कृषि विभाग ने सोमवार को मृदा दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें मृदा की गुणवत्ता और उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने पर मंथन किया गया। विभाग के निदेशक केके शर्मा ने मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए किसानों को कुछ उपचारात्मक उपाय बताए।
इसमें जैविक खादों और उर्वरकों को मिट्टी में उचित अनुपात में शामिल करके एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन (आईएनएम) सहित मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखना, फसलों की बुवाई में सुपर सीडर का उपयोग करके पराली को जलाने से रोकने पर जोर दिया गया। खासकर गेहूं की बुवाई में गोबर खाद, बायो कीटनाशक का इस्तेमाल करने के लिए कहा। कृषि भवन में आयोजित कार्यक्रम में किसान, अधिकारी और कर्मी मौजूद रहे।
निदेशक ने किसानों को विभाग के कृषि विशेषज्ञों की संस्तुति पर ही रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों का विवेकपूर्ण उपयोग करने और मृदा स्वास्थ्य कार्ड की संस्तुतियों के अनुसार उर्वरकों का प्रयोग करने के लिए जागरूक किया। उन्होंने खेतों में धड़ाधड़ हो रहे केमिकल के इस्तेमाल पर भी अंकुश लगाने पर जोर दिया और कहा कि इसकी वजह से मिट्टी की गुणवत्ता खत्म हो रही है। यदि यही हालत रही तो आने वाले समय में उपजाऊ मिट्टी 140 मिलियन हेक्टेयर से कम होकर 100 मिलियन हेक्टेयर ही रह जाएगी।
छात्रों को बताया मृदा दिवस का महत्व
स्कॉस्ट जम्मू में सोमवार को वीसी प्रोफेसर जेपी शर्मा की अध्यक्षता में विश्व मृदा दिवस मनाया गया। आजादी का अमृत महोत्सव के आयोजित इस कार्यक्रम में एनएसएस के कोआर्डिनेटर डॉ. सुभाष ने छात्रों को मृदा दिवस के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रोफेसर राजेश कटोच ने छात्रों को मृदा की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने और उस रासायनिक उर्वरकों के हानिकारक प्रभाव बताए। इस दौरान छात्रों के लिए वाद-विवाद प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। मौके पर डॉ. बलबीर और डॉ. आर पुनिया सहित अन्य उपस्थित रहे।