प्रयागराज के अटाला में बवाल करने वाली भीड़ में शामिल हमलावर पूरी तैयारी से आए थे। इनमें से कुछ हमलावर बम के साथ पेट्रोल और माचिस भी साथ लिए थे। हमले पर पुलिस ने जब जवाबी कार्रवाई की तो उन्होंने पेट्रोल छिड़ककर वाहनों में आग लगाना शुरू कर दिया। यही नहीं दहशत फैलाने के लिए लगातार बम भी फोड़ते रहे। बमबाजी से पूरा इलाका रह-रहकर धमाकों से दहलता रहा। आगजनी शुरू होने के बाद पुलिस व आरएएफ ने आंसू गैस के गोले छोड़ने के साथ ही रबर बुलेट का इस्तेमाल किया, तब जाकर हालात पर काबू पाया जा सका। आरएएफ, पीएसी व पुलिस फोर्स संयुक्त रूप से अफसरों के नेतृत्व में आगे बढ़ी तो हमलावर भीड़ पीछे हटने लगी। इस दौरान डीएम ने लाउडहेलर से स्पष्ट एलान भी किया कि उपद्रवियों से पूरी सख्ती से निपटा जाए। इसके बाद फोर्स ने लाठियां बरसाना शुरू किया। फोर्स की इस कार्रवाई से उपद्रवियों में अफरातफरी मच गई और वह इधर-उधर भागने लगे।
पुलिस ने भी उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटना शुरू किया। इसके बाद तो सड़कों पर ही नहीं, बल्कि गलियों में भी उपद्रवियों पर जमकर लाठियां चटकीं।
पुलिस की कार्रवाई से भड़की भीड़ में शामिल कुछ उपद्रवियों ने वाहनों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। इस दौरान पुलिस प्रशासन के वाहनों के साथ ही निजी वाहनों पर भी पत्थर बरसाए गए। उधर नूरुल्लाह रोड पर खड़े कई वाहनों को तोड़फोड़ के बाद नाली में धकेल दिया गया।
इसी दौरान कुछ नकाबपोश हमलावरों ने आगजनी शुरू कर दी। इस दौरान सबसे पहले पेट्रोल छिड़ककर मुस्तफा कॉम्पलेक्स के पास खड़ी एक बाइक फूंक दी गई। इसके बाद उपद्रवियों ने पास ही खड़ी पीएसी के ट्रक को आग के हवाले कर दिया।
आग की लपटें देख पुलिस फोर्स दौड़ी तो हमलावरों का एक गुट नूरुल्लाह रोड पर करेली की ओर भागा और पुलिस बूथ के पास खड़ी चार बाइकों में आग लगा दी। इसके बाद दो अन्य वाहनों में भी आगजनी की गई।
बवाल को देखते हुए अटाला चौराहे के पास पहले से ही फायरटेंडर के साथ फायरब्रिगेड को तैनात कर दिया गया था। आगजनी की सूचना पर सीएफओ डॉ. राजीव पांडेय, एफएसओ सिविल लाइंस नागेंद्र दुबे टीम के साथ पहुंचे और आग पर काबू पाया। लेकिन इस दौरान ज्यादातर वाहन पूरी तरह जल चुके थे।
आंसू गैस के गोले छोड़कर खदेड़े गए
आगजनी होते देख पुलिसकर्मियों के कदम भी एक बार ठिठक गए थे। हालात की गंभीरता को देखते हुए अफसरों ने निर्देश दिया और इसके बाद आंसू गैस के गोले छोड़े जाने लगे। आंखों में जलन होने पर उपद्रवी पीछे हटे जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने लाठियां बरसाते हुए उन्हें खदेड़ा। इस पर बड़ी संख्या में हमलावर युवक सड़क के दूसरी ओर स्थित करेली क्षेत्र की गलियों में जाकर छिप गए।
इसके बाद उन्होंने ईंट-पत्थर तो बरसाए ही, बम भी फेंके। इससे लगातार धमाके होते रहे और इलाका दहलता रहा। इससे पहले भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने के साथ ही रबर बुलेट का भी इस्तेमाल किया गया और तब जाकर हालात काबू में आए।
बवाल की पहले से तैयार थी रूपरेखा
पुलिस सूत्रों का मानना है कि जिस तरह से पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी की गई, उससे साफ है कि बवाल की रूपरेखा पहले से तैयार थी। यही वजह थी कि हमलावर न सिर्फ ईंट-पत्थर बल्कि पेट्रोल व बम लेकर आए। जुमे की नमाज के ठीक बाद बवाल होने से यह भी माना जा रहा है कि जानबूझकर साजिशन इस दिन को चुना गया।
दरअसल साजिशकर्ता यह जानते थे कि जुमे की नमाज के लिए मस्जिदों में बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं जिनमें बड़ी संख्या किशोरों और युवाओं की होती है। बवाल के लिए अटाला को चुनने की वजह यह मानी जा रही है कि यह इलाका बेहद घना है और पुलिस से दो-दो हाथ करने के लिए इसकी भौगोलिक स्थिति भी बेहद माकूल है।
यह ऐसा इलाका है जिसके चारों ओर बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं। ऐसे में इस बात की पूरी आशंका है कि बवाल पूरी तरह से सुनियोजित था जिसकी रूपरेखा पहले से तय थी