैसी पहल
इन्फोसिस के सह संस्थापक नंदन निलेकणी ने सोमवार को ओएनडीसी पर एक रिपोर्ट का हवाला देकर ट्वीट किया, कैसे यह साल 2030 तक स्वरोजगार करने वाले 10 लाख से अधिक लोगों और एमएसएमई को जोड़ कर 50 करोड़ उपभोक्ताओं को सेवाएं दे सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह यूपीआई जैसी पहल साबित हो सकती है।

ऐसे करें उपयोग
अभी ओएनडीसी प्लेटफॉर्म को पेटीएम, मीशो, मैजिकपिन, मायस्टोर, क्राफ्ट्सविला, स्पाइस मनी जैसे एप उपलब्ध करा रहे हैं। पेटीएम पर ओएनडीसी सर्च करने पर यह उन उत्पादों की सूची उपलब्ध कराएगा, जो इससे खरीदे जा सकते हैं। इसमें खाने-पीने की चीजें, घरेलू सामान व सफाई के उत्पाद शामिल हैं।

  • ओएनडीसी फूड विकल्प से उन रेस्त्रां से खाना ऑर्डर किया जा सकता है, जो इस प्लेटफॉर्म पर सेवाएं दे रहे हैं। नया प्लेटफॉर्म होने के चलते अभी कई रेस्तरां इससे नहीं जुड़े हैं।

विक्रेता-खरीदार का सीधा संपर्क
ओएनडीसी मोबाइल एप नहीं, बल्कि प्लेटफॉर्म है। विक्रेता व खरीदार के बीच सीधा संपर्क बनाता है और मध्यस्थ बने थर्ड पार्टी ई-कॉमर्स एप्स की जरूरत नहीं रहती। यह अप्रैल, 2022 में लॉन्च हुआ, फिर दिल्ली, बंगलूरू सहित कई शहरों में शुरू हुआ। सरकार की कोशिश छोटे कारोबारियों को भी बड़ी कंपनियों की टक्कर का प्लेटफॉर्म देने की है।

कम दामों में आसान उपलब्धता
वर्ष 2030 तक देश में करीब 42 करोड़ लोग ऑनलाइन खरीदारी कर रहे होंगे। 2021 के 3,800 करोड़ डॉलर के मुकाबले वर्ष 2026 तक कुल कारोबार 14 हजार करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। ओएनडीसी का मकसद वैश्विक कंपनियाें का एकाधिकार रोकना है। इससे न सिर्फ चीजें आसानी से मिलेंगी, दाम भी बेहद कम होंगे।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news