पूरा देश अप्रैल में ही गर्मी का सितम झेल रहा है, ज्यादातर हिस्सों में दिन का औसत तापमान 40 डिग्री सेल्सियस बना हुआ है। गर्मी-धूप बढ़ने के साथ हीट स्ट्रोक का जोखिम भी बढ़ गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को करते रहने की आवश्यकता है, हीट स्ट्रोक कुछ स्थितियों में गंभीर और जानलेवा भी हो सकता है। जलवायु परिवर्तन के कारण उपजी परिस्थितयां साल-दर-साल खतरनाक होती जा रही हैं। जटिलताओं का कारण बन सकता है।
जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती गर्मी और इसके दुष्प्रभावों को जानने के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में गंभीर बातें सामने आईं हैं। इसमें शोधकर्ताओं ने भारत के 90 फीसदी से अधिक हिस्से को ‘डैंजर ज़ोन’ में चिन्हित किया है। विशेषरूप से दिल्ली में गर्मी-हीट स्ट्रोक के जोखिमों को लेकर लोगों को अलर्ट रहने की सलाह दी गई है।
शोधकर्ताओं ने किया अलर्ट
कैंब्रिज विश्वविद्यालय के अध्ययन के अनुसार हीटवेव न सिर्फ सेहत के लिए चुनौती खड़ी कर रहा है साथ ही इसका असर देश के सतत विकास पर भी देखा जा रहा है। हीटवेव ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति को बाधित किया है। पिछले पांच दशकों में हीटवेव के कारण 17 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई है।
अध्ययन के अनुसार चुनौती अब और भी गंभीर होती जा रही है। अगर जलवायु परिवर्तन की दिशा में कोई ठोस कदम न उठाए गए और हालात ऐसे ही जारी रहे तो यह भविष्य के लिए गंभीर संकट पैदा करने वाली स्थिति भी हो सकती है।
हीटवेव-हीट स्ट्रोक के बारे में जानिए
हीटवेव यानी लू के कारण हीट स्ट्रोक होने का जोखिम बढ़ जाता है। हीटस्ट्रोक को जानलेवा स्थिति माना जाता है, इसमें शरीर का तापमान 104 डिग्री फ़ारेनहाइट (40 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर हो जाता है। आमतौर पर हमारा शरीर, पसीने के उत्पादन की मदद से शरीर के ताप को संतुलित रखता है, पर अत्यधिक गर्मी-धूप के कारण कई बार पसीने के तंत्र में बाधा आ जाती है जिसके कारण शरीर का तापमान काफी बढ़ जाता है।
हीट स्ट्रोक की स्थिति में 104 डिग्री से अधिक बुखार होने, त्वचा में सूखापन और पसीना न होने, संतुलन की समस्या, चक्कर आने, हृदय गति बढ़ने, उल्टी-दस्त की दिक्कतें हो सकती हैं। कुछ लोगों में हीट स्ट्रोक ब्रेन डैमेज और मौत का भी कारण बन सकता है।
हीट स्ट्रोक हो जाए तो क्या करें?
यदि आप अधिक धूप-गर्मी में रहते हैं और हीट स्ट्रोक जैसे लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क करें। शरीर को ठंडा रखने का प्रयास करें, इलाज में भी इसपर विशेष ध्यान दिया जाता है। शरीर में पानी की कमी न होने दें, डिहाइड्रेशन आपके जोखिमों को बढ़ा सकता है। गर्दन, कमर और बगल में आइस पैक लगाएं। गर्मी के कारण होने वाले दुष्प्रभावों को कम करने के लिए ओआरएस का घोल या नमक-चीनी पानी का घोल थोड़ी-थोड़ी देर पर लेते हैं। इन उपायों से भी आराम न मिले तो अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है।
- दोपहर के समय घर से बाहर जाने से बचें।
- हल्के रंग के और ढीले कपड़े पहनें।
- पानी और अन्य स्वास्थ्यवर्धक तरल पदार्थों का सेवन करते रहें।
- बच्चों और पालतू जानवरों को बंद, गर्म स्थानों जैसे कारों में कभी न छोड़ें।
- दिन के समय धूप में बाहर निकलने से बचें, अगर जरूरत पड़ रही है तो शरीर के अच्छे से कवर करके निकलें।
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