पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के बीच एक कानूनी विवाद मामले में केस ट्रांसफर मामले में अहम टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऐसे मामलों में कानून की प्रधानता पत्नी के हक में जाती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि ट्रांसफर हमेशा पत्नी के हक में मंजूर की जाए।
इसके साथ ही महिला द्वारा पति के खिलाफ गुरदासपुर की कोर्ट में दायर केस को पति की मांग पर लुधियाना की कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया है। मामले में रुपिंदर सिंह नामक व्यक्ति ने किरण एवं अन्य को पार्टी बनाते हुए यह याचिका (ट्रांसफर पिटीशन)वर्ष 2020 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर की थी।
याची की तरफ से एडवोकेट नितिन सचदेवा ने दलीलें पेश करते हुए कहा था कि पत्नी द्वारा द्वारा किरण बनाम रुपिंदर सिंह व अन्य का वर्ष 2019 में दायर सिविल सूट गुरदासपुर की सिविल जज की कोर्ट से लुधियाना की सक्षम कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए। संबंधित मामला पत्नी द्वारा सामान लौटाने की मांग को लेकर दायर किया गया था।
ब्रेन कैंसर से ग्रसित है पति
याची पति की तरफ से उनके वकील ने दलील दी कि उन्हें ब्रेन कैंसर है और वह गुरदासपुर केस की सुनवाई में जाने में लाचार हैं। याची का मेडिकल और इलाज का रिकॉर्ड भी कोर्ट में पेश किया गया। जिसमें उन्हें ओएगोडेंड्रोग्लिओमा ग्रेड-2 पाया गया था। उनकी सर्जरी के बाद कई बार सीजर हो चुके हैं और वह रेडियोथेरेपी के रुप में फॉलो-अप ट्रीटमेंट भी ले रहे हैं।
ज्यादा ट्रैवल नहीं कर सकते
कहा गया कि याची पति को ज्याया काम और ट्रैवल का तनाव लेने के लिए मना किया हुआ है। ऐसे में वह मौजूदा केस के लिए लुधियाना से गुरदासपुर का 165 किलोमीटर(एक तरफ) का ट्रैवल नहीं कर सकता। वहीं दूसरी ओर रुपिंदर की पत्नी के वकील ने दलील दी कि याची रुपिंदर का पिता लुधियाना कोर्ट में वकील है। ऐसे में उसे लुधियाना में रुपिंदर और उनके परिवार से खतरे की आशंका है।
2019 के मामले में समझौता हो चुका
याची ने कहा कि 21 जून, 2019 को दोनों पक्षों में समझौता हो गया था और मौजूदा केस सिर्फ याची को कानूनी विवादों में फंसाने के लिए दायर किया गया है। याची पक्ष द्वारा कहा गया कि गुरदासपुर की कोर्ट में हिंदु मैरिज एक्ट की धारा 13 के तहत दायर याचिका, किरण बनाम रुपिंदर सिंह का वर्ष 2020 का सिविल सूट लंबित है। वहीं पंजाब स्टेट ह्यूमन राइट्स कमीशन, चंडीगढ़ में सितंबर, 2019 में दायर एक मामला है। वहीं वूमेन सैल, गुरदासपुर में अक्तूबर, 2019 में दायर शिकायत में समझौते के बाद उसका निपटारा हो चुका है।
पत्नी ने पति की तबीयत से इंकार नहीं किया
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें और केस के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए कहा कि याची पति की स्वास्थ्य स्थिति से उसकी पत्नी ने इनकार नहीं किया है। कोर्ट ने कहा कि यह न्यायोचित होगा कि मौजूदा ट्रांसफर पिटीशन को मंजूर किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया
हाईकोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऐसे मामलों में कानून की प्रधानता पत्नी के हक में जाती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि ट्रांसफर हमेशा पत्नी के हक में मंजूर की जाए। हाईकोर्ट ने मामले में सुप्रीम कोर्ट के अनिंदिता दास बनाम सृजित दास के 2006 मामले में फैसले का जिक्र किया। उसमें सुप्रीम कोर्ट ने महिला द्वारा उसके पति द्वारा दायर केस में दायर की गई ट्रांसफर अर्जी को रद कर दिया था। वहीं हाईकोर्ट भी ऐसे 2 मामलों का हवाला दिया, जिनमें पत्नी की मांग को खारिज कर दिया गया था।
गुरदासपुर कोर्ट के डिस्ट्रिक्ट जज को आदेश
हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा केस में असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए ट्रासंफर पिटीशन को मंजूर किया जाता है। इसमें कुछ शर्तें लगाई गई हैं। प्रतिवादी पक्ष द्वारा वर्ष 2019 में गुरदासपुर कोर्ट में दायर केस को लुधियाना की सक्षम कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए। गुरदासपुर के डिस्ट्रिक्ट जज को आदेश दिए जाते हैं कि वह केस का सारा रिकॉर्ड लुधियाना डिस्ट्रिक्ट जज को भिजवाएं। दोनों पक्ष अपने वकीलों के जरिए 24 फरवरी को डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज, लुधियाना के समक्ष पेश हों। डिस्ट्रिक्ट जज लुधियाना की सक्षम कोर्ट को यह केस सुनवाई के लिए सौंपेंगे।
समझौते का प्रयास भी करें
हाईकोर्ट ने कहा कि लुधियाना की कोर्ट पूरा प्रयास करेगी कि मीडिएशन और काउंसिलिंग के जरिए दोनों पक्षों में आपसी रजामंदी से समझौता हो जाए। इसके लिए मीडिएशन और काउंसिलिंग सेंटर में केस भेजे। जस्टिस निधि गुप्ता ने यह आदेश जारी किए हैं।