छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ अधिकारी कथावाचक डॉ. अशोक हरिवंश ने रामचरित मानस को लेकर सपा नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्या को पहले अपने नाम का अर्थ समझना होगा। उनके नाम में स्वामी और प्रसाद दोनों है, यह दोनों शब्द हमारे सनातन से जुड़ा हैं।
स्वामी का मतलब जगत स्वामी भगवान श्री राम से है और उनके नाम में प्रसाद भी है। प्रसाद का मतलब ईश्वर के प्रसाद से है, जिसे हम हर दिन ग्रहण करते हैं। उनके माता-पिता ने भी इसी भाव से उनका नाम रखा होगा। प्रयागराज के माघ मेले में पहुंचे प्रसिद्ध कथावाचक डॉ. अशोक हरिवंश दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत की।
उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद की बेटी का नाम संघमित्रा है और पत्नी का नाम शिव है। यह सभी नाम सनातन से ही आए हैं। उन्होंने कहा है कि यदि स्वामी प्रसाद मौर्या रामचरित मानस की चौपाइयों का विरोध कर रहे हैं, तो सबसे पहले उन्हें अपना नाम बदल लेना चाहिए।
‘परिवार के साथ बैठक कर मंत्रणा करें स्वामी’
डॉ. अशोक हरिवंश ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्या राम चरित मानस को लेकर राजनीति कर रहे हैं और लोगों को बरगलाने की भी कोशिश कर रहे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्या को चुनौती देते हुए कहा है कि वह अपने पूरे कुनबे को इकट्ठा कर लें और मीटिंग करके यह तय कर लें कि उनकी मृत्यु के बाद वे “राम नाम सत्य है” न बोलें।
तब हम मान लेंगे कि स्वामी प्रसाद मौर्या सही कह रहे हैं। उन्होंने कहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्या को राम चरित मानस को आंख खोलकर पढ़ना चाहिए और उसके बाद भी अगर उन्हें कोई संशय है, तो मेरे गुरु जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज से संपर्क कर अपने ज्ञान का स्तर बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि यह बयानबाजी सिर्फ अगड़ा और पिछड़ा के वोट बैंक को लेकर की जा रही है।
किन्नरों को श्रीराम से जोड़ने की है पहल
मानस मर्मज्ञ प्रसिद्ध कथा वाचक डॉ अशोक हरिवंश छत्तीसगढ़ सरकार में पंचायत विभाग में ज्वाइंट कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं। वह पदम विभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य भी हैं। वह पिछले कई वर्षों से मानस कथा कह रहे हैं।
इसी कड़ी में 3 और 4 फरवरी को संगम क्षेत्र के सेक्टर एक नोज पर जगदगुरु स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज के शिविर में दोपहर 12:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक किन्नर मानस कथा कहेंगे। इसका उद्देश्य है कि किन्नरों को भी समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाए। उ
न्होंने कहा कि राम चरित मानस के हर कांड में किन्नरों का वर्णन किया गया लेकिन किन्नर समाज में अलग-थलग पड़ जाते हैं। मानस कथा के जरिए उन्हें समाज से जोड़ने और मानस में उनके महत्व को समझाने का प्रयास करेंगे।