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किसानों का पैदल मार्च, जैसे सड़क पर ड्रैगन चल रहा:नासिक से मुंबई तक 203 किमी का सफर, प्याज पर MSP की मांग

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नासिक के डिंडोरी से करीब दस हजार किसान पैदल चलकर मुंबई के आजाद मैदान में प्रदर्शन करने जा रहे हैं। सोमवार से शुरू हुआ किसानों का पैदल मार्च बुधवार को कसारा घाट से गुजरा। यहां ड्रोन से देखने पर ऐसा लगा मानो सड़क पर ड्रैगन चल रहा हो। ये किसान, आदिवासियों काे जमीन पर हक, प्याज पर MSP और कर्जमाफी की मांग कर रहे हैं।

डिंडोरी से मुंबई का आजाद मैदान 203 किलोमीटर दूर है। किसान रोज 25 किलोमीटर पैदल चलते हैं। चलते समय अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाते हैं। जहां रुकते हैं, वहीं चूल्हा जलाकर खाना बनाते-खाते हैं और आंदोलन की रणनीति बनाते हैं। अभी किसान मुंबई से करीब 100 किलोमीटर दूर हैं। किसानों को 20 मार्च को मुंबई पहुंचकर प्रदर्शन करना है।

किसान नेताओं की प्रशासन से बात भी चल रही है। प्रशासन से मांगे पूरी होने का आश्वासन लगातार मिल रहा है, लेकिन किसान नेता सरकार से मांगे पूरी करने की घोषणा करने को कह रहे हैं।

अखिल भारतीय किसान सभा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की अगुआई में निकाले जा रहे मार्च में किसानों के साथ लेफ्ट पार्टी के जेपी गावित, अजित नवले जैसे नेता और नासिक जिले के आदिवासी बहुल बागलान, कलवन, डिंडोरी तहसील के आदिवासी, मजदूर भी हैं।

कानून व्यवस्था और ट्रैफिक प्लान की तैयारी
डीसीपी किरण कुमार चव्हाण ने बताया कि हमने लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने के लिए पर्याप्त पुलिस फोर्स तैनात किया है। ट्रैफिक प्रभावित न हो, इसलिए सड़क पर दो रूट बनाए गए हैं।

सरकार से सिर्फ आश्वासन मिला, न्याय नहीं
अखिल भारतीय किसान सभा की महाराष्ट्र इकाई के महासचिव अजीत नवाले ने कहा- प्याज के दाम जब भी गिरे, किसानों को सरकार से सिर्फ आश्वासन मिला, न्याय नहीं। हम दूध उत्पादकों के मुद्दे उठाते रहे हैं, लेकिन सरकार केवल आश्वासन दे रही है। किसान न्याय के लिए सरकार पर दबाव बनाने के मकसद से पैदल मार्च निकाल रहे हैं।

नासिक में इस तरह का तीसरा आंदोलन
नासिक में इस तरह का यह तीसरा आंदोलन है। 2018 और 2019 में भी किसान पैदल मार्च निकाल चुके हैं। दोनों ही बार सरकार ने मांगे पूरी करने का आश्वासन देकर आंदोलन रुकवा दिया था। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को मंत्रालय में बातचीत के लिए किसानों की अगुआई करने वालों को बातचीत के लिए बुलाया था, लेकिन इसे दरकिनार कर किसान पैदल मार्च के लिए चल दिए।

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