मध्यप्रदेश के सतना नगर निगम में आदिवासी कर्मचारी की जगह दूसरा युवक 10 साल से नौकरी कर रहा है। सूदखोर के डर से सरकारी सफाईकर्मी गांव में मजदूरी कर रहा है। फर्जीवाड़ा करने वाला सूदखोर करीब 40 लाख रुपए वेतन ले चुका है। साथ ही बुलेट फाइनेंस कराते हुए कई लोन भी लिए हैं। यहां तक कि वह चार बैंक अकाउंट ऑपरेट कर रहा है।
वहीं, 30 से 40 हजार रुपए की सैलरी पाने वाला श्रमिक गांव में एक-एक रोटी को मोहताज है। न उसके रहने के लिए एक पक्की छप्पर है, न भोजन का ठिकाना। सूदखोर की धमकी से डरा निगम कर्मी 52 साल की उम्र में बुजुर्ग हो गया। वह जीवन का एक-एक पल मौत के साये में गुजार रहा है। उसको डर है कि कहीं सूदखोर के आदमी गोली मारकर हत्या न कर दें।
निगमकर्मी की मुसीबत उस समय बढ़ गई, जब फाइनेंस कंपनी के लोग घर पहुंच गए। कहा कि तुम लोन लिए हो। डर के मारे एक वकील के माध्यम से सतना निगमायुक्त, सिटी कोतवाली, एसपी, आईजी, डीआईजी, आयुक्त नगरीय प्रशासन, गृहमंत्री सहित मुख्यमंत्री के पास तीन महीने पहले शिकायत की है। पर किसी ने आदिवासी कर्मचारी की शिकायत पर गौर नहीं किया है।
सफाईकर्मी की जुबानी फर्जीवाड़े की कहानी
दैनिक भास्कर से बातचीत में सरहंग के डर से घर में छिपे कर्मचारी ने दर्द बया किया। कहा मेरा नाम श्याम बिहारी आदिवासी पुत्र हिछलाल आदिवासी 52 वर्ष है। मैं रजहा गांव थाना सोहागी जिला रीवा का रहने वाला हूं। वर्ष 2003 में सतना नगर निगम का सफाई कर्मचारी नियुक्त हुआ। 21 मई 2003 को सामान्य प्रशासन विकास विभाग मंत्रालय द्वारा बैकलॉग के रिक्त पदों द्वारा विशेष अभियान के तहत 36 आदिवासियों की भर्ती की गई। तब 36 श्रमिकों में मेरी नियुक्ति 17वें नंबर पर हो गई।
मैं सतना के व्यंकटेश मंदिर के पास किराये का मकान लेकर परिवार सहित रहने लगा। हम 2003 से 2012 तक सफाई कामगार की ड्यूटी करते रहे। 9 साल की नौकरी के दौरान अचानक से पत्नी की तबियत खराब हो गई। इसी बीच, साल 2013 में आरोपी मनीष पाण्डेय 40 वर्ष निवासी आदर्श नगर सतना हवाई पट्टी और विनय नामदेव पुत्र गोविंद नामदेव निवासी व्यंकटेश मंदिर के पास मुख्तियारगंज से मुलाकात हुई। इलाज के लिए हमने मनीष पाण्डेय से 5 हजार रुपए ले लिए। जो सूदखोरी का काम करता है। उस दिन विनय नामदेव ने ही मनीष पाण्डेय से मिलवाया था।
एक महीने बाद प्रताड़ना शुरू
श्याम बिहारी आदिवासी के वकील शिवेन्द्र सिंह ने बताया कि एक महीने में पैसे नहीं दे पाया, तो आरोपियों ने प्रताड़ना शुरू कर दी। एक दिन दोनों आरोपी जबरन सफाईकर्मी को घर उठाकर ले गए। वहां कट्टा दिखाकर जान से खत्म कर देने की धमकी दी। विरोध किया तो कमरे में बंद कर जमकर पीटा भी। ऐसे में कर्मचारी डर गया। तब आरोपियों ने कहा कि दोबारा सतना में दिखना मत। ड्यूटी करने आए तो परिवार सहित खत्म कर दूंगा।
इस बीच, मनीष पाण्डेय ने एटीएम आधार कार्ड, पेन कार्ड, बैंक पास बुक, चेकबुक आदि साइन कराकर रख लिए। धमकी दी कि जब-जब सतना आने के लिए कहूंगा तो आ जाना। नहीं गांव आकर सबको मार दूंगा। डर के मारे कर्मचारी गांव भाग गया। इसके बाद वह सतना नगर निगम की ड्यूटी नहीं की। पीड़ित का वेतन स्टेट बैंक मुख्य शाखा सतना में आता रहा। जिसको मनीष पाण्डेय एटीएम सहित अन्य माध्यमों से निकालता रहा। यहां तक कि बैंक में आरोपी ने अपना मोबाइल नंबर फीड करा रखा था। जिससे खाते के बारे में समय-समय पर जानकारी लेता रहा। साथ ही, चेकबुक जारी कराकर पैसे निकालता रहा है।
सेटिंग से एक बैंक में आरोपी ने खुलवाए पांच खाते
बता दें कि आरोपी मनीष पाण्डेय की स्टेट बैंक सतना के मुख्य शाखा में अफसरों से साठगांठ थी। जिससे वह सफाई कर्मचारी के नाम पर एक ही बैंक में पांच खाते खुलवा डाले। पहला 30025841949, दूसरा 32784328450, तीसरा 32901077117 और चौथा खाता 30901601302 शामिल है। चारों खातों पर लोन भी लिया है। हालांकि अब ये खाते होल्ड पर हैं। दावा है कि आरोपी ने आधा दर्जन से ज्यादा खाते खोलकर रखे हैं। किसी में लोन तो किसी में गाड़ी फाइनेंस करा रखी है।
7 महीने में निकाले 5.49 लाख, खाते में सिर्फ 65 रुपए
भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट नंबर 10298232119 के स्टेटमेंट का अवलोकन किया। जिसमे 7 महीने में 5.49 लाख रुपए खाते से निकाला गया है। वर्तमान में सिर्फ 65 रुपए खाते में बचें है। कुल मिलाकर यह पांचवां खाता है। मई महीने में 600, 28,143, 1000, 5000 रुपए वेतन मिला। इसी तरह, जून महीने में 28,143 रुपए, अगस्त माह में 31,832, 5000 रुपए, सितंबर माह में 32,630, 9500 रुपए, अक्टूबर महीने में 32,630, 26,721, 500, 5000, 8000 रुपए वेतन मिला है।
सैलरी आते ही निकाल लेता था रकम, दो लोन भी चल रहे
अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि मनीष पाण्डेय शातिर है। वह श्याम बिहारी आदिवासी की सैलरी आते ही कुछ दिनों में 10 से 11 हजार रुपए एटीएम से निकाल लेता था। वह 22 अगस्त 2022 में लोन लेकर 1.89 लाख रुपए निकाल लिया है। दो दिन बाद दूसरा लोन लेकर 1.44 लाख रुपए हड़प लिए।
5 हजार कर्ज की 40 लाख रुपए देकर भरवाई
श्याम बिहारी आदिवासी ने बताया कि 5 हजार रुपए कर्ज की भरवाई 40 लाख रुपए देकर चुकानी पड़ी है। औसतन 10 साल पहले मेरी सैलरी 15 से 20 हजार रुपए थी। अब 30 से 40 हजार के बीच आ रही है। ऐसे में 40 लाख रुपए वेतन मेरे खाते से मनीष पाण्डेय निकाल चुका है। पता नहीं मनीष पाण्डेय ने कितने मेरे नाम के खाते खोलकर लोन लिया है। एसबीआई के कर्मचारी से लेकर मैनेजर तक उसके आदमी है। सभी ने मिलकर बंदरवाट किया है। वह जब भी साइन कराना होता था। तब मुझे बुलाता। 500 रुपए से 1000 देकर चलता कर देता था। डर के मारे मैं किसी के सामने मुंह नहीं खोला हूं।
बुलेट लोन से हुआ खुलासा
दिसंबर 2022 में आईडीएफसी फस्ट बैंक रीवा के कर्मचारी श्याम बिहारी आदिवासी को खोजते हुए चाकघाट के समीप रजहा गांव पहुंचे। वहां श्याम बिहारी के घर को देख कर उनके होश उड़ गए। फिर भी कंपनी के फरमान के कारण फाइनेंस कर्मी, श्याम बिहारी से भिड़ गए। कहा कि बुलेट लिए हो किस्त नहीं दे रहे हो। यह बात सुनते ही आदिवासी श्याम बिहारी के होश उड़ गए। वह जोर जोर से रोने लगा। शोर शराबा सुन ग्रामीण दौड़े। जिन्होंने फाइनेंस कर्मचारियों को समझाया है। कहा कि जिस आदमी के पास खाने के पैसे नहीं है। वह बुलेट कैसे ले सकता है। तब फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ। ऐसे में श्याम बिहारी एक रिश्तेदार के माध्यम से रीवा पहुंचकर शिकायत शुरू की।
9 निगमायुक्तों का कार्यकाल जांच के घेरे में
गौरतलब है कि सतना नगर निगम 9 निगमायुक्तों का कार्यकाल जांच के घेरे में है। वर्ष 2013 से 2023 के बीच में राजेश शाही, तन्वी हुड्डा, अमनबीर सिंह बैस, प्रवीण सिंह अढ़ायच, प्रतिभा पाल, राम प्रसाद डहेरिया, सुरेन्द्र कथूरिया, धीरेन्द्र सिंह परिहार और बीबी सिंह गहरवार आदि निगमायुक्त सेवाएं दे चुके हैं। आदिवासी कर्मचारी के साथ हुए फर्जीवाड़े को लेकर किसी ने गौर नहीं किया।
वर्तमान महापौर ने माना, निगम में फर्जी कर्मचारी ले रहे सैलरी
पिछले महीने जिला ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के कार्यक्रम में वर्तमान महापौर योगेश ताम्रकार ने चिंता जताई थी। कहा था कि सतना नगर निगम में फर्जी कर्मचारी सैलरी ले रहे हैं। कुछ लोग जबलपुर तो कई लोग मुंबई व गोवा में मौज काट रहे हैं। दो दशकों से भर्रेसाही चल रही है। पुराने महापौर से लेकर निगमायुक्तों ने मौज काटी है। किसी ने कभी भी फर्जी कर्मचारियों के मुददे पर गौर नहीं किया है।