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कोविड के दौरान मुफ्त राशन वितरण से पिछड़े प्रदेशों और सबसे निचले पायदान वाले राज्यों की आय असमानता में भारी कमी आई है। एसबीआई के अध्ययन में इसके लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के उस दस्तावेज से संकेत लिया गया, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि कैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) ने भारत में अत्यंत गरीबी को महामारी से प्रभावित साल 2020 में 0.8 फीसदी के न्यूनतम स्तर पर रखने में भूमिका निभाई है। इस अध्ययन में 20 राज्यों में चावल की खरीद और नौ राज्यों के लिए गेहूं की खरीद के हिस्से के प्रभाव का विश्लेषण किया गया।
बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और यूपी को सर्वाधिक फायदा
इस योजना से जिन राज्यों को सबसे अधिक फायदा मिला, उनमें असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। चावल अब भी भारत में अधिकांश लोगों के लिए मुख्य भोजन में आता है। रिपोर्ट के अनुसार, धन के असमान वितरण वाले अलग-अलग आबादी वाले समूहों में चावल और गेहूं की खरीद ने अपेक्षाकृत पिछड़े राज्यों में आय असमानता को कम करने में उल्लेखनीय प्रभाव डाला है।
गरीब में अत्यंत गरीबों को फायदा
ऊंची खरीद से मुफ्त अनाज वितरण के जरिये गरीब में अत्यंत गरीबों को फायदा मिल रहा है। इस खरीद की वजह से संभवत: छोटे और सीमान्त किसानों के हाथ में भी पैसा आया है। पिछले महीने सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत मुफ्त राशन योजना को एक साल के लिए बढ़ा दिया है। इससे 81.35 करोड़ गरीबों को फायदा होगा।
महंगाई कम करने में भी मददगार
एनएफएसए के तहत गरीबों को चावल तीन रुपये प्रति किलो और गेहूं दो रुपये प्रति किलो की दर से दिया जाता है। इसके तहत मुफ्त खाद्यान्न की वजह से परिवारों की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिये खरीदी गई मात्रा की लागत शून्य हो जाती है। इससे बाजार मूल्य पर अनाज की मांग कम होगी। मंडी में अनाज के दाम घटेंगे।
अर्थव्यवस्था में K-आकार का सुधार नहीं
एसबीआई ने जीडीपी में ‘K-आकार’ में सुधार को खारिज कर कहा, महामारी संघर्ष वाला दौर था। इसने असमानताओं को कम करने में मदद की। सरकार गरीबों को प्रति परिवार सालाना 75,000 रुपये तक मदद कर रही है।
अर्थशास्त्रियों ने कहा, वित्तीय संपत्तियों में मजबूत वृद्धि से 2021 में असमानता बढ़ी है। पर, अधिक खरीद से छोटे और सीमांत किसानों के हाथों में पैसा भी आ रहा है। इस प्रकार, भारत ने हर वर्ग में आय के झटकों को कम करने में महामारी के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया।
निर्माण एवं रियल्टी क्षेत्र में महिलाओं को कम वेतन
निर्माण एवं रियल एस्टेट क्षेत्र में असंगठित महिला कामगारों को पुरुष श्रमिकों की तुलना में 30-40 फीसदी तक कम मजदूरी मिलती है।