पार्टी का चुनाव चिह्न ‘तीर-कमान’ चोरी हो गया है। CM एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि चोर को सबक सिखाने की जरूरत है। वह पकड़ा गया है। मैं चोर को तीर-कमान लेकर मैदान में आने की चुनौती देता हूं और हम एक जलती हुई मशाल से उसका मुकाबला करेंगे।
उद्धव ने कहा PM को लगता है वो शिवसेना को खत्म कर देंगे। शिवसेना कभी खत्म नहीं होगी। चुनाव आयोग PM का गुलाम है। आयोग ने वो किया है जो पहले कभी नहीं हुआ। उन्हें बाला साहेब ठाकरे का चेहरा चाहिए, उन्हें चुनाव चिन्ह चाहिए, लेकिन शिवसेना का परिवार नहीं। पीएम मोदी को महाराष्ट्र आने के लिए बाला साहेब ठाकरे के मास्क की जरूरत है, लेकिन राज्य के लोग जानते हैं कौन सा चेहरा असली है और कौन नहीं। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि अगर वे मर्द हैं तो चोरी का धनुष-बाण लेकर भी हमारे सामने आओ, हम मशाल लेकर चुनाव लड़ेंगे। यह हमारी परीक्षा है, लड़ाई शुरू हो गई है।
उन्होंने अपने समर्थकों से धैर्य रखने और अगले चुनावों की तैयारी करने को कहा। ठाकरे यहां बांद्रा स्थित अपने आवास मातोश्री के बाहर पार्टी नेताओं की बैठक की अध्यक्षता करने से पहले अपने समर्थकों को संबोधित कर रहे थे। बड़ी संख्या में ठाकरे के समर्थक मातोश्री के बाहर जमा हुए और एकनाथ शिंदे के खिलाफ और ठाकरे के समर्थन में नारे लगाए।
पवार की उद्धव को सलाह- फैसला स्वीकारें, नया सिंबल लें
NCP प्रमुख शरद पवार ने उद्धव को सलाह दी है कि चुनाव आयोग के फैसले को स्वीकार कर लें। शुक्रवार को इलेक्शन कमीशन (EC) ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना बताया था। EC ने शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और तीर-कमान का निशान इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी। उद्धव ने इस पर आपत्ति जताई थी और इलेक्शन कमीशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी।
इस पर शरद पवार ने कहा कि जब कोई फैसला आ जाता है, तो चर्चा नहीं करनी चाहिए। इसे स्वीकार करें, नया चिह्न लें। पुराना चिह्न खोने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हालांकि, NCP नेता अजित पवार ने आयोग के इस फैसले को अप्रत्याशित बताया है। अजीत पवार ने पूछा कि EC ने फैसला सुनाने में जल्दबाजी क्यों की।
नवनीत राणा ने उद्धव पर तंज कसा- जो राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं
इसी मसले पर अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा- जो राम का नहीं, हनुमान का नहीं, वो किसी काम का नहीं। एक निजी टीवी चैनल से बात करते हुए नवणीत ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को जमीनी स्तर का नेता बताया।
नवणीत ने आगे कहा कि शिंदे जमीनी स्तर पर बाल ठाकरे के साथ रहे हैं। वे पूरी तरह से शिवसेना के निशान और उसकी विरासत के हकदार हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि एक बार जब कोई पार्टी टूट जाती है, तो 90% नए गुट के साथ चले जाते हैं और EC को नए गुट को पार्टी का नाम और चिन्ह देना पड़ता है।
EC ने कहा- शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक
इलेक्शन कमीशन ने शुक्रवार को पाया कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। उद्धव गुट ने बिना चुनाव कराए अपनी मंडली के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से पदाधिकारी नियुक्त करने के लिए इसे बिगाड़ा।
कमीशन ने यह भी पाया कि शिवसेना के मूल संविधान में अलोकतांत्रिक तरीकों को गुपचुप तरीके से वापस लाया गया, जिससे पार्टी निजी जागीर के समान हो गई। इन तरीकों को 1999 में EC नामंजूर कर चुका था। पार्टी की ऐसी संरचना भरोसा जगाने में नाकाम रहती है। इसी के साथ महाराष्ट्र में शिवसेना से अब उद्धव गुट की दावेदारी खत्म मानी जा रही है।
शिंदे ने कहा- यह लोकतंत्र की जीत है
EC के फैसले पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा- यह हमारे कार्यकर्ताओं, सांसदों, विधायकों, जनप्रतिनिधियों और लाखों शिवसैनिकों सहित बालासाहेब और आनंद दीघे की विचारधाराओं की जीत है। यह लोकतंत्र की जीत है।
उन्होंने कहा- यह देश बाबासाहेब अंबेडकर की ओर से तैयार किए गए संविधान पर चलता है। हमने उस संविधान के आधार पर अपनी सरकार बनाई। चुनाव आयोग का आज जो आदेश आया है, वह मेरिट के आधार पर है। मैं चुनाव आयोग का आभार व्यक्त करता हूं।
फडणवीस बोले- हम पहले दिन से आश्वस्त थे
महाराष्ट्र उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा- CM एकनाथ शिंदे की शिवसेना को शिवसेना का चिन्ह और नाम मिला है। असली शिवसेना एकनाथ शिंदे की शिवसेना बनी है। हम पहले दिन से आश्वस्त थे, क्योंकि चुनाव आयोग के अलग पार्टियों के बारे में इसके पहले के निर्णय देखे तो इसी प्रकार का निर्णय आए हैं।
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उद्धव ठाकरे से छिनेगी शिवसेना की 334 करोड़ रुपए की संपत्ति
चुनाव आयोग का फैसला लागू हुआ तो शिवसेना की सभी संपत्तियों से उद्धव ठाकरे को हाथ धोना पड़ेगा। ADR के आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 में शिवसेना के पास 148.46 करोड़ की FD और 186 करोड़ की अचल संपत्ति है। अब शिंदे गुट असली शिवसेना के रूप में जिसे कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपेगा, उसके हस्ताक्षर को पार्टी की तरफ से वित्तीय लेन-देन के लिए मान्यता मिलेगी। महाराष्ट्र में 82 जगहों पर शिवसेना के दफ्तर हैं।
चुनाव आयोग का करतब:शिव और सेना अलग- थलग, अब उद्धव के पास न तीर रहा, न कमान
चुनाव आयोग ने शिव और सेना को अलग कर दिया। यानी आधिकारिक तौर पर उसके दो टुकड़े कर दिए। लगभग तैंतीस साल पुराना था शिवसेना और भाजपा का गठबंधन। एक महाराष्ट्र ही ऐसा राज्य है जहां भाजपा की सहयोगी होने के बावजूद शिवसेना हमेशा बड़े भाई की भूमिका में ही रही थी।विधानसभा चुनावों में हमेशा ज़्यादा सीटों पर शिवसेना ही लड़ा करती थी, लेकिन..