एसटीएफ की जांच में सामने आया कि अभ्यर्थी से उमेश ने आठ लाख रुपये डील तय की थी। लिखित परीखा पास होने के बाद चार लाख रुपये ले लिए थे। दौड़ पास करने के बाद बाकी की रकम देनी थी। उमेश पिछले आठ साल से विभिन्न परीक्षाओं में सॉल्वर बैठाने का काम करता रहा है।
एसटीएफ ने सोमवार को यूपीएसएसएससी की वन रक्षक भर्ती परीक्षा में सेंधमारी करने वाले सॉल्वर गिरोह का पर्दाफाश किया। एसटीएफ ने गिरोह के सरगना के साथ परीक्षा में बतौर साॅल्वर परीक्षा(दौड़) में शामिल ट्रेनी दरोगा को गिरफ्तार किया। वहीं आयोग के अधिकारियों ने दो अन्य अभ्यर्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर पुलिस को सौंपा। इन दोनों अभ्यर्थियों का बायोमैट्रिक का मिलान नहीं हो सका था। पुलिस ने ने कुल तीन एफआईआर दर्ज की हैं।
यूपीएसएसएससी ने वर्ष 2019 में वन रक्षक पद पर भर्ती की लिखित परीक्षा कराई थी। वर्तमान में परीक्षा पास किए गए अभ्यर्थियों का फिजिकल गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में चल रहा है। एसटीएफ के डिप्टी एसपी अवनीश्वर चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि टीम को मिले इनपुट के आधार पर सोमवार को परीक्षा केंद्र से दौड़ में शामिल हो रहे नौझील, मथुरा निवासी विकास कुमार व केंद्र के बाहर मौजूद खुर्जा के मौजपुर निवासी उमेश कुमार को गिरफ्तार किया गया। तफ्तीश में पता चला कि विकास कुमार 2022 बैच का दरोगा है। वर्तमान में सुलतानपुर में उसकी ट्रेनिंग चल रही है। वह लोकेश कुमार नाम के अभ्यर्थी की जगह दौड़ में शामिल होने आया था। एसटीएफ अब लोकेश की तलाश कर रही है। गिरफ्तार किया गया उमेश सॉल्वर गैंग का सरगना है। उसी ने विकास को लोकेश की जगह शामिल कराया था।
आठ लाख में हुई थी डील, चार लाख एडवांस
एसटीएफ की जांच में सामने आया कि अभ्यर्थी से उमेश ने आठ लाख रुपये डील तय की थी। लिखित परीखा पास होने के बाद चार लाख रुपये ले लिए थे। दौड़ पास करने के बाद बाकी की रकम देनी थी। उमेश पिछले आठ साल से विभिन्न परीक्षाओं में सॉल्वर बैठाने का काम करता रहा है। एसटीएफ अब पता कर रही है कि इस परीक्षा के अलावा कौन कौन परीक्षा में कितने सॉल्वर बैठाए।
बायाेमैट्रिक का मिलान नहीं, सॉल्वर के शामिल होने की आशंका
आयोग के समन्वयी पर्यवेक्षक मुदस्सिर हुसैन ने दो केस दर्ज कराए हैं। उनके मुताबिक गोरखपुर के सचिन यादव व गाजीपुर के नितेश कुमार यादव वन रक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल हुए थे। लिखित परीक्षा में वह सफल हो गए थे। लिखित परीक्षा के दौरान बायोमैट्रिक डाटा(आइरिस) लिया गया था। अब जब सोमवार को ये दोनों दौड़ में शामिल होने के लिए पहुंचे तो इनका बायोमैट्रिक लिया गया। जिसका मिलान नहीं हो सका। आरोप है कि परीक्षा के वक्त इन दोनों की जगह पर कोई शामिल था। हालांकि पुलिस ने जब दोनों ने पूछताछ की तो आरोपियों का कहना था कि परीक्षा में वही खुद शामिल हुए थे। बायोमैट्रिक का मिलान क्यों नहीं हो रहा नहीं पता। पुलिस अब तफ्तीश कर आगे की जानकारी जुटाएगी।
पहले भी पकड़ा गया था अभ्यर्थी
एक महीने पहले भी आयोग ने बिजनौर निवासी एक अभ्यर्थी को पकड़कर पुलिस को सौंपा था। उस पर भी एफआईआर दर्ज कराई थी। उसका भी बायामैट्रिक का मिलान नहीं हो सका था। अभ्यर्थी का कहना था कि लिखित परीक्षा के दौरान बायोमैट्रिक डाटा स्कैन कराने के बाद उसने आंखों का ऑपरेशन कराया था। इसलिए आइरिस का मिलान नहीं हो सका। हालांकि पुलिस इस तथ्य का अब तक सत्यापन नहीं कर सकी है। केस की विवचना जारी है।
एसटीएफ ने इनकी गिरफ्तारी की
1. ट्रेनी दरोगा विकास कुमार, नौझील जनपद मथुरा (साल्वर)
2. उमेश कुमार, मौजपुर, खुर्जा (गैंग लीडर)
आयोग ने इनको पकड़ा और केस दर्ज कराया
1. सचिन यादव, तिवारीपुर, गोरखपुर
2. नितेश कुमार यादव, मोहम्मदाबाद, गाजीपुर
बरामदगी: फर्जी आधार कार्ड, फर्जी प्रवेश पत्र, एक चेक लिस्ट।