क्या आपने कभी इस विकट स्थिति का सामना किया है, जब आपने डेबिट कार्ड एटीएम में डाला और कार्ड डालते वह मशीन में फंस गया? अगर जवाब हां है, तो आप अकेले नहीं हैं। ऐसे तमाम ठग हैं, जो ऐसी वारदात को अंजाम दे रहे हैं। कार्ड से धोखाधड़ी से बचने का तरीका बताती अजीत सिंह की रिपोर्ट…
धोखाधड़ी करने वाले दोपहिया वाहनों पर बैठकर बिना सुरक्षा वाले एटीएम के आसपास घूमते हैं। ये इस ताक में रहते हैं कि कब उनके हाथ कोई शिकार लग जाए। उनकी मंशा होती है कि वे डेबिट कार्ड की क्लोनिंग करके और चतुराई से उन्हें बदलकर कार्डधारक की गाढ़ी कमाई पर हाथ साफ कर सकें। कहानी यहीं समाप्त नहीं होती है। जब धोखेबाज आपके कार्ड के डिटेल्स चुरा लेता है तो कुछ समय बाद आपको झटके लगने लगते हैं क्योंकि आपको अपने खाते से पैसे निकलने के संदेश आने शुरू हो जाते हैं। जब तक आपको पता चलता है कि आपके साथ धोखा हुआ है तब तक आपके खाते से हजारों या लाखों की अच्छी खासी रकम जा चुकी होती है
ग्राहकों की मदद के नाम पर की जा रही है ठगी
ऐसे कई गिरोह हैं जो देश के कई हिस्सों में डेबिट कार्ड धारकों की मदद करने की आड़ में काम कर रहे हैं। जैसे ही कोई एटीएम से पैसा निकालता है, उनका कार्ड अटक जाता है और एटीएम की स्क्रीन पर बैलेंस, फोन नंबर और अन्य डिटेल्स प्रदर्शित होने लगते हैं। जैसे ही आपको पता चलता है कि मशीन में कुछ गड़बड़ है तो उसी समय दो या तीन व्यक्ति अंदर आ जाएंगे और उनमें से एक आपको बातचीत में शामिल करेगा जबकि दूसरा आपके कार्ड को दूसरे से बदल देगा। कुछ ही समय में वे चले जाएंगे और उसके बाद आपके रजिस्टर्ड मोबाइल पर कुछ समय बाद पैसे निकलने के संदेश आने शुरू हो जाएंगे।
ये तरीके अपनाने से कम हो सकती है धोखाधड़ी
किसी भी वित्तीय या डिजिटल लेनदेन में सुरक्षा बहुत जरूरी है। उदाहरण के तौर पर यदि आप एटीएम का उपयोग कर रहे हैं तो यह ध्यान रखिए कि मशीन में एटीएम का डिटेल डालते समय उसे दोनों ओर से ढंक लें। आपने क्या डिटेल्स डाला है,इसकी जानकारी किसी भी तरह से लीक नहीं करें। एटीएम के बाहर एक साथ कई सारे लोग होते हैं। इसमें कुछ ठग भी हो सकते हैं। ऐसे में जब भी आप एटीएम से बाहर निकलें, कार्ड के साथ अंत में आप कोई भी अंक दो तीन बार डाल कर तब निकलें।
लंबी है कार्ड को ब्लॉक करने की प्रक्रिया
जब तक घबराए हुए ग्राहक कार्ड ब्लॉक करने के लिए बैंक को फोन करते हैं, तब तक उनके कुछ हजार रुपये निकाल लिए जाते हैं। कार्ड को डीएक्टिवेट (निष्क्रिय) करना अपने आप में एक कठिन और लम्बी प्रक्रिया है क्योंकि बैंकों के पास इस तरह के मुद्दों को संभालने के लिए कोई समर्पित टीम नहीं होती है। इस जालसाजी का शिकार हुए लोगों को ‘आरबीआई कहता है…’ वाले एक विज्ञापन की याद दिलाई जाती है जो आजकल अक्सर इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल या प्रिंट के माध्यम से दिखाया या बताया जा रहा है।
- आरबीआई की इस सलाह के बाद, आप अपने ब्रांच से संपर्क करेंगे और यह सोचकर कि वे आपके पैसे वापस पाने में मदद करेंगे, आप साइबर अपराध शाखा में मामला दर्ज करेंगे।
रिफंड देने या गलती मानने के लिए राजी नहीं होता है बैंक
ऐसे मामलों में बैंक के पास एक ही जवाब होता है कि आपके पिन से समझौता हुआ है, इसलिए इसका रिफंड नहीं हो सकता है। साइबर क्राइम ब्रांच के पास आपके मामले के लिए समय भी नहीं हो सकता है क्योंकि उनके पास ऐसे मामलों की हजारों फाइलें हैं। यदि समस्या में एक से अधिक बैंक शामिल हैं तो उनमें आपसी तालमेल एक अन्य बड़ा मुद्दा होता है।
- कुछ ग्राहक हैं जिनके साथ ऐसी घटनाएं हुई और उन्होंने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने हेल्पलाइन पर फोन करने की जानकारियां दिखाई, लेकिन न तो संबंधित बैंक और न ही आरबीआई ने इसे स्वीकार किया।
- आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में कार्ड, इंटरनेट एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग से संबंधित 65,893 धोखाधड़ी हुई हैं, जिसमें 258.61 करोड़ रुपये की राशि शामिल है।
लेनदेन में बरतें अतिरिक्त सावधानी
डिजिटल लेनदेन में अतिरिक्त सावधानी जरूरी है। कोशिश करें कि एक ऐसे कार्ड का उपयोग करें, जिसमें उतनी ही रकम हो कि अगर उसके साथ कोई धोखाधड़ी हो तो आपको बहुत फर्क नहीं पड़े। साथ ही एटीएम में कार्ड के उपयोग से बचना चाहिए। -अजय कुमार सिंह, निवेश विशेषज्ञ