केंद्र सरकार ने वीरवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए गठित परिसीमन आयोग को निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से तय करने का अधिकार है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने परिसीमन आयोग को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज
परिसीमन आयोग के गठन के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस एसके कॉल और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ को बताया कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 केंद्र सरकार द्वारा परिसीमन आयोग की स्थापना को रोकता नहीं है। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल के तर्क सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
केंद्र और चुनाव आयोग ने फैसले का बचाव किया
केंद्र सरकार और चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के फैसले का बचाव किया, लेकिन इस फैसले को अदालत में चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं का कहना है कि परिसीमन की प्रक्रिया का सही तरीके से पालन नहीं किया गया। देश के बाकी हिस्सों में लागू नियमों का पालन करने के बजाए जम्मू-कश्मीर को अलग-थलग कर दिया गया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता ने कानूनों के प्रावधानों को चुनौती नहीं दी है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान को देखें। याचिकाकर्ता ने संवैधानिक चुनौती नहीं दी है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पहले भी संवैधानिक रूप से तय विधायकों की संख्या को पुनर्गठन अधिनियमों के तहत पुनर्गठित किया गया था।
1995 के बाद कोई परिसीमन नहीं किया गया
सॉलिसिटर जनरल ने परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका का विरोध करते हुए कहा कि कश्मीर में 1995 के बाद कोई परिसीमन नहीं किया गया है। याचिका में सवाल उठाया गया था कि इसे केवल जम्मू-कश्मीर पर ही लागू क्यों किया गया और उत्तर-पूर्वी राज्यों को क्यों छोड़ दिया गया?
मेहता ने इसका जवाब देते हुए कहा कि 2019 में उत्तर-पूर्वी इलाकों में भी परिसीमन लागू हो गया है, लेकिन उस वक्त उत्तर-पूर्वी राज्यों मे आंतरिक अशांति की वजह से परिसीमन नहीं हो सका। चुनाव आयोग के वकील ने धारा 3 के अनुसार केंद्र सरकार के पास परिसीमन आयोग के गठन की का क्या हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि जहां तक सीटों की संख्या में वृद्धि का सवाल है। इसे लेकर आपत्ति उठाने के लिए लोगों को पर्याप्त अवसर दिया गया था।