जिलाध्यक्ष ब्रजेश कुमार गौतम ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व के फैसले का हर कोई सम्मान करता है और पूरी निष्ठा, ईमानदारी से पार्टी प्रत्याशी का समर्थन कर रहा है। पार्टी के फैसले पर कोई भी नाराज नहीं है। यह सिर्फ अफवाह है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अपने हर कार्यकर्ता के हितों का ध्यान रखते हैं।
दोपहर का वक्त। समाजवादी पार्टी कार्यालय के भीतर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल की पुण्यतिथि की तैयारी चल रही थी तो वहीं कुछ नेता-कार्यकर्ता बाहर चर्चा में मशगूल थे। सभी की जुबां पर एक दिन पहले बुधवार को मेयर के लिए पार्टी से प्रत्याशी घोषित हुईं काजल निषाद के नाम की चर्चा थी। सभी अपने-अपने तयी पार्टी के इस निर्णय की समीक्षा कर रहे थे, तो कुर्तें की बांह मोड़ते हुए एक नेता खुद को रोक नहीं सके।
सभी को चुप करते हुए बोल पड़े कि निकाय चुनाव में हर वर्ग को कभी न कभी किस्मत आजमाने का मौका मिलता ही रहा है। अरसे बाद तो सामान्य के लिए सीट घोषित हुई। किसी ठाकुर, ब्राह्मण या कायस्थ को भी मौका मिलना चाहिए था। आखिर सभी निष्ठा से जुड़े हैं। इतने दिनों से कई लोग तैयारी में जुटे थे। गोरखपुर-लखनऊ एक कर दिया था। सभी की उम्मीदों पर पानी फिर गया। अभी आगे कुछ और बोलते कि सामने वाले की यह प्रतिक्रिया सुनकर चुप हो गए कि- अरे भाई, पार्टी नेतृत्व का फैसला है। अब हो हल्ला करने से क्या फायदा।
दोपहर तीन बजे के करीब कुछ ऐसा ही संवाद इंदिरा बाल विहार पर विश्वनाथ पान भंडार की दुकान पर भी चल रहा था । मुंह में एक साथ दो पान का बीड़ा दबाने के बाद लाल टोपी सही करते हुए सपा के एक नेता ने तंज कसते हुए कहा कि बड़े अरमान सजाए बाबूसाहब, पंडी जी लोग दौड़ते रह गए और बाजी मार लें गईं काजल। तभी बगल में खड़े दूसरे साथी ने दबी जुबां अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, लेकिन, एक मौका तो पार्टी को देना चाहिए था। सामाजिक कद और पार्टी में सक्रियता भी मायने रखती है।
दरअसल, पार्टी की तरफ से प्रभारी बनाए गए पूर्व मंत्री राममूर्ति वर्मा और विधायक संग्राम सिंह यादव के नेतृत्व में स्क्रीनिंग कमेटी की हुई बैठक के बाद जिले से जो पांच नाम भेजे गए थे, उनमें ठाकुर, ब्राह्मण, कायस्थ नेताओं के नाम शामिल थे मगर काजल का नाम नहीं था। ऐसे में अचानक से उन्हें प्रत्याशी घोषित कर दिए जाने से सभी चौंक गए हैं। तो वहीं टिकट की रेस में शामिल नेताओं और उनके समर्थकों को तगड़ा झटका लगा है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक कुछ नेताओं ने तो शीर्ष नेतृत्व की बुधवार को लखनऊ में हुई बैठक के दौरान भी सामान्य वर्ग को नेता को मौका नहीं देने पर आपत्ति दर्ज कराई थी।
निषाद नेताओं की भी होगी परीक्षा
नगर निगम क्षेत्र में निषाद वोटरों की भी संख्या काफी अधिक है। इन वोटरों में भाजपा समर्थित निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद की पैठ बहुत अच्छी मानी जाती है। ऐसे में निषाद वोटरों में सेंधमारी कर समाजवादी पार्टी की मेयर प्रत्याशी कालज निषाद को वोट दिलाने में पार्टी के निषाद नेताओं की भी परीक्षा होगी। माना जा रहा है कि मेयर का नतीजा, आगामी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में प्रत्याशियों के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
जिलाध्यक्ष ब्रजेश कुमार गौतम ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व के फैसले का हर कोई सम्मान करता है और पूरी निष्ठा, ईमानदारी से पार्टी प्रत्याशी का समर्थन कर रहा है। पार्टी के फैसले पर कोई भी नाराज नहीं है। यह सिर्फ अफवाह है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अपने हर कार्यकर्ता के हितों का ध्यान रखते हैं। काजल निषाद को भारी मतों से जीत दिलाने के लिए हर नेता, कार्यकर्ता जी-जान से जुट गया है। चुनाव में पार्टी, बड़े अंतर से जीत हासिल करेगी। हर कोई भाजपा की नीतियों से परेशान है और निकाय चुनाव में जवाब देने को तैयार है।