छत्तीसगढ़ में हो रहे कोयला परिवहन में अवैध लेवी की वसूली से जुड़े घोटाले में पहली बार अडानी समूह का नाम आया है। रायपुर के महापौर एजाज ढेबर ने रायपुर के पुलिस अधीक्षक-SSP से इसकी लिखित शिकायत की है। उनका कहना है, इस मामले में तमाम तथ्यों और गवाहों के बयान के बाद भी केंद्र सरकार और ED अडानी समूह पर कार्रवाई नहीं कर रही है। इस मामले में कांग्रेस नेताओं को फंसाया जा रहा है। ढेबर ने इस मामले की जांच के लिए SIT बनाने की मांग की है।
पिछले पांच महीनों से चल रही ED की कार्रवाई सोमवार को अब तक के सबसे हंगामेदार मोड़ पर पहुंच गई। ED की टीमों ने कांग्रेस के दर्जन भर नेताओं के यहां सोमवार सूर्योदय से पहले ही छापा मारा। कांग्रेस के महाधिवेशन से चार दिन पहले हुई इस कार्रवाई से रायपुर से दिल्ली तक बवाल मचा। रायपुर-भिलाई में जहां-जहां ED की कार्रवाई हो रही थी, वहां कांग्रेस के नेताओं ने मोर्चाबंदी की। शाम को युवा कांग्रेस और एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने रायपुर के पुजारी पार्क स्थित क्षेत्रीय कार्यालय का घेराव कर दिया। सीआरपीएफ के जवानों ने लाठीचार्ज किया तो प्रदर्शनकारियों ने उन्हें दबोच लिया। जिन्हें स्थानीय पुलिस के जवानों ने मुश्किल से बचाया।
इस बीच रायपुर के महापौर एजाज ढेबर ने रायपुर SSP को एक ज्ञापन सौंपा। इसमें कहा गया, ED की ओर से पंजीबद्ध मामले में जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है अथवा जिन लोगों से गवाही ली गई है, उन्होंने इसके बारे में लोगों को बताया है। उनके मुताबिक -रायगढ़ स्थित जीपी-3 कोयला खदान में सूर्यकांत तिवारी और जोगिंदर सिंह की कंपनी जय अंबे ट्रांसपोर्ट कंपनी अडानी के लिए काम करती थी। अडानी समूह के कर्मचारी कोयला परिवहन का 70 रुपया प्रति टन नकद लेते थे। यह काम सूर्यकांत तिवारी देखता था। वह अडानी समूह के लिए 2010 से काम कर रहा है। इस संबंध में जानकारी के बावजूद ED ने अडानी समूह के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। वह इन तथ्यों को छिपा रही है। ढेबर का आरोप है कि ED अब मनगढ़ंत तथ्यों और झूठे साक्ष्य बनाकर कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही कर कांग्रेस के राष्ट्रीय महाधिवेशन में बाधा उत्पन्न कर रही है।