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बाराबंकी के नींबू घोटाले में अधीक्षक समेत चार जेल कर्मी निलंबित, मंत्री के सामने बंदियों ने लगाया प्रताड़ना का आरोप

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बाराबंकी जेल में कारागार मंत्री

 

बाराबंकी जेल में हुए नींबू घोटाले में शासन ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई की है। जेल अधीक्षक व एक डिप्टी जेलर समेत दो बंदीरक्षकों को निलंबित कर दिया है। इस मामले में मंगलवार को कारागार मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने बाराबंकी जेल पहुंचकर करीब ढाई घंटे तक जांच की थी। मंत्री का दौरा बेहद गोपनीय रहा था व यहां सभी अफसरों को बाहर करने के बाद मंत्री ने अपनी टीम के साथ जेल में सभी जगहों का हाल देखा। करीब ढाई घंटे रुकने के बाद वह चले गए थे। यहां बंदियों ने जेल कर्मियों पर उत्पीड़न व सही भोजन न देने का भी आरोप लगाया था। जबकि अन्य कई कमियां सामने आई हैं।

19 मई को अमर उजाला ने ‘तीन महीने में जेल के बंदियों को पिला दिया 36 क्विंटल नीबू’ शीर्षक से खबर छापकर इस मामले का खुलासा किया था। इसमें लाखों रुपये के नींबूू घोटाले की बात सामने आई थी। इसके बाद डीजी जेल आनंद कुमार ने पूरे मामले की जांच डीआईजी जेल प्रशासन संजीव त्रिपाठी से कराई थी। इस बीच पूरे मामले का संज्ञान शासन ने लिया था। इसके बाद यहां पर मंत्री मंगलवार को निरीक्षण करने पहुंचे थे। बुधवार को जेल अधीक्षक हरिबक्श सिंह, डिप्टी जेलर आशुतोष मिश्रा व जेल वार्डर राजेश भारती व सुरेश कुमार को निलंबित कर दिया गया है। इनके निलंबन की पुष्टि डीजी जेल आनंद कुमार द्वारा की गई है।

इससे पहले मंगलवार को सुबह करीब 10 बजे प्रदेश सरकार के कारागार मंत्री धर्मवीर प्रजापति अपने लाव लश्कर के साथ अचानक बाराबंकी जिला जेल पहुंच गए थे। जेल में मंत्री को देख कर्मचारियों व अफसरों में हड़कंप मच गया। जेल पहुंचने पर गेट खुलने के बाद मंत्री सीधे अंदर चले गए। इस दौरान जेल के सभी अफसरों व कर्मचारियों को हिदायत दी गई कि वह अंदर न आएं और बाहर ही कार्यालय में बैठकर मंत्री का इंतजार करें।

इसके बाद करीब ढाई घंटे तक मंत्री ने जेल में समस्त बैरक, भोजनालय, कैंटीन, अस्पताल आदि का हाल देखा। महिला बैरक में जाकर महिला बंदियों से भी मंत्री ने बात की। मंत्री ने जेल के विभिन्न बैरकों में रहने वाले कई बंदी व कैदियों को अलग-अलग बुलाकर बात की थी और उनकी समस्याओं का निराकरण करने का आश्वासन दिया था। करीब ढाई घंटे के बाद मंत्री सीधे जेल से बाहर निकले व अपने वाहन पर सवार होकर लखनऊ की ओर चले गए थे। इस दौरान उन्होंने किसी भी अधिकारी और कर्मचारी से न कोई बात की और न यह बताया कि यहां क्या कमी मिली है और क्या कार्रवाई उनके स्तर से की जा रही है।

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