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बिहार की बेटी आरोही ने दिखाया मूर्तिकला में टैलेंट, KVS खगौल की है छात्रा

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बिहार की बेटी आरोही सिंह को राष्ट्रीय कला उत्सव पुरस्कार मिला है। वह केन्द्रीय विद्यालय खगौल में 9 वीं क्लास की छात्रा है। उन्हें तृतीय पुरस्कार मिला है। प्रथम पुरस्कार, पांडिचोरी और द्वितीय जम्मू कश्मीर की आर्टिस्ट को मिला है। यह पुरस्कार उन्हें शनिवार को उड़ीसा के भुवनेश्वर रिजनल इंस्टीच्यूट में देश के केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने प्रदान किया।

आरोही के पापा धर्मवीर सिंह बिहार सरकार के पीएचईडी विभाग में कार्यरत हैं। उनकी मां पूजा सिंह हैं। आरोही कहती हैं कि उनके आर्ट टीचर जीतेन्द्र कुमार जीतू की बदौलत ही उन्होंने यह राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार हासिल किया है। केवीएस खगौल के प्राचार्य एमपी सिंह कहते हैं कि आरोही ने हमारे स्कूल का नाम रौशन किया है, हमारे स्कूल की टैलेंट है।

35 लड़कियों में से आरोही का चयन हुआ- जीतेन्द्र कुमार जीतू

आरोही को मिले पुरस्कार के बारे में आर्ट टीचर जीतेन्द्र कुमार जीतू बताते हैं कि एनसीईआरटी ने राष्ट्रीय स्तर पर कला-उत्सव का आयोजन करवाया था। इसमें नवोदय विद्यालय, केन्द्रीय विद्यालय और अन्य सरकारी व प्राइवेट स्कूल की छात्राओं ने हिस्सा लिया था। सभी राज्यों से 20-20 बच्चे बतौर पार्टिसिपेंट पहुंचे थे। केन्द्रीय विद्यालय बिहार से दो बच्चे इसमें गए थे।

इसके लिए सबसे पहले जिला स्तर पर श्रेष्ठ आर्टिस्ट का चयन हुआ। उसके बाद राज्य स्तर पर और फिर राष्ट्रीय स्तर पर केन्द्रीय विद्यालय ने अपना चयन किया। केन्द्रीय विद्यालय ने राष्ट्रीय स्तर पर चयन कर आर्टिस्ट का नाम भेजा। कुल 35 लड़कियों में से आरोही का चयन राष्ट्रीय स्तर पर तृतीय पुरस्कार के लिए हुआ। उन्होंने मूर्तिकला थ्री डी में यह पुरस्कार हासिल किया है।

कैजुअलिटी ऑफ नेचुरल ब्यूटी

आरोही अपने आर्ट वर्क के बारे में विस्तार से बताती हैं कि चार दिन रहकर भुवनेश्वर में उन्होंने इसे बनाया। ग्लोबल वार्मिंग पर केन्द्रित मूर्ति ढ़ाई फीट की है। पैडेस्टल के साथ यह तीन फीट की है। इसमें एक ह्यूमन फेस को उन्होंने मिट्टी से बनाया है जिसके सिर पर केकटस उगे हैं। इसके कान नहीं हैं और आंखें बंद हैं। यह स्कल्पचर पर्यावरण संकट और जलवायु परिवर्तन को सामने रखता है।

हम प्रकृति का दोहण कर रहे हैं और किसी की कुछ सुन नहीं रहे हैं इसलिए इसमें कान नहीं है, आंख से हम देख नहीं रहे इसलिए आंखें बंद हैं। सिर पर इंडस्ट्रियल एरिया को दिखाया गया है। एक गौरैया ऐसी स्थिति के बीच अकेली हो गई है। बॉडी पर हनी हाइब्स बने हैं। मधुमक्खियां भी हैं। इसके जरिए यह बताने की कोशिश है कि पेड़ों के कटने से इनके लिए जगह खत्म होती जा रही है। यह 9 वीं क्लास में पढ़ने वाली आरोही के मन का दर्द है जिसे उसने स्कल्पचर के जरिए खूबसूरती से उकेरा है। स्कल्पचर का टाइटिल है-‘ कैजुअलिटी ऑफ नेचुरल ब्यूटी ‘।

लाल किला के झंडोत्तोलन कार्यक्रम और परीक्षा पर चर्चा में भी शामिल होने जाएगी

आरोही ने भास्कर से बातचीत में बताया कि उसने लॉक डाउन के समय यानी दो-ढ़ाई साल पहले पेटिंग करना शुरू किया। दो माह से वह स्कल्पचर बना रही हैं। बड़ी बात यह कि उन्हें 26 जनवरी को लाल किले पर झंडोत्तोलन और झांकी के भव्य कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली से बुलावा आया है। वह 27 जनवरी को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित होने वाले ‘ परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम’ में भी हिस्सा लेने जाने वाली है।

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