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जम्मू कश्मीर: पांच सालों में अफसरों, राजनीतिज्ञों के खिलाफ 221 मामले लंबित, क्राइम ब्रांच की रफ्तार धीमी

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धोखाधड़ी और संगीन मामलों की जांच में क्राइम ब्रांच जम्मू-कश्मीर की रफ्तार धीमी नजर आ रही है। खासकर रातनीतिज्ञों, पुलिस अफसरों, अफसरशाही और सरकारी कर्मियों के खिलाफ दर्ज मामलों में गति काफी कम है। पिछले पांच सालों में दर्जन मामलों में क्राइम ब्रांच 30 फीसदी की जांच ही पूरी कर पाया है। 221 मामले लंबित हैं। मौजूदा वर्ष की बात करें तो पिछले साल की तुलना में इस साल आधे मामलों की जांच भी पूरी नहीं हो पाई।

जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 से लेकर अब तक क्राइम ब्रांच के पास 785 मामलों की जांच लंबित पड़ी हुई है। इनमें 393 मामले कश्मीर और 392 मामले जम्मू संभाग के हैं। इनमें राजनीतिज्ञों, अफसरों, सरकारी कर्मियों और पुलिस अफसरों के खिलाफ 221 मामले लंबित हैं।

सरकारी अफसरों में कई डीएसपी स्तर के  भी शामिल हैं। यहां तक कि क्राइम ब्रांच के डीएसपी खुद जांच के दौरान रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए थे। बता दें कि इस साल क्राइम ब्रांच ने अब तक सिर्फ 69 मामलों की जांच पूरी की है, जबकि पिछले साल 120 मामलों की जांच की गई थी। इसके पहले 2020 में 48, 2019 में 79, 2018 में 82 और 2019 में 81 मामलों की जांच पूरी करके चार्जशीट पेश की गई थी।

बहुत से मामलों की जांच क्राइम ब्रांच के पास होती है। ऐसा भी नहीं कि अफसरशाही, राजनीतिज्ञों और पुलिस अफसरों के खिलाफ बहुत से मामले लंबित हैं। मामलों की जांच में वक्त लगता है। जांच बिल्कुल सही तरीके से हो, इसलिए इसमें समय लगता है। कोई खास वजह नहीं है कि जांच ज्यादा लंबित हो रही है। -एके चौधरी, एडीजीपी, क्राइम ब्रांच

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