जोधपुर में 16 साल की नाबालिग की शादी 45 साल के व्यक्ति से कराने का मामला सामने आया। दरअसल, शादी 22 साल की बड़ी बहन संजू से होने वाली थी, लेकिन जब उसे पता चला कि दूल्हा दोगुनी उम्र का है तो वह घर से भाग गई। बहनों के मौसा-मौसी ने शादी कराने के रुपए लिए थे। ऐसे में संजू भागी तो उन्होंने नाबालिग छोटी बहन की शादी करा दी। मामले में संजू ने लोहावट (जोधपुर) में अपने पिता सहित चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया।
भास्कर ने पूरे मामले को लेकर संजू से बात की तो चौंकाने वाली कहानी सामने आई। फलोदी (जोधपुर) की रहने वाली संजू का भी 13 साल की उम्र में बाल विवाह हुआ था। शादी के सवा महीने के बाद उसके पति की मौत हो गई, लेकिन वो बाल विधवा है, इसका अहसास उसे तब हुआ, जब वो 18 साल की हो गई। वे कहती हैं- मेरी पहली शादी घरवालों ने पैसे बचाने के लिए कराई और दूसरे शादी पैसे कमाने के लिए कराने वाले थे।
पढ़िए संजू की कहानी, उन्हीं की जुबानी…
‘शादी क्या होती है…परिवार कैसे संभालते हैं…पति के साथ जिंदगी बिताने का अनुभव कैसा होता होगा…यह सब मेरे लिए एक पहेली था। मुझे साल भी याद नहीं… शायद 2013-14 की बात होगी। इतना जरूर याद है गुड्डे-गुड़ियों के साथ खेलती थी। गांव की स्कूल में पांचवीं क्लास में पढ़ती थी। बस उस समय मेरी ही एक जिद थी कि मैं पढ़ना चाहती हूं। मुझे पता भी नहीं था कि शादी क्या होती है।’
‘हम तीन बहनें और एक छोटा भाई हैं। एक बहन की पहले ही शादी कर दी थी। घरवालों काे लगता था कि बेटियां बोझ हैं और इन्हें पढ़ाई करवा कर क्या करेंगे। उन्हें ये भी पता था कि जब बालिग होगी तो उस समय शादी के लिए ज्यादा खर्चा होगा। परिवार खेती-किसानी करता है तो इतने रुपए भी नहीं थे। ऐसे में घरवालों ने बुआ की बेटी के साथ मेरी भी शादी करवा दी ताकि परिवार के रुपए बच सकें।’
पता ही नहीं चला कि मेरी शादी हो गई
‘मुझे आज भी वो दिन याद है…बुआ की बेटी की शादी थी। घर में एक-महीने पहले से तैयारियां शुरू हो चुकी थी। बस उस समय एक ही बात सुन रही थी …घरवाले कहते थे लड़की है…इसकी शादी कर दो।
‘इसलिए तय हुआ कि…मेरी दीदी के साथ मेरी भी शादी कर दी जाए और मुझे इसका बिल्कुल अंदाजा नहीं था। मेरी दीदी की तरह मुझे भी दुल्हन की तरह सजाया गया। मैं खुश थी क्योंकि मुझे लग रहा था कि दीदी की तरह मुझे भी दुल्हन की तरह तैयार कर शादी में ले जाया जा रहा है।’
‘मंडप में पहुंची तो दीदी के पास मुझे बैठाया गया। मैं खुश थी, क्योंकि दीदी के पास मैं बैठी थी और उन्हीं की तरह कपड़े और शृंगार किया हुआ था। इसी मंडप में दीदी के देवर यानी मेरे जीजाजी के छोटे भाई के साथ मेरी भी शादी कर दी।’
शादी के सवा महीने बाद पति की मौत
‘शादी के सवा महीने बाद ही पति की करंट लगने से मौत हो गई थी। मैं जब 15 साल की हुई तो घरवालोंं ने ससुराल भेज दिया था। मुझे बताया था कि तेरे पति की मौत हो गई, लेकिन तब मैं न शादी के बारे में कुछ जानती थी और न पति-पत्नी के रिश्ते बारे में। मेरे लिए सबकुछ सामान्य था। मुझे उस समय कुछ समझ नहीं आया कि पति साथ हो तब क्या जीवन होता है और पति ना हो तब क्या ? जब ससुराल गई तो ऐसा ही लग रहा था कि मैं मेरी बहन के यहां हूं। मेरा ससुराल मुझे मेरी दीदी के घर जैसा लगता था। वहां 10-15 दिन रहती और वापस लौट आती थी।’
मैं पढ़ना चाहती थी, 18 की उम्र में सब कुछ समझ आया
‘मैं पढ़ना चाहती थी। घर से दीदी के यहां जाती तो ये ही लगता था कि वहां रहकर पढ़ाई करूंगी। लेकिन, यहांं भी मुझे पढ़ने नहीं दिया गया। यहां सिर्फ काम करवाया जाता था। जब 18 साल की हुई तो मुझे मेरे जीवन की पूरी कहानी समझ आई।’
‘मुझे पता चला कि 13 साल की उम्र में जब मुझे दुल्हन बनाकर ले जाया गया तो मेरी शादी करवाई गई। जिससे मेरी शादी हुई उसकी सवा महीने बाद ही मौत हो गई। जिसे मैं दीदी का घर समझती थी वो मेरा ही ससुराल है और मैं एक बाल विधवा हूं। इसके बाद मैंने ससुराल जाना छोड़ दिया।’
जैसे-तैसे नौवीं कक्षा तक पढ़ाई की
‘पांचवीं क्लास में थी, जब मेरी शादी कर दी गई। दूसरी लड़कियों की तरह मेरा भी सपना था कि पढ़ाई करके नौकरी करूं, लेकिन घर-ससुराल कोई भी मेरे पढ़ने से खुश नहीं था। जैसे-तैसे गांव के स्कूल से नौवीं तक पढ़ाई की। इसके बाद ये भी छुड़वा दी।’
दो दिन पहले दूल्हा आया था, 5 लाख में सौदा कर तय किया रिश्ता
‘4 साल पहले मैंने ससुराल जाना छोड़ दिया, लेकिन इसके बावजूद मेरी परेशानी कम नहीं हुई। घरवालों को लगता था कि वो एक बाल विधवा को पाल रहे हैं। मां को चिंता थी, कब तक मैं बाल विधवा रहूंगी। ऐसे में मौसा-मौसी के कहने पर 5 लाख रुपए में मेरा सौदा कर दिया। मैं शुरू से ही शादी करने के लिए तैयार नहीं थी। दो दिन पहले बीकानेर के अगूणावास से किशन सिंह का रिश्ता आया। मुझे तो इसके बारे में पता भी नहीं था कि मेरे रिश्ते की बात चल रही है।’
‘मेरे मौसा-मौसी भी इसी गांव में रहते हैं। दो दिन पहले जब मैं वहां गई तो पता चला मेरे रिश्ते की बात चल रही है। मुझे जब पता चला कि दूल्हा 45 साल है तो मैंने शादी से मना कर दिया। शुक्रवार को बारात पहुंची तो मेरे पैरों से जमीन खिसक गई और मैं वहां से भाग निकली। मुझे नहीं पता था कि मेरे बदले मेरी नाबालिग बहन को दुल्हन बनाकर मंडप में बिठा दिया जाएगा।’
साथ वाली सहेलियां 12वीं तक पढ़ लीं, मैं नर्सिंंग करना चाहती थी
मेरे जीवन में सबसे बड़ा दुख इसी बात का है कि मुझे पढ़ाई करने का मौका नहीं मिला। घर पर थी तो मां-बाप पढ़ाई के लिए टोकते थे। ससुराल गई तो उन्होंने पढ़ाई छुड़वा दी। कहते थे-स्कूल नहीं जाना, यहीं पर रहना है।
मेरे साथ वाली सहेलियों और गांव की लड़कियां 12वीं तक पढ़ चुकी है और मैं अब तक 10वीं की पढ़ाई भी पूर नहीं कर पाई। मैं अब चाहती हूं कि अपनी पढ़ाई पूरी कर नर्सिंग का कोर्स करूं। मेडिकल फील्ड में अपना करियर बनाना चाहती हूं।
मौसी के यहां से भागकर भाई के यहां पहुंची
‘मैं घर से भागकर चचेरे भाई के यहां गई थी। भाई ने ही बाल आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल को मामले की पूरी जानकारी दी। जब मुझे पता चला कि मेरी नाबालिग बहन की शादी करा दी तो सच सामने लाने के लिए मैं बहन और दूल्हे की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर कर दी।’
शादी के नाम से नफरत हो गई
‘घरवालों ने शादी के नाम पर पहले मेरी और अब मेरी बहन की जिंदगी बर्बाद कर दी। मुझे शादी के नाम से नफरत हो गई है। अब मैं शादी करना ही नहीं चाहती। अब केवल पढ़ाई और भगवान शिव की भक्ति करना चाहती हूं।’
आयोग ने नाबालिग को संरक्षण में लिया
बाल आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने बताया कि सूचना मिलने ही कलेक्टर हिमांशु गुप्ता को फोन किया और कार्रवाई करने को कहा था। उन्होंने बताया कि बच्ची को संरक्षण में लिया गया है और तीन दिन में रिपोर्ट मांगी हैै।
जोधपुर एसपी ग्रामीण धर्मेंद्र यादव ने बताया कि नाबालिग की बड़ी बहन की ओर से दी शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया है। जेजे एक्ट में मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने नाबालिग के पिता, दूल्हा किशन सिंह और उसके परिजन इंद्र सिंह और मेघ सिंह को शुक्रवार देर रात डिटेन किया गया। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।