हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वरीयता के मामले में अहम निर्णय सुनाया है। खंडपीठ ने कहा कि यदि कर्मचारी को नियमों के तहत नियुक्त किया गया है तो उस स्थिति में वरीयता उसकी नियुक्ति से गिनी जाएगी। अदालत ने सुशांत सिंह नेगी और अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए उन्हें अनुबंध सेवा का लाभ देते हुए पदोन्नत किए जाने के आदेश दिए हैं।
न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने यह निर्णय सुनाया। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार चयन प्रक्रिया से की गई अनुबंध नियुक्ति से ही वरीयता गिनी जाएगी। याचिकाकर्ताओं को जुलाई 2013 में अतिरिक्त अभियंता के पद पर अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया गया था।
वर्ष 2017 में उनकी सेवाओं को नियमित किया गया था। अगले पद पर पदोन्नत होने के लिए आठ वर्ष की सेवा का होना जरूरी था। याचिकाकर्ताओं को उनकी आठ वर्ष की सेवा पूरी न होने के कारण पदोन्नत नहीं किया गया। दलील दी गई कि यदि उनकी अनुबंध सेवा को नियमित सेवा के साथ गिना जाता है तो उस स्थिति में वे नियमों के अनुसार आठ वर्ष की सेवा पूरी करते हैं।
अदालत ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि याचिकाकर्ताओं को नियमों के अनुसार चयन प्रक्रिया से अनुबंध आधार पर नियुक्त किया गया था। अदालत ने प्रतिवादी हिमाचल प्रदेश औद्योगिक विकास निगम को आदेश दिए कि याचिकाकर्ताओं को खाली पदों के विरुद्ध पदोन्नत करने पर विचार किया जाए।