बॉलीवुड की पूर्व एक्ट्रेस प्रिया राजवंश, जिनका मार्च, 2000 में मुंबई के जुहू में कत्ल हो गया था, उनकी चंडीगढ़ सेक्टर 5 स्थित करोड़ों प्रॉपर्टी के विवाद केस में ‘फर्जी याचिका’ दायर करने के आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज हो गई है। चंडीगढ़ जिला अदालत में CBI कोर्ट के स्पेशल जज जगजीत सिंह ने अमरदीप सिंह बराड़ की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज करते हुए उसे स्पेशल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट, CBI के समक्ष 10 दिनों में पेश होने के आदेश दिए हैं।
जज ने कहा है कि संबंधित कोर्ट कानून के तहत मामले में आदेश जारी करने में सक्षम है। CBI जज ने कहा है कि आरोपी की अर्जी मेंटेनेबल नहीं है। आरोपी पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में फर्जी याचिका दायर करने के आरोप हैं। मामला सेक्टर 5 में 6 कनाल में बनी लगभग 30 करोड़ रुपए की कोठी से जुड़ा हुआ है।
हाईकोर्ट के आदेशों पर हुआ था केस दर्ज
आरोपी के खिलाफ CBI मामले में चार्जशीट दायर कर चुकी है। CBI ने 24 मार्च, 2021 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों पर IPC की धारा 120-बी, 204,420, 466,467,468 और 471(धोखाधड़ी, जालसाज़ी, आपराधिक साजिश रचने और सबूत के तौर पर इस्तेमाल हो पाने वाले दस्तावेजों को नष्ट करने) के तहत केस दर्ज किया था। संबंधित कोठी सुंदर सिंह ने खरीदी थी। उनके दो बेटे और बेटी वीरा सुंदर सिंह थी जो बॉलीवुड में प्रिया राजवंश के नाम से मशहूर थी।
डर है कि जेल हो जाएगी
आरोपी बराड़ के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि मामले में चालान पेश हो चुका है और मामला स्पेशल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट, CBI की कोर्ट में लंबित है। आरोपी जांच के दौरान कभी गिरफ्तार नहीं हुआ। मामला गैर-जमानती है और उसे संदेह है कि अगर वह पेश होता है तो उसे जेल में डाल दिया जाएगा। ऐसे में वह अग्रिम जमानत का हकदार है।
CBI ने यह जवाब दिया
CBI के वकील ने दलील दी कि कानून के तहत आरोपी को स्पेशल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होना ज़रुरी है और संबंधित कोर्ट मामले में आदेश जारी कर सकती है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद CBI जज ने कहा कि इससे जुड़े मामले में तय कानून के तहत आरोपी को संबंधित कोर्ट में पेश होना पड़ेगा। वहीं कोर्ट मामले में आदेश जारी कर सकती है।
प्रिया राजवंश के पिता ने खरीदी थी कोठी
जानकारी के मुताबिक, संबंधित कोठी सुंदर सिंह ने खरीदी थी। उनके 2 बेटे और एक बेटी वीरा सुंदर सिंह थी जो फिल्म इंडस्ट्री में प्रिया राजवंश के नाम से मशहूर थी। उन्होंने कई फिल्मों में काम किया था। वहीं सुंदर सिंह की मौत के बाद दोनों भाइयों पदमजीत सिंह(84) और कंवल सुंदर में प्रॉपर्टी को लेकर विवाद चल रहा था। वहीं प्रिया राजवंश का मुंबई में वर्ष 2000 में मर्डर हो गया था। एक वसीयत के रूप में वह कोठी में अपना शेयर दोनों भाइयों के नाम कर गई थी।
पदमजीत सिंह के नाम से फर्जी याचिका दायर हुई
मामले में हाईकोर्ट ने प्राप्त एक जानकारी के आधार पर CBI जांच के आदेश दिए थे। उसमें पदमजीत सिंह ने हाईकोर्ट में वह याचिका दायर किए जाने से इनकार किया था, जिसमें उन्होंने अपने 50 प्रतिशत शेयर की ट्रांसफर/म्यूटेशन को लेकर प्रतिवादी पक्ष को ‘स्टेटस को’ बनाए रखने संबंधी आदेश जारी करने की मांग की थी। वहीं एस्टेट ऑफिस, चंडीगढ़ द्वारा 22 जून, 2020 को जारी उस लेटर को भी रद्द करने की मांग की थी, जिसमें अथॉरिटी के समक्ष उन्हें पेश होने को कहा गया था। उन्होंने कहा था कि उन्होंने एस्टेट ऑफिस को कोई ऐसी ईमेल भी नहीं की थी, जिसमें प्रॉपर्टी ट्रांसफर न किए जाने के बारे कहा गया हो।
प्रीतम कौर ने मांगी थी हिस्सेदारी
हाईकोर्ट में कथित फर्जी याचिका हाईकोर्ट के 12 जून, 2020 को जारी आदेशों के बाद दायर की गई थी। उन आदेशों में हाईकोर्ट ने एस्टेट ऑफिस को मामले में प्रीतम कौर नामक महिला की एक मांग पर फैसला लेने को कहा था। उसमें उसने कोठी के 50 प्रतिशत शेयर 6 महीने में उसके नाम करने की मांग की थी। प्रीतम कौर ने दावा किया था कि पदमजीत सिंह ने उसके पति पेशोरा सिंह थिंड के हक में वर्ष 2006 में एक GPA की थी। जिसमें विवादित कोठी को बेचने का अधिकार दिया था। इसके अलावा प्रीतम कौर ने दावा किया था कि पदमजीत सिंह ने कोठी में अपने 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी का एग्रीमेंट टू सेल उनके पति के नाम किया था।
वहीं एस्टेट ऑफिस ने उसे 10 मई, 2020 की एक ईमेल की रसीद के बारे में जानकारी दी थी जो कथित रूप से पदमजीत सिंह ने भेजी थी। जिसमें कहा था कि उनके नाम से किसी के द्वारा भी घर को ट्रांसफर किए जाने की मांग पर कार्रवाई न की जाए। इसके बाद जब प्रीतम कौर पदमजीत सिंह के पास गई तो उसने कहा कि उन्होंने ऐसी कोई ईमेल एस्टेट ऑफिस को नहीं की।
CBI ने क्या कहा था
CBI ने अपनी FIR में कहा था कि अमरदीप सिंह बराड़ के कहने पर फर्जी याचिका तैयार की गई। बराड़ ने इसके लिए वकील को कथित रूप से 50 हजार रुपए फीस के रूप में दिए थे। वहीं CBI ने कहा है कि वकालतनामा और याचिका के साथ लगे एफिडेविट पर पदमजीत सिंह के वास्तविक दस्तखत नहीं थे। इसके अलावा पदमजीत सिंह के नाम से फर्जी ईमेल तैयार की गई थी। इसके जरिए एस्टेट ऑफिस को ईमेल की गई थी।