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54 साल बाद मिला था ‘बरेली का झुमका’, आज फांक रहा धूल-मिट्‌टी

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फीका पड़ा बरेली के झुमके का रंग:54 साल बाद मिला था ‘बरेली का झुमका’, आज फांक रहा धूल-मिट्‌टी

 

 

पिछले करीब 55 सालों से बरेली की पहचान झुमका नगरी के नाम से यूपी में नही बल्कि देशभर में जानी जाती रही है। फिल्म मेरा साया के गाने में बरेली को जो झुमका गिरा, उसी झुमके ने नाथ नगरी को झुमका नगरी के नाम से नई पहचान दिलाई।

 

 

 

 

 

2 साल पहले दिल्ली लखनऊ हाईवे पर बरेली में प्रवेश करते ही ऊंचा सा झुमका रोहिलखंड मेडिकल कॉलेज के सौजन्य से स्थापित हुआ। झुमका लगवाने के लिए जगह बरेली नगर निगम ने दी। देश के 100 स्मार्ट शहरों में शामिल बरेली हाल ही में यूपी में 5वें और देशभर में 38वीं रैकिंग में रहा। लेकिन अब वही बरेली का झुमका अनदेखी के चलते धूल फांक रहा है।

 

जो झुमका बरेली में मुख्य स्थान पर लगाया गया है, उसकी पढ़िए पूरी ग्राउंड रिपोर्ट…

 

पत्थर पर धूल और डस्ट जमी हुई फोटो में देख सकते हैं।

पत्थर पर धूल और डस्ट जमी हुई फोटो में देख सकते हैं।

पहले जानिए बरेली को क्यों कहा जाता है झुमका नगरी

 

बरेली का झुमका 1966 में आए फिल्मी गाने से लोकप्रिय हुआ। 1966 में फिल्म मेरा साया रिलीज हुई। अभिनेत्री साधना पर झुमका गिरा रे बरली के बाजार में फिल्माया गया। जबकि सच्चाई यह थी बरेली का कोई वाक्या नहीं था, लेकिन इस गीत को लिखने वाले लेखक शायर रजा मेंहदी ने इस गाने के जरिए बरेली के झुमके को दुनिया भर में पहचान दिलाई। फिल्म अभिनेत्री साधना पर फिल्माया गया।

 

झुमका तिराहे का मुख्य गेट।

झुमका तिराहे का मुख्य गेट।

गाना झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन से रहा है। कहा जाता है कि शादी से पहले हरिवंश राय बच्चन और तेजी सूरी एक कार्यक्रम के लिए बरेली आए.. जब दोनों से आगे के कार्यक्रम के बारे में पूछा तो तेजी सूरी ने जबाव दिया कि मेर झुमका तो बरेली के बाजार में गिर गया। जिस पर रजा मेंहदी हसन ने यह गीत लिखाा। तभी से बरेली की पहचान झुमका नगरी से होने लगी।

 

2020 में बरेली को मिला झुमका

 

फिल्म मेरा साया 1966 को रिलीज हुई। लेकिन बरेली को खोया हुआ झुमका मिलने में 54 साल का वक्त लगा। लखनऊ- दिल्ली हाईवे पर जीरो प्वाइंट पर 14 फीट ऊंचाई में पीतल से बना हुआ झुमका लगाया गया। इस झुमके का वजन 270 किग्रा है। बताया जा रहा है कि इसकी लागत करीब 18 लाख रुपए आई थी।

 

सचिन शर्मा भी यहां सेल्फी लेने पहुंचे।

सचिन शर्मा भी यहां सेल्फी लेने पहुंचे।

लंबे समय से बरेली शहर में झुमका स्थापित कराए जाने की मांग थी, लेकिन हर बार झुमके के नाम पर राजनीति होती रही। पीतल से इस झुमके को मुरादाबाद के आर्टिस्ट ने तैयार किया। जिसे 8 फरवरी 2020 को केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने झुमका तिराहे का लोकार्पण किया। इस झुमके को बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. केशव कुमार अग्रवाल के द्वारा बनवाया गया।

 

धूल और मिट्‌टी फांक रहा बरेली का झुमका

 

पंकज पांडे का कहना है कि यहां के मेयर की भी कुछ जिम्मेदारी बनती है।

पंकज पांडे का कहना है कि यहां के मेयर की भी कुछ जिम्मेदारी बनती है।

पीतल से निर्मित यह झुमका आज धूल फांक रहा है। यहां पर जो लाल रंग का पत्थर आसपास लगाया गया है उस पर सिल्ट जमी हुई है। झुमका देखने में भी काला पड़ गया। स्थानीय नागरिक पंकज पांडे का कहना है कि बरेली नगर निगम इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा, यहां के मेयर भी अपने चुनावी कार्यक्रम में बिजी हैं। आज लोग दिल्ली और लखनऊ के अलावा दूसरे राज्यों से आकर भी यहां सेल्फी खिंचवाते हैं। जो बरेली की पहचान है, उसी के बारे में अनदेखी की जा रही है।

 

प्रशासन को करनी होगी सफाई की व्यवस्था

 

प्रभात यादव ने बताया कि प्रशासन को सफाई व्यवस्था देखनी चाहिए।

प्रभात यादव ने बताया कि प्रशासन को सफाई व्यवस्था देखनी चाहिए।

अधिवक्ता प्रभात यादव का कहना है कि झुमका स्थल पर साफ सफाई की व्यवस्था की जिम्मेदारी प्रशासन और नगर निगम को करानी चाहिए। इस सबंध में जल्द ही नगर आयुक्त को मिलकर अवगत कराया जाएगा। यहां का हाल देखकर लगता है कि पता नहीं कब से सफाई नहीं हुई है।

 

छात्र अब्दुल राफे भी विश्वविद्यालय से यहां पर अपने दोस्त के साथ पहुंचे।

छात्र अब्दुल राफे भी विश्वविद्यालय से यहां पर अपने दोस्त के साथ पहुंचे।

जितेंद्र कुमार ने बताया कि यहां सेल्फी खिंचवाना यादगार रहता है।

जितेंद्र कुमार ने बताया कि यहां सेल्फी खिंचवाना यादगार रहता है।

फुरकान अंसारी का कहना है कि यहां पता नहीं कब से सफाई नहीं हुई।

फुरकान अंसारी का कहना है कि यहां पता नहीं कब से सफाई नहीं हुई।

 

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