योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी को एससी-एसटी अधिनियम के तहत एक साल की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था, यदि जुर्माने की राशि नहीं दी जाती है तो 20 दिन अलग से कारावास भुगतना पड़ेगा। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मुठ्ठीगंज थाने में नंदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। यह फैसला जिला न्यायालय की स्पेशल कोर्ट में सुनाया गया है। मंत्री को दो धाराओं में दोषी करार दिया गया है। आईपीसी की धारा 147 में एक साल और पांच हजार जुर्माना जबकि आईपीसी की धारा 323 में छह माह की सजा आर पांच हजार जुर्माने की सजा सुनाई गई है। हालांकि, इस सजा के चलते नंदी की विधानसभा की सदस्यता नहीं समाप्त होगी।
जानिए, क्या था पूरा मामला
पूरा मामला 3 मई 2014 से जुड़ा है। तत्कालीन सपा सांसद और सपा के उम्मीदवार रेवती रमण सिंह की जनसभा मुठ्ठीगंज इलाके में चल रही थी। मंत्री नंदी पर रेवती रमण सिंह की जनसभा में हमला करने का आरोप था। उस वक्त कांग्रेस पार्टी से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे नंद गोपाल गुप्ता नंदी और उनके समर्थकों ने जनसभा में हंगामा किया। सपा समर्थकों की लाठी-डंडों से पिटाई की। आरोप है कि नंद गोपाल गुप्ता नंदी के उकसाने पर उनके समर्थक हिंसक हो गए थे। इस हमले में समाजवादी पार्टी के कई समर्थकों को चोटे आई थी। आरोप है कि नंदी और उनके समर्थकों ने समाजवादी पार्टी के दलित कार्यकर्ताओं को जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए गालियां भी दी थी।
नंदी ने भी दर्ज कराया था क्रास एफआईआर
नंद गोपाल गुप्ता नंदी की तरफ से तत्कालीन सपा सांसद रेवती रमण सिंह और उनके समर्थकों के खिलाफ भी क्रास एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस घटना के बाद मुट्ठीगंज थाने में जमकर हंगामा हुआ था। तत्कालीन थाना प्रभारी इंद्रजीत चतुर्वेदी ने नंद गोपाल गुप्ता नंदी और उनकी मेयर पत्नी अभिलाषा गुप्ता समेत तमाम कार्यकर्ताओं के खिलाफ अलग से केस दर्ज किया था।