JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उनकी बेटी सुभाषिनी यादव ने रात पौने 11 बजे सोशल मीडिया पर उनके निधन की जानकारी दी। शुभाषिनी ने ट्वीट में लिखा, ‘पापा नहीं रहे’। उनकी उम्र 75 साल थी। दिल्ली के छतरपुर में उनके आवास पर पर्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। कल होशंगाबाद के बाबई तहसील के आंखमऊ गांव में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
शरद यादव चार बार बिहार के मधेपुरा सीट से सांसद रहे हैं। वे जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अध्यक्ष के साथ केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं। पूर्व मंत्री की तबीयत बिगड़ती जा रही थी और उन्हें गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बयान जारी कर कहा कि शरद यादव को अचेत अवस्था में फोर्टिस में आपात स्थिति में लाया गया था। जांच करने पर उनकी कोई पल्स या रिकॉर्डेबल ब्लड प्रेशर नहीं था।
एसीएलएस प्रोटोकॉल के तहत उनका सीपीआर किया गया। सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, उन्हें बचाया नहीं किया जा सका और रात 10 बजकर 19 मिनट पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके परिवार के प्रति हम संवेदना व्यक्त करते हैं।
उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, राहुल गांधी, नीतीश कुमार, लालू यादव, बिहार के डिप्टी CM तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा समेत कई नेताओं ने दुख जताया है।
शरद यादव उन नेताओं में रहे हैं, जो लालू प्रसाद और नीतीश कुमार दोनों के साथ रहे। नीतीश कुमार से राजनीतिक रिश्ते खराब होने के बाद शरद यादव अलग-थलग पड़ गए।
गंभीर रूप से बीमार होने की वजह से उनकी राजनीतिक गतिविधियां भी काफी कम हो गई थीं।
श्रद्धांजलि देने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि मैंने शरद यादव जी से राजनीति के बारे में बहुत कुछ सीखा है, वह आज हमारे बीच नहीं रहें तो काफी दु:ख हो रहा है। उन्होंने कभी अपना सम्मान नहीं खोया क्योंकि राजनीति में सम्मान खोना बहुत आसान होता है।
- शरद यादव का पार्थिव शरीर दिल्ली के छतरपुर स्थित उनके निवास स्थान पर रखा गया है, जहां लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे।
- 14 जनवरी को MP के होशंगाबाद स्थित बाबई तहसील के आंखमऊ गांव में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
PM मोदी ने दुख जताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शरद यादव जी के निधन से बहुत दुख हुआ। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया। वे डॉ. लोहिया के आदर्शों से काफी प्रभावित थे। मैं हमेशा हमारी बातचीत को संजो कर रखूंगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। शांति।
लालू ने लिखा-बहुत बेबस महसूस कर रहा हूं
लालू यादव ने शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया में वीडियो मैसेज पोस्ट किया है। उन्होंने कहा कि अभी सिंगापुर में हूं और शरद भाई के जाने का दुखद समाचार मिला।
बहुत बेबस महसूस कर रहा हूं। आने से पहले मुलाकात हुई थी और कितना कुछ हमने सोचा था समाजवादी व सामाजिक न्याय की धारा के संदर्भ में। शरद भाई…ऐसे अलविदा नहीं कहना था। भावपूर्ण श्रद्धांजलि!
नीतीश ने भी जताया दुख
नीतीश कुमार ने ट्विटर पर लिखा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव जी का निधन दुःखद। शरद यादव जी से मेरा बहुत गहरा संबंध था। मैं उनके निधन की खबर से स्तब्ध एवं मर्माहत हूं।
वे एक प्रखर समाजवादी नेता थे। उनके निधन से सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें।
राहुल गांधी ने भी जताया दुख
राहुल गांधी ने लिखा कि शरद यादव जी समाजवाद के पुरोधा होने के साथ एक विनम्र स्वभाव के व्यक्ति थे। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है। उनके शोकाकुल परिजनों को अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। देश के लिए उनका योगदान सदा याद रखा जाएगा।
लोकसभा स्पीकर ने भी जताया शोक
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने शरद यादव के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि, “वरिष्ठ राजनेता, पूर्व सांसद शरद यादव जी के निधन पर शोक व्यक्त करता हूं।
वे विलक्षण प्रतिभा वाले महान समाजवादी नेता थे, जिन्होंने वंचितों–शोषितों के दर्द को दूर करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका निधन समाजवादी आंदोलन के लिए बड़ी क्षति है।
लालू की बेटी मीसा भारती ने दी श्रद्धांजलि
मीसा भारती ने ये फोटो शेयर कर ट्विटर पर लिखा कि समाजवाद की प्रबल आवाज़ आज शांत जरूर हुई है पर प्रेरणा बनकर हमारी स्मृतियों में सदा कौंधती रहेगी! आदरणीय शरद यादव जी को अश्रुपूरित भावभीनी श्रद्धांजलि।
शरद यादव के निधन पर इन नेताओं ने शोक व्यक्त किया…
- बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा- मंडल मसीहा, राजद के वरिष्ठ नेता, महान समाजवादी नेता मेरे अभिभावक आदरणीय शरद यादव जी के असामयिक निधन की खबर से मर्माहत हूं। कुछ कह पाने में असमर्थ हूं।
- जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने कहा कि देश के दिग्गज राजनेता, समाजवाद और सामाजिक न्याय के योद्धा शरद यादव के निधन की खबर सुनकर मर्माहत हैं। शरद यादव के निधन से एक युग का अंत हो गया। एक समाजिक न्याय के नेता के रूप में हमेशा याद किए जाते रहेंगे।
वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे
शरद यादव ने 1999 और 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विभिन्न विभागों में मंत्री रहे थे। 2003 में शरद यादव जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष बने थे।
वह NDA के संयोजक भी रहे। साल 2018 में जदयू से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) बनाया था। पिछले साल अपनी पार्टी के RJD में विलय की घोषणा कर दी थी।
नर्मदापुरम में जन्मे, 1974 में जबलपुर से पहली बार सांसद बने थे
शरद यादव मुख्य रूप से मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम( होशंगाबाद) जिले में स्थित बाबई के रहने वाले थे। उनका जन्म 1 जुलाई 1947 को किसान परिवार में हुआ।
जब वे 1971 में जबलपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, तभी उनकी दिलचस्पी राजनीति में हुई। यहां वे छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। छात्र संघ अध्यक्ष बनने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।
राम मनोहर लोहिया से प्रभावित थे
शरद यादव छात्र राजनीति करने के साथ-साथ पढ़ाई लिखाई में भी अव्वल थे। उन्होंने बीई ‘सिविल’ में गोल्ड मेडल जीता था। वे राजनीति में राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित थे। वे अक्सर लोहिया के आंदोलनों में हिस्सा लिया करते थे।
इस दौरान उन्हें ‘मिसा’ (misa) के तहत कई बार गिरफ्तार किया गया। उन्हें 1970, 72 और 75 में जेल जाना पड़ा। शरद यादव ने मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कराने में भी अहम भूमिका निभाई।
शरद यादव का राजनीतिक करियर
उनका राजनीतिक करियर तो छात्र राजनीति से ही शुरू हो गया था, लेकिन सक्रिय राजनीति में उन्होंने साल 1974 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। यह सीट हिंदी सेवी सेठ गोविंददास के निधन से खाली हुई थी।
ये समय जेपी आंदोलन का था। जेपी ने उन्हें हल्दर किसान के रूप में जबलपुर से अपना पहला उम्मीदवार बनाया था। शरद इस सीट को जीतने में कामयाब रहे और पहली बार संसद भवन पहुंचे। इसके बाद साल 1977 में भी वे इसी सीट से सांसद चुने गए।
उन्हें युवा जनता दल का अध्यक्ष भी बनाया गया। इसके बाद वे साल 1986 में राज्यसभा के लिए चुने गए।
तीन राज्यों से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं
शरद यादव भारत के संभवत: पहले ऐसे नेता हैं, जो तीन राज्यों से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। राज्यसभा जाने के तीन साल बाद 1989 में उन्होंने उत्तरप्रेदश की बदायूं लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीता भी। यादव 1989-90 तक केंद्रीय मंत्री रहे।
उन्हें टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था। यूपी के बाद उनकी एंट्री बिहार में होती है। 1991 में वे बिहार के मधेपुरा लोकसभा सीट से सांसद बनते हैं। इसके बाद उन्हें 1995 में जनता दल का कार्यकारी अध्यक्ष चुना जाता है और साल 1996 में वे 5वीं बार सांसद बनते हैं। 1997 में उन्हें जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाता है।
इसके बाद 1999 में उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया और एक जुलाई 2001 को वह केंद्रीय श्रम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री चुने गए।
2004 में वे दूसरी बार राज्यसभा सांसद बने। 2009 में वे 7वीं बार सांसद बने, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मधेपुरा सीट से हार का सामना करना पड़ा।
तीन दशक तक बिहार की राजनीति की एक धुरी थे शरद
समाजवादी नेता जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान में राजद मेंबर शरद यादव का 75 वर्ष में निधन हो गया। वो ऐसे राजनेता थे जो तीन राज्यों बिहार, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश से सांसद चुने गये। बिहार के मधेपुरा से 4 बार, मध्यप्रदेश के जबलपुर से 2 बार और उत्तर प्रदेश के बदायूं से 1 बार सांसद चुने गये।
देश में पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी तो उस एनडीए गठबंधन के वो संयोजक भी बने। अभी उनके पुत्र राजद के मेंबर हैं तो बेटी सुभाषिणी यादव ने पहली बार पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से चुनाव लड़ा। शरद खुद वर्ष 1974 में पहली बार सांसद बने थे।
वो वर्ष 1986 और 2014 में राज्यसभा सांसद भी रहे। वर्ष 1989-90 में वो पहली बार केन्द्र सरकार में कपड़ा और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बने। वर्ष 1999 में वो केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री, वर्ष 2001 में श्रम मंत्री और 2002 में उपभोक्ता मामलों के मंत्री बने।
राजनीति के कई अहम पड़ाव की पटकथा लिखी
शरद यादव लगभग तीन दशक तक बिहार की राजनीति के धुरी थे। 1990 से लेकर अंतिम दम तक उनकी राजनीति का केंद्र बिहार रहा। लालू यादव को सीएम बनाने से लेकर 18 वर्षों तक उनके विरोध में राजनीति करने और मार्च 2022 को अपनी पार्टी का राजद में विलय करने तक उनकी हर राजनीतिक पहलकदमी में कहीं न कहीं बिहार रहा। लालू यादव के सफल किडनी ट्रांसप्लांट हुआ तब उन्होंने सोशल मीडिया पर खुशी भरी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
दिल्ली में हुए राजद के राष्ट्रीय अधिवेशन को भी उन्होंने संबोधित किया। कुल मिलाकर देखा जाए तो शरद यादव ने ही बीते तीन दशक में बिहार की राजनीति के कई अहम पड़ाव की पटकथा लिखी। चाहे वह लालू को सीएम बनाने, उनके विरोध में नीतीश कुमार का साथ देने, प्रदेश में महागठबंधन का प्रयोग करने का हो या फिर राजद में वापसी का रहा हो।
शरद ही सबके केंद्र में रहे। उनसे मिलने वालों में जिसमें वह राजनीतिक सूझबूझ देखते थे, उसके बारे में कहा करते थे… यह पॉलिटिकल आदमी है।
आशय होता था समाज की समझ रखने वाला, इसी फार्मूले से उन्होंने हिन्दी पट्टी में समाजवादी सोच वाले नेताओं की एक पीढ़ी तैयार की। खासकर बिहार में। वह नीतीश कुमार से बेहद करीब थे। लेकिन,2017 में जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ा तब शरद-नीतीश के बीच ऐसी खटास पैदा हुई कि उन्हें जेडीयू से निकाल दिया गया।
शरद ने 2019 में विपक्ष को एक करने की कोशिश की। तब वह फिर लालू प्रसाद के करीब आये। उन्होंने पूरे देश में विपक्षी नेताओं के साथ साझी विरासत यात्रा शुरू की। राहुल गांधी से भी उनकी नजदीकियां बढ़ी। 2019 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद शरद यादव बीमार रहने लगे थे। वह दो टूक बोलते थे। इस कारण कई बार विवादों में भी आए। वह पिछड़ों के हितों की मजबूत आवाज थे और मंडल आंदोलन का अगुवा चेहरा तो थे ही।
शरद भाई के कारण ही लालू बने थे मुख्यमंत्री:शिवानंद तिवारी ने सुनाया 52 साल पुराना किस्सा; बिहार की राजनीति की धुरी थे शरद
प्रख्यात समाजवादी नेता जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान में राजद मेंबर शरद यादव का 75 वर्ष में निधन हो गया। राजद के बड़े नेता शिवानंद तिवारी ने उनके साथ बिताए पुराने दिनों को याद किया। उन्होंने बताया कि लालू शरद भाई के कारण ही मुख्यमंत्री बन पाए थे।