भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र सिंह राणा ने दावा किया है कि वर्ष 1996 के चुनाव में 1987 की तुलना में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी की गई। उस समय डॉ. फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री थे। दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक में सीटें तक तय हुई थीं।
कहा कि चुनाव में गड़बड़ी के लिए 1987 का उदाहरण दिया जाता है, लेकिन 1996 की चर्चा नहीं होती। जबकि 1996 की स्थिति ज्यादा खराब थी। एक राष्ट्रीय चैनल के ट्वीट में उन्होंने कहा कि भाजपा के केंद्र में रहते हुए तीन चुनाव 1977, 1996 व 2014 हुए और तीनों पूरी तरह से पारदर्शी थे।
2002 में भाजपा के शासनकाल में केंद्र में मंत्री रहते हुए उमर अब्दुल्ला गांदरबल से चुनाव हार गए थे। 2014 में बाढ़ तथा अन्य विपरीत परिस्थितियों के बाद भी चुनाव बिल्कुल पारदर्शी तरीके से हुए। दावा किया कि 1996 के चुनावों की स्थिति और लोगों से ज्यादा बेहतर डॉ. फारूक जानते हैं।
हालांकि, उन्होंने 1996 में किसके बीच बैठक हुई, इसका खुलासा नहीं किया। नेकां प्रमुख डॉ. फारूक अब्दुल्ला की ओर से सेना द्वारा चुनाव में गड़बड़ी किए जाने संबंधी बयान पर कहा कि भारतीय सेना धर्म और राजनीति से बिल्कुल ऊपर है।
उसने कभी भी चुनावों में न तो हस्तक्षेप किया और न ही प्रभावित करने की कोशिश की। यह सरासर गलत आरोप हैं। सेना को राजनीति में घसीटे जाने का कोई मतलब नहीं है।