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मोदी @ 8 : एनटीपीसी ने किया बीटीपीएस का अधिग्रहण तो सुधर गई व्यवस्था

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एनटीपीसी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने उत्कृष्ट सेवा और सरोकार के साथ विकास सफलता के आठ वर्ष पूरे कर लिए। इन आठ वर्षों में देश के तमाम आधारभूत संरचना के साथ-साथ बिजली की भी ना केवल दशा और दिशा बदल गई, बल्कि एनटीपीसी दुनिया का सबसे बड़ी उर्जा प्रदाता कंपनी बन गयी है।

ऊर्जा के क्षेत्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार लगातार प्रगति कर रही है। पहले देश स्वाबलंबी नहीं था, लेकिन अब स्थिति काफी बदल चुकी है और सभी क्षेत्र के साथ बिजली के मामले में भी देश ना केवल आत्मनिर्भर हो चुका है, बल्कि बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार को निर्यात भी किए जा रहे हैं। श्रीलंका को ग्रीड से जोड़ा जा रहा है, जल्द ही श्रीलंका को भी बिजली दिया जाएगा। नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद एक लाख 51 हजार किलोमीटर ग्रीड बिछाकर देश को कोने-कोने से जोड़ा गया है।

अब पर्यावरण बचाते हुए ऊर्जा का विकास किया जा रहा है, रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक पांच लाख मेगावाट रिन्यूएबल एनर्जी पैदा करने का लक्ष्य रखा है। देश को 2030 तक आठ लाख 20 हजार मेगावाट बिजली की जरूरत होगी और इसके लिए लगातार देशभर में प्रयास किए जा रहे हैं।

एनटीपीसी 68 हजार गीगावाट उत्पादन क्षमता के साथ देश की सबसे बड़ी कंपनी है, अब रिन्यूएबल एनर्जी पर जोर दिया जा रहा है। इस बदलाव में पूरे देश के साथ बिहार को बड़ा फायदा हुआ है। नरेन्द्र मोदी के सोच से बिहार में दस हजार मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से करीब आठ हजार मेगावाट निर्माण शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री ने बिजली के क्षेत्र में तमाम राज्यों को आधारभूत संरचना विकास के लिए दो लाख दो हजार करोड़ रुपये दिया है।

जिसमें से 24 हजार करोड़ सिर्फ बिहार को दिया गया है, तीन सौ 26 नया सब स्टेशन बना, एक सौ 65 पावर स्टेशन को अपग्रेड किया गया, एक लाख दो हजार छह सौ 32 एचटी लाइन एवं एलटी लाइन बिछाया गया, 86 हजार ट्रांसफार्मर लगाए गए। विश्व बैंक का सर्वे है कि 2015 से पहले बिहार में छह-सात घंटा बिजली मिलती थी, आज औसतन 20 घंटा से अधिक मिल रही है। प्रधानमंत्री ने एक हजार दिन में देश के सभी गांव और टोला में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य किया था, लेकिन 987 दिन में ही सब जगह बिजली पहुंच गया। मात्र 18 माह में दो करोड़ 83 लाख घरों का सौभाग्य से विद्युतीकरण किया गया, बिहार ने देश में सबसे पहले हर घर बिजली पहुंचाना शुरू किया था।

बिहार में बिजली सेवा में बदलाव की बात करें तो 1962 में रुस के सहयोग से स्थापित बरौनी थर्मल पावर स्टेशन की सभी इकाई बंद होने से बिजली उत्पादन ठप हो चुका था। राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) द्वारा अधिग्रहण करते हैं मात्र चार साल के भीतर वहां से छह सौ मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है। दिसम्बर 2018 में बिहार सरकार के द्वारा बरौनी थर्मल वाष्प शक्ति प्रतिष्ठान को संचालन के लिए एनटीपीसी को सौंपने के बाद एनटीपीसी ने चार वर्षो में बरौनी के सभी चारों इकाई से कॉमर्शियल विद्युत उत्पादन शुरू कर दिया है। एनटीपीसी के अधिकारियों के अनुसार एनटीपीसी के स्टेज एक के 110 मेगावाट क्षमता वाली छठी इकाई से 01 जून 2022 से कॉमर्शियल विद्युत उत्पादन होना शुरू हुआ है।

इससे पहले स्टेज एक के ही 110 मेगावाट क्षमता वाली सातवीं इकाई से 23 मई 2019 को कॉमर्शियल विद्युत उत्पादन शुरू किया गया। वहीं, एनटीपीसी न्यू एक्सटेंशन प्लांट स्टेज-दो के 250 मेगावाट क्षमता वाली आठवीं इकाई से एक मार्च 2020 से तथा 250 मेगावाट क्षमता वाली ही नौवीं इकाई से एक नवम्बर 2021 से कॉमर्शियल विद्युत उत्पादन होना शुरू हो चुका है। फिलहाल बरौनी एनटीपीसी बरौनी के तीन इकाई से 610 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जा रहा है।

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